बोतलों में भरकर पानी पीना... सेहत के लिए कितना सही... रिसर्च में हुआ खुलासा है चौंकाने वाला
2023-03-15 11:52 AM
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डेस्क। आमतौर पर घर से निकलने से पहले ज्यादातर लोग घर से पानी की बोतल और टिफिन लेकर निकलते हैं, ताकि बाहर के खाने और पीने से खुद को बचा सकें। कुछ लोग पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन खुद की सेहत को बचाने के फिराक में ज्यादातर लोग टॉयलेट सीट से 40 हजार गुना ज्यादा बैक्टीरिया का सेवन कर जाते हैं।
इसका खुलासा अमेरिका में किए गए रिसर्च के बाद किया गया है, जिसमें अमेरिकी रिसर्च का दावा है कि प्लास्टिक, स्टील या तांबे में सामान्यत: पानी भरकर इंसान खुद को भुलावे में रखता है कि वह अपने सेहत के प्रति कहीं ज्यादा सतर्क और संवेदनशील है। अमेरिकी रिसर्च के मुताबिक अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली बोतलों में टॉयलेट सीट से 40 हजार गुना ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं।और ये मानव शरीर के लिए बेहद हानिकारक हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इससे हमें आंतों के रोग भी हो सकते हैं।
हम सभी बोतलबंद पानी पीते हैं। हम जहां भी जाते हैं, चाहे ऑफिस जाते हैं या घूमने जाते हैं, हम अपनी पानी की बोतल अपने साथ लेकर जाते हैं। उनमें से हर कोई स्टील या तांबे की बोतल या तांबे की बोतल खरीदना पसंद करता है जो दिखने में बेहतर और लंबे समय तक चलती है। कई लोग अपनी बोतल को हफ्ते में एक बार धोते हैं और कुछ लोग हफ्ते में दो या तीन बार बोतल को धोते हैं । तो ऐसा लगता है कि वे साफ हो गए हैं। लेकिन हम कभी नहीं सोचते कि ये पानी की बोतलें जानलेवा हो सकती हैं। इस रिसर्च में कहा गया है कि दोबारा इस्तेमाल में लाई जा सकने वाली पानी की बोतलें बहुत खतरनाक होती हैं।
अमेरिका स्थित वॉटरफिल्टरगुरु डॉट कॉम के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक अध्ययन में पाया कि अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली पानी की बोतलों में टॉयलेट सीट की तुलना में औसतन लगभग 40,000 गुना अधिक बैक्टीरिया हो सकते हैं। शोधकर्ताओं की एक टीम ने इन बोतलों और उनकी युक्तियों का अध्ययन किया जिसमें उन्हें हजारों बैक्टीरिया मिले। बता दें कि इन बैक्टीरिया के कारण एंटीबायोटिक दवाइयों का भी असर शरीर को नहीं पड़ता है।
इस खुलासे के बाद इंपीरियल कॉलेज लंदन के मानव विज्ञानी डॉ. एंड्रयू एडवर्ड्स ने कहा कि इन बोतलों ने लोगों के मुंह में कीटाणुओं का घर बना दिया है। इसके अलावा शोध से यह भी पता चला है कि Reusable Water Botals को दिन में कम से कम एक बार गर्म पानी और साबुन से धोना चाहिए।