बस्तर में हुई हस्तशिल्प पर कार्यशाला, जुटें प्रदेश भर के शिल्पी
रायपुर। दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर एवं संस्कार भारती छत्तीसगढ़ द्वारा बस्तर जिला के ग्राम एर्राकोट विकासखंड तोकापाल में पारंपरिक हस्तशिल्प की 10 दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई । 9 फरवरी को प्रातः 11 बजे ग्राम एर्राकोट में आयोजित समापन समारोह में संस्कार भारती छत्तीसगढ़ के क्षेत्र प्रमुख अनिल जोशी बिलासपुर, महामंत्री हेमन्त माहुलीकर कोरबा, लोक कला विधा संयोजक रिखी राम क्षत्रिय भिलाई, सह महामंत्री एवं कार्यशाला समन्वयक डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर रायपुर एवं कार्यशाला सह समन्वयक रामेश्वर केवट चांपा उपस्थित थे।
कार्यशाला में 10 महिला एवं 10 पुरुष प्रशिक्षार्थी 10 दिनों तक ढोकरा शिल्प (बेल मेटल) निर्माण की बारीकियों से अवगत हुए। शिल्प निर्माण की प्रक्रिया के दौरान मोम का धागा निकालना, कछुआ, हिरण, आदिवासी पुरुष- महिला, सूर्य आदि शिल्प के निर्माण में मोम के धागे से कलाकृतियों पर कलाकारी करना उसके ऊपर मिट्टी का लेप लगाना, प्रत्येक कृति के नीचे पीतल धातु के टुकड़ों को व्यवस्थित जमाना, भट्टी तैयार करके उन कृतियों को उसमें गर्म करना इन सारी प्रक्रियाओं से भी अवगत हुए।
ग्राम एर्राकोट के युवा प्रशिक्षक रघुनाथ सागर एवं विजय सागर ने सभी 20 प्रशिक्षार्थियों से बेल मेटल के विभिन्न शिल्प बनवाये। सभी प्रशिक्षार्थियों को दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर के सहायक संचालक एवं नोडल अधिकारी छत्तीसगढ़ गोपाल बेतावर के हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र वितरित किए गए। महिला शिक्षार्थियों में शांति कश्यप, ममता सागर, जयंती नाग, पवंती कश्यप, राखी सागर, सुशीला, सुंदरी बघेल, सुकमति बघेल, पिंकी नाग, मीना सागर थीं। पुरुष शिक्षार्थियों में जयमन नाग, हार्डी बघेल, आमा राम कश्यप ,बुधराम कश्यप ,जयराम नाग, बेलती कश्यप, लछीन कश्यप ,तरुण कुमार कश्यप , सुकचंद बघेल ,अजय सागर थे।