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मध्यप्रदेश में जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 लागू... मंत्रि-परिषद ने दी सहमति

 भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक गुरुवार को मंत्रालय में हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 लागू किये जाने की स्वीकृति दी है। महा-रजिस्ट्रार कार्यालयभारत सरकार से प्राप्त प्रारूप नियम के अनुरूप मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 1999 की विभिन्न धाराओं में संशोधन किया गया है।

मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 के मुख्य बिंदुओं में जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र के डिजिटल रजिस्ट्रीकरण और इलेक्ट्रॉनिक परिदान का उपबंध, रजिस्ट्रीकृत जन्म और मृत्यु का राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय डाटाबेस तैयार करना, दत्तक ग्रहण किये गयेअनाथपरित्यक्तसरोगेट बच्चे और एकल माता-पिता या अविवाहित माता से बच्चे के रजिस्ट्रीकरण प्रक्रिया को सुगम बनाया जाना आदि शामिल है।

जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 के प्रारंभ की तारीख को या उसके पश्चात् जन्म लेने वाले किसी व्यक्ति के जन्म की तारीख और स्थान को प्रमाणित करने के लिए जन्म प्रमाण-पत्र उपयोगी है। किसी आपदा या महामारी में मृत्यु के त्वरित रजिस्ट्रीकरण और प्रमाण पत्र जारी करने के लिये विशेष "उप-रजिस्ट्रार" की नियुक्ति का उपबंध किया गया है। किसी जन्म या मृत्यु के 30 दिन के पश्चात् किंतु एक वर्ष के भीतर विलंबित सूचना की दशा में नोटरी या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी के समक्ष किसी शपथ-पत्र के स्थान पर स्व-अनुप्रमाणित दस्तावेज को प्रस्तुत करने का उपबंध किया गया है। किसी जन्म या मृत्यु के एक वर्ष के पश्चात् रजिस्ट्रार को विलंबित सूचना की दशा में आदेश करने वाले प्राधिकारी प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के स्थान पर जिला मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राधिकृत कार्यपालक मजिस्ट्रेट का उपबंध किया गया है। लोकहित में जन शिकायत निवारण के लिए रजिस्ट्रार/जिला रजिस्ट्रार द्वारा की गई कार्यवाही से व्यथित होने पर अपील का प्रावधान है और उपबंधित शास्तियों में वृद्धि की गई हैं।

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश के कृषकों की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रदेश में स्थापित 11 के.वी. फीडर्स को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत (सोलराईजेशन) किये जाने की स्वीकृति दी गई। इसके क्रियान्वयन से किसान को सिंचाई के लिये दिन में बिजली उपलब्ध होगीजिससे उनकी जीवन शैली व्यवस्थित हो सकेगी। सौर संयंत्र से 33/11 किलोवॉट विद्युत वितरण उप केन्द्रों पर स्थापित पॉवर ट्रांसफार्मर पर ओवर-लोडिंग और परिणामतः लो-वोल्टेज एवं पावर कट की समस्या कम होगी। साथ ही विद्युत उप केन्द्रों के उन्नयन पर आने वाले वित्तीय भार को बचाया जा सकेगा।

 

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