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रविवार को व्रत के साथ कर लें यह काम... बनते जाएंगे बिगड़े हुए काम... मिलेगी स्वस्थ काया

हिन्दू धर्म में हर दिन का अलग महत्व होता है। प्रत्येक दिवस किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। मान्यता है कि उस दिन उसी भगवान की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इसी तरह से रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं। हिन्दू धर्म में रविवार को सर्वश्रेष्ठ वार माना गया है। मान्यता है कि अगर रविवार के दिन व्रत किया जाए और सच्चे मन से आराधना की जाए तो व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है तो आइए जानते हैं कि कितने रविवार व्रत करना चाहिए और क्यों करना चाहिए।

पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के अर्घ्य दान की विशेष महत्ता बताई गई है। प्रतिदिन प्रात:काल में तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्य दान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।

— प्रतिदिन सूर्योदय से पहले ही शुद्ध होकर स्नान कर लेना चाहिए।
— नहाने के बाद सूर्य नारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें।
— संध्या के समय फिर से सूर्य को अर्घ्य देकर प्रणाम करें।
— सूर्य के मंत्रों का जाप श्रद्धापूर्वक करें।
— आदित्य हृदय का नियमित पाठ करें।
— स्वास्थ्य लाभ की कामना, नेत्र रोग से बचने एवं अंधेपन से रक्षा के लिए 'नेत्रोपनिषद्' का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए।
— रविवार को तेल, नमक नहीं खाना चाहिए तथा एक समय ही भोजन करना चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार लगातार 1 वर्ष तक हर रविवार ये व्रत करने से हर तरह की शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है। 30 या 12 रविवार तक इस व्रत को करने के भी विशेष लाभ हैं। शास्त्रों में लिखा है कि सूर्य का व्रत करने से काया निरोगी तो होती ही है, साथ ही अशुभ फल भी शुभ फल में बदल जाते है। अगर इस दिन व्रत कथा सुनी जाए तो इससे मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है। यही नहीं अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो उसे यह व्रत अवश्य करना चाहिए।

इस व्रत को करने से पहले ये संकल्प लेना जरूरी है कि कितने रविवार ये व्रत किया जाएगा। इसके बाद आने वाले रविवार से इसे शुरू कर सकते हैं। रविवार सुबह लाल रंग के कपड़े पहनकर सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को जल, रक्त चंदन, अक्षत, लाल पुष्प और दुर्वा से अर्घ्य देकर पूजा करें। भोजन सूर्यास्त के बाद ही करें और इसमें गेहूं की रोटी, दलिया, दूध, दही और घी का उपयोग अवश्य करें। व्रत रखकर अच्छा भोजन बनाकर खाना चाहिए। जिससे आपके शरीर को भरपूर ऊर्जा मिले। भोजन में आप इस दिन नमक का प्रयोग ऊपर से न करें और सूर्यास्त के बाद नमक भूलकर भी न खाएं। इस दिन चावल में दूध और गुड़ मिलाकर खाने से सूर्य के बुरे प्रभाव आप पर नहीं पड़ते।

— रविवार को तेल और नमक का सेवन न करें।
— मांस या मदिरा से पूरी तरह दूरी बनाए रखें।
— रविवार को बाल न कटवाएं और तेल की मालिश भी न करें।
— तांबे की धातु से बनी वस्तु न खरीदें और न ही बेचें।
— नीले, काले और ग्रे रंग के कपड़े न पहनें और यदि जरूरी न हो तो जूते पहनने से भी बचें।

— ऐसा कोई काम न करें, जिसमें दूध किसी भी प्रकार से जलाया जाए।