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सड़क का दुग्ध स्नान क्यों कर रही महिलाएं... क्या यह परंपरा है... या फिर नाराजगी का परिणाम... पढ़िए पूरी खबर

मदुरै। देश में गौरस यानी दूध का काफी महत्व है। इसका उपयोग केवल आर्थिक व्यवस्था मात्र के लिए नहीं होता, बल्कि धार्मिक उपयोग भी है। लेकिन इन दिनों सड़कों पर दूध बिखरने की खबरें लगातार आ रही हैं। य​ह गतिविधि तमिलनाडू प्रांत में चल रहा है, जो किसी परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि सरकार के विरोध का हिस्सा है। 

दरअसल, तमिलनाडू सरकार से दुग्ध विक्रेता संघ ने खुदरा मूल्य बढ़ाए जाने की मांग रखी है, लेकिन सरकार इन दूध विक्रेताओं की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। वहीं निजी दूध खरीदारों और मिल्क प्रोडक्ट निर्माता कंपनियों ने कीमतों को बढ़ाकर दूध खरीदना शुरु कर दिया है। जिसकी वजह से दूध विक्रेताओं को अपने नुकसान की चिंता सता रही है।
 
तमिलनाडु मिल्क प्रोड्यूसर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट वी. राजेंद्रन ने कहा कि किसान अपनी मांगें सरकार के सामने रखेंगे और उसे पूरा कराने की कोशिश करेंगे। एसोसिएशन ने गाय के दूध का दाम 35 रुपये से सात रुपये की वृद्धि के साथ 42 रुपये और भैंस का दूध 44 रुपये प्रति लीटर किए जाने की मांग की है। 

यह एसोसिएशन हर दिन लगभग 37 लाख लीटर खरीदता है, 26 लाख लीटर दूध के रूप में बेचता है और बाकी मात्रा को प्रोसेस्ड प्रोडक्ट में बदलता है। तमिलनाडु राज्यव्यापी आंदोलन से उपभोक्ताओं को दूध की आपूर्ति प्रभावित होने की संभावना है, क्योंकि एविन के दूध और दूध उत्पादों की मार्केटिंग पूरे प्रदेश में फैली हुई है।

एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजेंद्रन ने कहा कि संघ चाहता है कि सरकार राष्ट्रीय पशुधन मिशन कार्यक्रम के तहत दुधारू गायों के बीमा प्रीमियम के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान करे। इस बीच एक खबर इरोड से आई जहां डेयरी किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दूध सड़कों पर बहा दिए। इरोड के डेयरी किसान भी सरकार से लगातार दूध के दाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। 

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