दिव्य महाराष्ट्र मंडल

तात्यापारा स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में श्री हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को

0- महाराष्ट्र मंडल की ओर से शाम 7:00 बजे रामरक्षा स्रोत, हनुमान चालीसा पाठ के बाद महाआरती

रायपुर। तात्यापारा स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में श्री हनुमान जन्मोत्सव शनिवार, 12 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके कार्यक्रम सुबह पांच बजे से शुरू होंगे और लगभग आधी रात तक चलेंगे। श्री हनुमान जन्मोत्सव पर पं. शशांक देशपांडे श्री हरिकीर्तन करेंगे। तत्पश्चात श्री हनुमान जन्मोत्सव और सुबह 11 बजे से सुंदर कांड का पाठ होगा। वहीं शाम 7 बजे महाराष्ट्र मंडल के सभासद, भक्तों के साथ रामरक्षा स्रोत और हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया जाएगा। मंदिर जन्मोत्सव को लेकर जोर- शोर से तैयारियां जारी हैं।

मंदिर समिति के अध्यक्ष चंद्रकांत मोहदीवाले ने बताया कि श्री हनुमान जन्मोत्सव का कार्यक्रम सुबह पांच बजे पं. शशांक देशपांडे के कीर्तन के साथ शुरू होंगा। भक्तों की भारी भीड़ के बीच छह बजे हनुमान जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। श्री हनुमान मंदिर समिति के साथ महाराष्ट्र मंडल की कार्यकारिणी सदस्य नमिता शेष ने बताया कि प्रति वर्षानुसार इस साल भी मंडल के आजीवन सदस्यों के साथ बड़ी संख्या में हनुमान भक्त शाम सात बजे रामरक्षा स्त्रोत के साथ हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ करेंगे। तत्पश्चात श्री हनुमान जी की महाआरती की जाएगी। इस दौरान प्रत्येक भक्त के हाथ में कम से कम एक दीया अवश्य होगा। महाआरती के बाद महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा। तत्पश्चात भजन- कीर्तन होगा।

नमिता शेष ने आगे बताया कि मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा में सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता था। अक्टूबर 2017 में मूर्ति के सामने के हिस्से से सिंदूर का चोला गिर गया, मंदिर ट्रस्ट के लोगों ने पहली बार मूर्ति से सारा चोला हटवाया। तब जाकर मूर्ति का नया स्वरूप सामने आया। सभी लोगों ने पहली बार मूर्ति का नया स्वरूप देखा था। इसके बाद पुरातत्व विभाग की टीम मंदिर पहुंची और जांच के बाद यह पता चला कि 12वीं सदी में कलचुरी राजवंश काल में मूर्ति की स्थापना की गई है। 

मंदिर के उपाध्यक्ष दीपक किरवईवाले ने बताया कि मूर्ति का नया स्वरूप आने के बाद अब बजरंग बली की मूर्ति में सिंदूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता। मूर्ति पर केवल फूलों की माला ही चढ़ाई जाती है। नया स्वरूप आने के बाद मूर्ति के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए अभिषेक और चोला चढ़ाने की परंपरा बंद कर दी गई है। मंदिर में प्रत्येक शनिवार भजन कीर्तन 100 सालों से अनवरत होते आ रहा है। भजन गाने वाले भी तीन पीढ़ियों से इससे जुड़ी हुई हैं। हर मंगलवार को रात आठ बजे भक्तगण मंदिर में सुंदरकांड का पठन करेंगे।