एक साथ शुक्रवार को मनाए जाएंगे तीन पर्व... बेहद खास है यह दिन... फल प्राप्ति के लिए करें यह काम
2023-05-18 05:29 PM
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शनि जयंती इस बार 19 मई यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी। शनि जयंती ज्येष्ठ अमावस्या के कृष्ण पक्ष के दिन मनाई जाती है। इस दिन ज्येष्ठ अमावस्या और वट सावित्री व्रत का त्योहार भी मनाया जाएगा। ये तीनों ही त्योहार एक ही दिन में पड़ रहे हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई को रात 09 बजकर 42 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, वट सावित्री व्रत इस बार 19 मई यानी कल ही रखा जाएगा।
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में बेहद खास त्योहार माना जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए रखती हैं और कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है। यह ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है।
इस बार की शनि जयंती बेहद खास मानी जा रही है। शनि जयंती के दिन इस बार शोभन योग का निर्माण होने जा रहा है। यह शोभन योग 18 मई को शाम 07 बजकर 37 मिनट से लेकर 19 मई को शाम 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। वहीं, शनि जयंती के दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में विराजमान होंगे, इससे गजकेसरी योग का निर्माण होगा। शनि अपनी कुंभ राशि में विराजमान होकर शशयोग का निर्माण करेंगे।
शास्त्रों के अनुसार, शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। इस दिन प्रात: काल उठकर स्नान आदि कर लें। शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें। उनके चरणों में काले उड़द और तिल चढ़ाएं। इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें। इस दिन व्रत करने से भी शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शनि जयंती के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराना बेहद शुभ फल देता है।
माना जाता है कि इस दिन दान आदि करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। आमतौर पर लोगों में शनिदेव को लेकर डर देखा गया है। कई ऐसी धारणाएं बनी हुई हैं कि शनिदेव सिर्फ लोगों का बुरा करते हैं, पर सत्य इससे बिल्कुल परे है। शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसकी सजा तय करते हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही उसे फल देती है।
शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्र बताए गए हैं। इन मंत्रों के जाप से शनिदेव प्रसन्न भी होंगे और जीवन के संकट भी दूर होंगे। शनि जयंती की शाम को पश्चिम दिशा की ओर एक दीपक जलाएं। इसके बाद "ऊं शं अभयहस्ताय नमः" का जप करें और कम से कम 11 माला "ऊं शं शनैश्चराय नमः" का जप करें। इसके अलावा, " ऊं नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम" मंत्र का जाप करने से भी शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है।