दिव्य महाराष्ट्र मंडल

भक्तिकाल हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग.. कबीर, सूरदास और तुलसीदान ने दिया महान योगदान

रायपुर। यह सच है कि भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है। इस काल में भक्ति, प्रेम और मानवता के मूल्यों पर आधारित उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाएँ हुईं, जिनमें कबीर, सूरदास, तुलसीदास और मलिक मुहम्मद जायसी जैसे महान कवियों ने योगदान दिया। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, हमें इस पर गर्व करना चाहिए। उक्ताशय के विचार महाराष्ट्र मंडल द्वारा संचालित संत ज्ञानेश्वर विद्यालय के प्राचार्य मनीष गोवर्धन ने डे असेंबली में बच्चों से हिंदी दिवस के मौके पर कहीं।

असेंबली में ब्लू हाउस के बच्चों ने हिंदी के अध्यापक अध्यापिकाओं का हाथों से बने हुए फूल और पेन देकर सम्मान किया। कक्षा आठवीं की छात्रा समृद्धि मिश्रा ने हिंदी का इतिहास बताते हुए कहा कि हिन्दी भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। इसका जन्म संस्कृत से हुआ और यह समय के साथ प्राकृत, अपभ्रंश होते हुए आज की आधुनिक हिन्दी के रूप में विकसित हुई है।  

छात्र दुष्यंत ने हिंदी पर मार्मिक कविता तथा गगन ने हिंदी विषय पर ही उस के इतिहास से संबंधित प्रश्नों को पूछा। जिसका जवाब शिक्षकों ने दिया। कार्यक्रम का संचालन 11वीं की छात्रा वर्षा परिदा ने किया। विद्यालय के प्राचार्य मनीष गोवर्धन, उप्राचार्य राहुल वोड़ितेलवार असेंबली में उपस्थित रहे तथा हिंदी की महत्वता पर प्रकाश डाला।