आदिवासी समाज प्रकृति को मानता है। जन-जन को मानने वाले ही जनजातीयः कौशिल्या देवी साय
रायपुर। राजधानी स्थित डा. राधा बाई नवीन कन्या महाविद्यालय में 16 दिसंबर को भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक नेता और लोक नायक बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रुप में मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष एवं छात्राओं द्वारा राजकीय गीत के साथ किया गया। महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा जशपुरिया मांदर गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पत्नी कौशिल्या देवी साय थी। उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत राधे-राधे से करते हुए ॐ त्रंयबक का मंत्रोच्चार करते कहा कि शासन की कल्याणकारी योजनाओं के फलस्वरूप जनजातियों के जीवन स्तर में सुधार आया है। जनजातीय आदिवासी समाज अपने अतीत को संभाल कर रखना।
श्रीमती साय ने कहा कि 21 सदीं नारी का है, लेकिन हमें मर्यादित आचरण करना चाहिए। नारी के बिना समाज का कोई अस्तित्व नहीं है। आदिवासी समाज प्रकृति को मानता है। जन-जन को मानने वाले ही जनजातीय है। भारतीय संस्कृति हमें अपने कर्तव्यों का बोध कराती है। हमें अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ जरुर लगाना चाहिए। दो पेड़ वसुंधरा के नाम का संदेश दिया। अपने शिक्षा का सहयोग उपयोग करें। अधिक से अधिक लोगों का कल्याण करें। विद्यार्थी की सफलता ही गुरु दक्षिणा है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रामनाथ कश्यप ने अपने उद्बोधन में कहा कि अंग्रेजों ने भारतीय और जनजाति संस्कृति को कुचलने का काम किया। जनजातियों की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति रही है। वर्तमान भारत के निर्माण में भारतीय जनजातीय समाज ने अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है। अतीत से लेकर वर्तमान तक इन जनजातीय समाजों का गौरवशाली इतिहास है। इस समाज ने अपनी कर्मठता, सहजता, सरलता और सत्य निष्ठा के लिए विश्व में ख्याति अर्जित की है। प्रकृति के साथ जीवन जीते इस समाज में औषधीय पहचान की अद्भुत क्षमता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ प्रीति मिश्रा ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि जनजातीय समाज में मातृसत्तात्मक व्यवस्था है, जहां महिलाओं को विशेष महत्व दिया जाता है। आदिवासी समाज की महिलाएं समाज के सभी क्षेत्रों में प्रमुख स्थान प्राप्त किए हैं। कार्यक्रम में आरआर फिल्म का कोमड़म भीमडू गीत प्रदर्शित किया गया। जनजातीय संस्कृति तथा कला पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई।