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पीएम मोदी रथयात्रा, योग दिवस पर बोले... तो आपातकाल को किया याद... सुनिए प्रधानमंत्री की 'मन की बात'

मेरे प्यारे देशवासियो, 21 जून भी अब आ ही गई है। इस बार भी, विश्व के कोने-कोने में लोग अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। इस वर्ष योग दिवस की theme है – Yoga For Vasudhaiva Kutumbakam यानि ‘एक विश्व-एक परिवार’ के रूप में सबके कल्याण के लिए योग। यह योग की उस भावना को व्यक्त करता है, जो सबको जोड़ने वाली और साथ लेकर चलने वाली है। हर बार की तरह, इस बार भी देश के कोने-कोने में, योग से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

साथियो, इस बार मुझे New York के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, UN में होने वाले योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मैं, देख रहा हूँ, कि Social Media पर भी, योग दिवस को लेकर गजब का उत्साह दिख रहा है।

साथियो, मेरा आप सभी से आग्रह है कि आप, योग को अपने जीवन में जरुर अपनाएं, इसे, अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। अगर अब भी आप योग से नहीं जुड़े हैं तो आने वाली 21 जून, इस संकल्प के लिए बहुत बेहतरीन मौका है। योग में तो वैसे भी ज्यादा तामझाम की जरुरत ही नहीं होती है। देखिये, जब आप योग से जुड़ेंगे तो आपके जीवन में कितना बड़ा परिवर्तन आएगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, परसों यानि 20 जून को ऐतिहासिक रथयात्रा का दिन है। रथयात्रा की पूरी दुनिया में एक विशिष्ट पहचान है। देश के अलग-अलग राज्यों में बहुत धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। ओडिशा के पुरी में होने वाली रथयात्रा तो अपने आपमें अद्भुत होती है। जब मैं गुजरात में था, तो मुझे, अहमदाबाद में होने वाली विशाल रथयात्रा में शामिल होने का अवसर मिलता था। इन रथयात्राओं में जिस तरह देश भर के, हर समाज, हर वर्ग के लोग उमड़ते हैं वो अपने आपमें बहुत अनुकरणीय है। ये आस्था के साथ ही ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का भी प्रतिबिम्ब होती है। इस पावन-पुनीत अवसर पर आप सभी को मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरी कामना है, भगवान जगन्नाथ सभी देशवासियों को अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें।
 
साथियो, भारतीय परंपरा और संस्कृति से जुड़े उत्सव की चर्चा करते हुए, मैं, देश के राजभवनों में हुए दिलचस्प आयोजनों का भी जरुर उल्लेख करूँगा। अब देश में राजभवनों की पहचान, सामाजिक और विकास कार्यों से होने लगी है। आज, हमारे राजभवन, टी.बी. मुक्त भारत अभियान के, प्राकृतिक खेती से जुड़े अभियान के, ध्वजवाहक बन रहे हैं। बीते समय में गुजरात हो, गोवा हो, तेलंगाना हो, महाराष्ट्र हो, सिक्किम हो, इनके स्थापना दिवस को, अलग-अलग राजभवनों ने जिस उत्साह के साथ celebrate किया, वह अपने आप में एक मिसाल है। यह एक बेहतरीन पहल है जो ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को सशक्त बनाती है।

साथियो, भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है। हम, अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं, अपने संविधान को सर्वोपरि मानते हैं, इसलिए, हम 25 जून को भी कभी भुला नहीं सकते। यह वही दिन है जब हमारे देश पर emergency थोपी गई थी। यह भारत के इतिहास का काला दौर था। लाखों लोगों ने emergency का पूरी ताकत से विरोध किया था। लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान इतना अत्याचार किया गया, इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी, मन, सिहर उठता है। इन अत्याचारों पर पुलिस और प्रशासन द्वारा दी गई सजाओं पर बहुत सी पुस्तकें लिखी गई हैं। मुझे भी ‘संघर्ष में गुजरात’ नाम से एक किताब लिखने का उस समय मौका मिला था। कुछ दिनों पहले ही emergency पर लिखी एक और किताब मेरे सामने आई जिसका शीर्षक है – Torture of Political Prisoners in India. Emergency के दौरान छपी इस पुस्तक में वर्णन किया गया है, कि कैसे, उस समय की सरकार, लोकतंत्र के रखवालों से क्रूरतम व्यवहार कर रही थी। इस किताब में ढ़ेर सारी case studies हैं, बहुत सारे चित्र हैं। मैं चाहूँगा कि, आज, जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो, देश की आजादी को खतरे में डालने वाले ऐसे अपराधों का भी जरुर अवलोकन करें। इससे आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी।