- पांच दिनों में की 2400 किलोमीटर की धार्मिक यात्रा
- मैहर, त्रिवेणी संगम , काशी विश्वनाथ के साथ हनुमान गढ़ी के भी दर्शन
- महाराष्ट्र मंडल की आजीवन सभासद डा. अभया जोगळेकर ने शेयर की अपनी ट्रेवल डायरी
डेस्क। महाराष्ट्र मंडल की आजीवन सभासद डा. अभया जोगळेकर अपने साथियों के साथ 5 दिनों में 24 सौ किमी की धार्मिक यात्रा की। इस धार्मिक यात्रा का पहला पड़ाव मैहर और मुख्य पड़ाव प्रयागराज में लगा महाकुंभ रहा। इस दौरान उन्होंने अपनी इस अभूतपूर्व यात्रा को कागज के पन्नों पर संजोया। अपनी ट्रैवल डायरी में उन्होंने लिखा कि प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। 44 किलोमीटर में फैले टेंट सिटी को 25 सेक्टर में बांटा गया है। प्रशासन ने संगम तट पर 41 घाट तैयार किए हैं, जिनमें से 10 पक्के और 31 अस्थायी घाट हैं। रोज टीवी और अखबार में कुम्भ को लेकर कई रोचक जानकारियां पढ़ते वक्त यह नहीं सोचा था कि मैं भी कुंभ जाउंगी।
उन्होंने बताया कि 24 दिसंबर को प्रीति शर्मा मैडम ने पूछा कि कुंभ चले क्या? एक-एक करके लोग जुड़ते गए और अचानक सब सेट हो गया। शर्मा मैडम, उनकी बहन शीलू, मधुलिका मैडम, मैं और मेरी बिटिया मिन्टी हम पांच ने २० जनवरी को कुंभ के लिए प्रस्थान किया। मन में बहुत उत्साह था। वहां अखाड़े देखना है, साधु क्या करते है, कैसे रहते है , कुम्भ का व्यवस्थापन भी देखना था। शासन की ओर से 45 दिनों के इस कुम्भ के लिए 45 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था भी देखनी थी
पहले दिन लम्बी यात्रा
रायपुर से 20 जनवरी सुबह 6.00 बजे हमने यात्रा शुरू की, हमने वहां जाने के लिए जबलपुर वाला रास्ता चुना। रायपुर से सिमगा, कवर्धा होते हुए जब चिल्फी पहुंचे। जहां चाय पीने के लिए गाड़ी रोकी। वहां कुंभ जाने निकला एक परिवार मिला। उन्होंने हमें मैहर दर्शन की सलाह दी। चिल्फी से निकलकर हमने मंडला में मां नर्मदा के दर्शन किए। करीब शाम 5 बजे मैहर पहुंचे। वहां शारदा माता के दर्शन किए और रीवा होते हुए प्रयागराज की ओर बढे, रात में बेटे का फोन आया कि रात में ड्राइविंग मत करो पर हम अकेले नहीं थे पूरे रास्ते गाड़ियों का रेला जो था।
दूसरा दिनः दोपहर को पहुंचे प्रयागराज
21 जनवरी को दोपहर 1 बजे के करीब हम प्रयागराज पहुंचे। सरस्वती घाट पहुंचकर पता चला संगम के लिए सुबह 6 बजे पहली नाव चलेगी। रात को कही जाने का ठिकाना नहीं था तो गाड़ी में ही सोये। दिन भर के प्रवास से थक गए थे। सुबह 4 बजे सेक्टर 25 खोजने निकले, अच्छा हुआ अल सुबह खोजने निकले वरना सुबह की भीड़ में कैसे खोज पाते। आखिरकार अडवांटा टेंट एरिया मिल ही गया, सुबह चेकइन करने के बाद संगम की ओर निकले, पुनः सरस्वती घाट पहुंचकर नाव से महाकुंभ में त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। वहाँ से संगम का पानी और रेत लेकर वापस घाट पहुंचे। नाश्ता करके वापस टेंट आ गये। दोपहर 1.30 बजे से शानदार भोजन की व्यवस्था थी। शाम को कुम्भ मेले के लिए निकले किन्नर अखाड़ा में किन्नरों का वैभव देखा और फिर जूना अखाड़ा घूमकर वापस टेंट में रात्रि विश्राम किया। अल सुबह पुनः गंगा के तट पर घूमकर टेंट एरिया का पूर्ण अवलोकन किया। टेंट में रहने खाने की उत्तम इंतजाम थे।
तीसरा दिनः सुबह 6 बजे किया गंगा दर्शन
22 जनवरी सुबह ६ बजे गंगा दर्शन और हैवी ब्रेकफास्ट करने के बाद ,ट्रिप एडवाइजर मंजीत की सलाह पर मिर्जापुर होते हुए (विंध्यवासिनी मां के दर्शन कर) दोपहर 3.00 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे , भीड़ देख दर्शन का इरादा टाल दिया और गंगा दर्शन के लिए विवेकानंद क्रूज, (जिसका रिजर्वेशन पहले से कर लिया था) लेने रविदास घाट पहुंचे। शाम 4.30 से 6.30 बजे तक गंगा घाट और गंगाआरती का आनन्द लेकर, मैं और बिटिया बाकि से अलग पुनः नाव से ब्रह्मा घाट कीओर गए ताकि दादा ससुर का मकान (गोविंद स्मृति ), राम मंदिर जहां मेरे सास ससुर की शादी हुई थी वो भी देखा। घर के सामने रहने वाला मण्डलीकर परिवार से सौजन्य भेट की, वे लोग बहुत ही आत्मीयता से मिले। बिटिया बहुत उत्साहित थी बनारस की गलियां और अपने पुरखों की स्मृतियों को देख कर। रात होटल पहुंच कर भोजन कर विश्राम करना ही उचित समझा।
चौथा दिनः पहुंचे अयोध्या नगरी
23 जनवरी-सुबह 5.00 बजे दुग्धाभिषेक और बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन किए। शाम 4.00 बजे सरयू नदी के किनारे अयोध्या नगरी पहुंच गए। 23 की शाम को रामलला के प्रथम दर्शन किए।
अंतिम दिनः रामलला की मंगला आरती
24 जनवरी की सुबह 4.30 बजे रामलला की मंगलारती में शामिल होने के लिए रात 2 बजे उठना, नहाना और घने धुंध में टैक्सी लेकर 4 बजे मंदिर पहुंचना भी एक अनुभव था। आधे घंटे तक रामलला के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। सुबह 5 बजे मंगल आरती की समाप्ति के बाद पहुंच गए हनुमान गढ़ी। सुबह 6.00 बजे की पहली आरती मिल गई, हनुमानजी का आशीर्वाद लेकर, तंदूरी चाय का स्वाद लिया, मिटटी के कुल्हड़ की चाय से सारी थकावट दूर हो गई। सुबह 6.30 की श्रृंगार आरती का पास शीलू को मिला था। 7 बजे मंदिर से बाहर आने के बाद पुनः हम सब हनुमान गाढ़ी गए। सबके दर्शन और फोटोग्राफी होने के बाद होटल आ गए। निर्धारित तीर्थाटन पूरा कर सुबह 10 बजे रायपुर के लिए प्रस्थान किया। रात में सफर, चिल्फी का 20 किलोमीटर लम्बा जाम मिला। आखिरकार सकुशल घर पहुंच गए।
पांच दिनों में 2400 किलोमीटर की धार्मिक यात्रा
20 से 24 जनवरी तक इन पांच दिनों में 2400 किलोमीटर की धार्मिक यात्रा ( मैहर की शारदा देवी , त्रिवेणी संगम, विंध्यवासिनी देवी, काशी विश्वनाथ, काल भैरव, संकट मोचक हनुमान, राम मंदिर, हनुमान गढ़ी) इनोवा क्रिस्टा से करके हम पांच महिलाएं, जिसमें चार 60 प्लस की सीनियर सिटीजन थे और मेरी बिटिया मिन्टी के साथ पूर्ण की।
देखी बनारस की फक्कड़ अमीरी
नागा साधु, किन्नर, सवा लाख रूद्राक्ष वाले साधु महाराज, विभिन्न मंडप, गंगा आरती, आलू की सब्जी, पूरी, कचोरी, सुलतनपुर के ताजे मटर, अवमलाइयो, मलाई पूरी, मलाई सैंडविच, चाट, पकोड़े हमेशा दिल और दिमाग में रहेंगे। एक बार आप भी उत्तरप्रदेश घूम आये और गंगा जमुना तहजीब का मजा लें। बनारस की बात ही कुछ और है, जो यहां नहीं गया उसने बहुत मिस किया है। गलियां घूमने का मन हो और फक्कड़ अमीरी देखनी हो तो बनारस जरूर जाये।