विजेताओं की घोषणा: 'एनालॉग और डिजिटल डिज़ाइन हैकथॉन' (2,210 टीमों, 10,040 छात्रों ने भाग लिया)
स्वदेशीकरण को बढ़ावा: मेसर्स वर्वेसेमी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड 90% बीओएम के साथ बीएलडीसी मोटर कंट्रोलर चिप डिजाइन करेगा, जो ‘मेड इन इंडिया’ होगा
अगली बड़ी छलांग: ‘डिजिटल इंडिया आरआईएससी-वी (डीआईआर-वी) ग्रैंड चैलेंज’ का शुभारंभ
नई दिल्ली | चिप डिज़ाइन को एक रणनीतिक आवश्यकता मानते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) अपनी श्रृंखलाबद्ध एवं सक्रिय पहलों के साथ, पूरे देश में 300 से अधिक संगठनों (जिसमें 250 शैक्षणिक संस्थान और 65 स्टार्ट-अप कंपनियां शामिल हैं) में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन दृष्टिकोण को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया में है। इन कदमों का उद्देश्य रचनात्मक सक्षमता वाले युग की शुरुआत करना है, जहां देश में कहीं से भी, स्वभाविक कौशल वाला कोई भी व्यक्ति सेमीकंडक्टर चिप्स डिज़ाइन कर सकता है। इस प्रक्रिया में, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप कि 'भारत में डिज़ाइन उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मेक इन इंडिया', चिप डिज़ाइन को लोकतांत्रिक बनाया जाएगा।

सी2एस कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन में विशेषज्ञता प्राप्त बी.टेक, एम.टेक और पीएचडी स्तर पर उद्योग-अनुकूल 85,000 मानव संसाधन तैयार करना है। यह कार्यक्रम चिप डिज़ाइन, निर्माण एवं परीक्षण में छात्रों को पूर्ण व्यावहारिक अनुभव प्रदान करके एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। इसे नियमित प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से उद्योग सहयोगियों की भागीदारी से प्राप्त किया जाता है, और छात्रों को चिप डिज़ाइन, निर्माण और परीक्षण संसाधनों, जैसे ईडीए उपकरणों, अपने चिप्स के निर्माण के लिए सेमीकंडक्टर फ़ाउंड्रीज़ तक पहुंच प्रदान करके मेंटॉरशिप और सहायता प्रदान किया जाता है। इन अवसरों में एएसआईसी, एसओसी और आईपी कोर डिजाइनों के कार्यशील प्रोटोटाइप के विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है।
चिपइन केंद्र सी2एस कार्यक्रम के अंतर्गत स्थापित किया गया है, यह सी-डैक में स्थापित सबसे बड़े सुविधाओं में से एक है, जिसका लक्ष्य देश में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन समुदाय के दरवाज़े पर चिप डिज़ाइन अवसंरचना लाना है। यह एक केंद्रीकृत डिजाइन सुविधा है, जो न केवल 5एनएम या उन्नत नोड तक जाने वाले संपूर्ण चिप डिजाइन चक्र के लिए सबसे उन्नत उपकरणों की मेजबानी करती है, बल्कि फाउंड्री और पैकेजिंग में डिजाइन के निर्माण के लिए समग्र सेवाएं भी प्रदान करती है।
‘बीएलडीसी कंट्रोलर चिप’ की निम्नलिखित विशेषताएं हैं: आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर समाधान के लिए 90% बीओएम भारत में निर्मित, 1.50 डॉलर से कम में पूर्ण पावर एवं नियंत्रण समाधान तथा 10 मिलियन यूनिट/वर्ष की स्केलेबिलिटी आदि।
वर्वेसेमी एक फेबलेस सेमीकंडक्टर कंपनी है जिसकी स्थापना 2017 में हुई और यह अत्याधुनिक डेटा कन्वर्टर्स और विभेदित एनालॉग आईपी की विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए सेंसर और वायरलेस के लिए उच्च प्रदर्शन करने वाली एएसआईसी विकसित कर रही है। वर्वेसेमी के आईसी को सैमसंग, यूएमसी, टीएसएमसी, एसएमआईसी पीएसएमसी के 8एनएम, 22एनएम, 28एनएम, 40एनएम, 55एनएम, 90एनएम, 180एनएम, 110एनएम नोड पर प्राप्त किया गया है।
“देश ने सेवा उद्योग में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं और यह लगातार आगे बढ़ रहा है, इसलिए अब इसे एक उत्पादक राष्ट्र बनना चाहिए। सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर उत्पादों के विकास पर आज की घोषणाएं उस लक्ष्य की प्राप्ति की ओर कुछ सफल कदम हैं।”
ये समाधान एक व्यापक श्रेणी के हिस्सेदारों से आने चाहिए, जिसमें सभी स्तरों के विश्वविद्यालय, स्टार्ट-अप, छात्रों एवं शोधकर्ताओं कीच भागीदारी शामिल है, न कि केवल कुछ चुनिंदा लोगों की।
इन समाधानों को प्राप्त करने के लिए वृद्धिशील लेकिन प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। कुछ चिप्स का मूल्य कम हो सकता है लेकिन उनका वितरण संभावना उच्च हो सकता है, जबकि अन्य का मूल्य उच्च हो सकता है लेकिन वितरण संभावना सीमित हो सकती है। पूरे स्पेक्ट्रम को लक्षित करना चाहिए। आज घोषित बीएलडीसी कंट्रोलर चिप विकास में महत्वपूर्ण मात्रा तैनाती की क्षमता है, आरआईएससी-वी, जो ओपन-सोर्स है, सीपीयू, जीपीयू और देश के लिए स्थायी उत्पादों के डिज़ाइन में इसके उपयोग के कारण बहुत उच्च मूल्य रखता है।
भारत आज नए उद्यमियों एवं शोधकर्ताओं के लिए सेमीकंडक्टर सिस्टम, उपकरणों और भविष्य के उत्पादों को डिजाइन और पुनः परिभाषित करने के क्षेत्र में अग्रणी होने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। भारत सरकार और एमईआईटीवाई का "चिप्स टू स्टार्ट-अप (सी2एस) कार्यक्रम" देश की मजबूत एवं आत्म-निर्भर सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की अविचल प्रतिबद्धता के अनुरुप है, जो इंजीनियरों, शोधकर्ताओं एवं उद्यमियों की अगली पीढ़ी को भारत की तकनीकी प्रगति को आगे बढ़ाने और देश को एक वैश्विक शक्ति के रूप में विकसित करने के लिए सशक्त बना रहा है।