रायपुर। छत्तीसगढ़ के महाविद्यालयों में सालों से सेवाएं दे रहे अतिथि व्याख्याताओं को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। अपनी मांगों को लेकर अतिथि व्याख्याता संघ लगातार मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री और प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें शिक्षाकर्मी के बराबर का भी सम्मान और अधिकार नहीं मिल रहा है। अब जबकि शासन ने प्रदेश के अनियमित और संविदा कर्मियों की जानकारी मंगाई है, उसे लेकर भी अतिथि व्याख्यातों को डर सताने लगा है, क्योंकि ज्यादातर महाविद्यालय अनियमित और संविदा कर्मियों में अतिथि व्याख्याताओं के नाम का जिक्र नहीं कर रहे हैं, बल्कि उसके स्थान पर निरंक लिखा जा रहा है।
क्या है पूरा मामला
साल 2023 का बजट सत्र 1 मार्च से शुरु होने वाला है। यह भूपेश सरकार का 5 वां बजट होने के साथ ही चुनावी बजट है। इस बजट सत्र में सरकार हर वर्ग के लोगों को सौगात देने का प्रयास करेगी। ऐसे में कर्मचारी वर्ग कैसे अछूता रह सकता है। लिहाजा सरकार के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से अनियमित और संविदा कर्मियों के साथ ही रिक्तियों की पूरी जानकारी मंगाई है। प्रशासनिक सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के मुताबिक इन जानकारियों के आधार पर अनियमित और संविदा कर्मियों को नियमितीकरण की सौगात मिल सकती है, हालांकि इसमें नियम और शर्तें भी शामिल होंगे।
क्यों सता रहा डर
प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में बड़ी तादाद में लोग अतिथि व्याख्याता के तौर पर सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यूं कहा जाए कि इन अतिथि व्याख्याताओं की बदौलत ही प्रदेश के युवाओं को सही उच्च शिक्षा मिल रही है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। शासन ने उच्च शिक्षा विभाग से भी इन अतिथि व्याख्याताओं की जानकारी मंगाई है, लेकिन चर्चा है कि अधिकांश महाविद्यालयों में सेवारत अतिथि व्याख्याताओं को अनियमित या संविदा कर्मी नहीं माना जा रहा है। उनकी जानकारी भेजने की बजाय निरंक लिखकर जानकारी भेजी जा रही है, जिसकी वजह से अतिथि व्याख्याताओं को डर सताने लगा है कि कहीं महाविद्यालय की नासमझी और उच्च शिक्षा विभाग की गलती का परिणाम उन्हें ना भुगतना पड़ जाए।
बड़ी सौगात की संभावना
प्रशासनिक गलियारों में जिस तरह की चर्चा है, उसके मुताबिक भूपेश सरकार प्रदेश के अनियमित और संविदा कर्मियों को नियमितीकरण का लाभ देकर हर वर्ग को साधने की तैयारी में है। लिहाजा माना जा रहा है कि सालों से अपनी सेवाएं दे रहे अनियमित कर्मियों को नियमितीकरण की बड़ी सौगात मिल सकती है। बस शर्त इतनी है कि सरकार की इस नेक नीयत पर प्रशासनिक गलती भारी ना पड़ जाए।