‘रामलला की माता‘ नाटक की प्रस्तुति 17 दिसंबर को
रायपुर। आर्ट आफ लिविंग की थियेटर टीम आश्रम मंडली के तत्वावधान में ‘रामलला की माता‘ नाटक का मंचन 17 दिसंबर की शाम 7.30 बजे पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, रायपुर में किया जाएगा। इन नाटक के जरिए आर्ट आफ लिविंग की आश्रम मंडली त्रेतायुग में माताओं के बलिदान को रेखांकित करेगी। किस तरह माताओं ने मोह त्यागकर बलिदान के माध्यम से मानव कल्याण का पथ प्रशस्त किया, यह नाटक की विशेषता होगी।
एक मां ही अपनी संतान का चरित्र गढ़ती है। कैकेई एक मां ही थीं, जिन्होंने साधारण राजकुमार श्रीराम को भगवान राम बना दिया और युगों के कलंक को हंसते-हंसते स्वीकार कर लिया। माता कौशल्या व सुमित्रा ने कितना बड़ा अनोखा त्याग किया। माता समान मंथरा के अनोखे पात्र को कौन भुला सकता है। कैसे स्वयं को कठघरे में खड़ा कर भी जगत का भला सुनिश्चित किया। माताओं ने कैसे राजकुमारों को वन जाने दिया। कैकेये ने कैसे स्वयं को इतिहास में आलोचनीय बनवाकर भी राक्षसों का अंत सुनिश्चित करने का बड़ा अनुष्ठान कर दिखाया। यह सब इस नाट्य प्रस्तुति के अंग होंगे।
नाटक की रचना आज के समय में बालकों के प्रति माताओं के धर्म को रेखांकित करता है। साथ ही मातृभक्ति की भावना को भी रेखांकित करता है। इस नाटक में ऐसे संवाद रखे गए हैं जो मोटिवेशनल हैं। प्रत्येक अभिनेता की भाव-भंगिमा पात्र के अनुकूल है। नेपथ्य से लेकर मंचीय संगीत का मिश्रण कमाल का है। इससे परिवार में संस्कार घुलते हैं। जीवन में परिवर्तन आता है। गुरूदेव श्री श्री रविशंकर की शिक्षाओं के अनुरूप ही इस नाट्य को रंग दिया गया है।