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नवजात को झाड़ी या कूड़ेदान में ना फेंके... आश्रय पालना स्थल में छोड़ दें... मेडिकल कॉलेज की बड़ी अपील

आमतौर पर देखने में आता है कि कुछ लोग अपनी जवानी की मदहोशी में आने वाले कल की परवाह नहीं करते, जिसका परिणाम कोख में अनचाही संतान के तौर पर सामने आता है। अपनी कालातीत गलतियों को छिपाने के लिए कुछ या तो उस बच्चे को दुनिया में आने से पहले ही कोख में मार देते हैं, या फिर जन्म के तत्काल बाद नवजात को किसी कूड़ेदान या झाड़ियों में फेंक देते हैं। 

इन परिस्थितियों में ऐसे नवजात या तो आवारा कुत्तों का निवाला बन जाते हैं, या फिर बुरी तरह से बीमार पड़कर मौत की नींद सो जाते हैं। कुछ मामलों में संवेदनशीलता का परिचय दिया जाता है, जहां ऐसे लोग उन बच्चों को अस्पताल तक पहुंचा देते हैं, उनका उपचार करा देते हैं और अनाथ आश्रमों में उनका दाखिला तक करा देते हैं। पर सच्चाई यह है कि इनमें से ज्यादातर मामलों में ऐसे नवजात बच्चों की जिंदगी तबाह हो जाती है। 

इन हालातों को देखते हुए उत्तरप्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज ने एक बड़ी पहल की है। ओम शंकर चौरसिया, HOD, झांसी मेडिकल कॉलेज, उत्तर प्रदेश ने बताया कि हम देखते हैं कि कोई अपने बच्चे को कुड़ेदान में तो कोई झाड़ी में छोड़ देता है तो हमने एक पहल की है। कोई भी व्यक्ति इस पालने में अपना बच्चा छोड़ सकता है, उस पर कोई FIR भी नहीं किया जाएगा। कई बार हमारे पास बच्चे काफी दयनीय स्थिति में आते हैं, हम किसी-किसी की जान नहीं भी बचा पाते हैं। ऐसे बच्चे हमारे पास पर्याप्त समय से आ जाएंगे तो हम उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान कर पाएंगे । 
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