शिक्षा-कैरियर-लाइफ स्टाइल

ज्येष्ठ में नहीं होता ‘ज्येष्ठ’ का विवाह, देवउठनी एकादशी तक करना होगा इंतजार

डेस्क। हिंदू मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ (जेठ) का महीना वैशाख मास के समाप्त होते ही शुरू हो जाता है। इस वर्ष यह माह 6 मई से प्रारंभ हो गया है। जो 4 जून तक रहेगा। इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवार हो जाता है और भीषण गर्मी  पड़ती है। जिन जेष्ठ युवक-युवती के विवाह मुहूर्त जेष्ठ माह के बाद नहीं है. उन्हें देवउठनी तक इंतजार करना पड़ेगा। वहीं 5 जून से फिर एक बार 27 जून तक शादी के शुभ मुहूर्त का समय रहेगा।

मान्यताओं के अनुसार जेठ के महीने में परिवार में बड़े पुत्र या फिर पुत्री का विवाह नहीं करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार पहले गर्भ में उत्पन्न लड़के या लड़की का विवाह उसके जन्म मास, जन्म नक्षत्र या जन्म तिथि में नहीं किया जाता है। यदि माता का पहला गर्भ नष्ट हो गया हो तब यह विचार करने की आवश्यकता नहीं है।

पुत्री का विवाह करने के बाद पुत्र का विवाह कभी भी किया जा सकता है। ज्योतिषियों के अनुसार वे सभी महत्वपूर्ण कार्य, जिनका प्रभाव हमारे संपूर्ण जीवन काल, घर-परिवार और समाज पर पड़ता है, शुभ समय में करने चाहिए। समाज और रिश्तेदारों को भी दो आत्माओं को दाम्पत्य सूत्र में शुभ लग्न में बंधने में सहयोग करना चाहिए।

शास्त्रों में ज्येष्ठ मास को सभी मास में शुभ माना गया है. ज्येष्ठ के स्वामी मंगल है और मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में साहस का प्रतीक माना गया है। सभी नवग्रहों में मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त है. ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु का प्रिय मास है। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु और उनके चरणों से निकलने वाली मां गंगा और पवनपुत्र हनुमान की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है।