पोलियो उन्मूलन के लिए विष्णुदेव साय व श्याम बिहारी जायसवाल की सराहनीय भूमिका
रायपुर | एमसीबी जिले ने पोलियो उन्मूलन के प्रयासों में एक अग्रणी भूमिका निभाई है। इस सफलता के पीछे राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल की अहम भूमिका रही है, जिनके नेतृत्व में राज्य ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाया और पोलियो के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया। पोलियो (पोलियोमाइलिटिस) एक संक्रामक बीमारी है जो पोलियोवायरस के कारण होती है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है, जिससे उनकी मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और स्थायी विकलांगता या मृत्यु भी हो सकती है।
एक समय था जब यह बीमारी दुनियाभर में विकराल रूप ले चुकी थी, और लाखों बच्चे इससे प्रभावित हो रहे थे। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ जैसी वैश्विक संस्थाओं ने पोलियो उन्मूलन के लिए व्यापक अभियान शुरू किए, जिसमें टीकाकरण एक मुख्य हथियार बना। भारत में पोलियो का आखिरी मामला 2011 में सामने आया था, और 2014 में देश को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया। यह एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन इस यात्रा में राज्यों का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने पोलियो उन्मूलन की दिशा में जो कदम उठाए, वे पूरे देश के लिए प्रेरणा बने।
पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जो आमतौर पर छोटी उम्र में भी लोगों को अपना शिकार बना लेती है। यही वजह है कि इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों को इस गंभीर बीमारी के बुरे परिणामों के बारे में बताने के साथ ही इससे निपटने के तरीकों के बारे में भी जानकारी देता है। भारत को भले ही पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है, लेकिन आज भी दुनियाभर में कई लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1985 में की गई थी। यह दिन रोटरी इंटरनेशनल द्वारा बनाई गई पहली पोलियो वैक्सीन टीम के प्रमुख चिकित्सा शोधकर्ता जोनास साल्क के प्रयासों के सम्मान में मनाया जाता है। तब से लेकर आज तक हर साल 24 अक्टूबर को यह दिन मनाया जाता है।
पोलियो के प्रति जागरूकता फैलाने वाला यह दिन हर साल किसी खास थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल वर्ल्ड पोलियो डे की थीम है: "हर बच्चे तक पहुंचने के लिए एक ग्लोबल मिशन" पोलियो, जिसे पोलियोमाइलाइटिस भी कहा जाता है, एक बेहद संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। इसकी वजह से प्रभावित बच्चे को पैरालिसिस होता है और कभी-कभी मौत भी हो जाती है। ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए 1988 में ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनीशिएटिव (GPEI) जैसी पहल की शुरुआत के बाद से, दुनिया भर में पोलियो के मामलों को कम करने में मदद मिली है। इस पहल के बाद पोलियो के मामलों में 99% से ज्यादा की गिरावट आई है और पोलियो अब केवल कुछ ही देशों में स्थानिक बीमारी है।
छत्तीसगढ़, जो अपने आदिवासी और ग्रामीण आबादी के लिए जाना जाता है, पोलियो उन्मूलन की दिशा में एक चुनौतीपूर्ण राज्य रहा है। राज्य की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या की विविधता और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में आने वाली समस्याएं इसे और अधिक चुनौतीपूर्ण बनाती हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने पोलियो उन्मूलन के लिए कई अहम कदम उठाए। स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए राज्य में एक मजबूत टीकाकरण अभियान शुरू किया गया, जिसमें विशेष ध्यान उन ग्रामीण और आदिवासी इलाकों पर था, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच कम थी।
पोलियो उन्मूलन के लिए सरकार और जनता का सहयोग अत्यंत आवश्यक होता है। विष्णुदेव साय और श्यामबिहारी जायसवाल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों और समाजसेवियों का भी बड़ा योगदान रहा है। पोलियो टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई जन जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए, जिनके तहत लोगों को पोलियो के खतरे और टीकाकरण के महत्व के बारे में जानकारी दी गई। छत्तीसगढ़ पोलियो उन्मूलन की दिशा में जो सफलता हासिल की है वह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल की दूरदर्शिता और नेतृत्व का परिणाम है। उनके प्रयासों से न केवल एमसीबी जिला बल्कि पूरा छत्तीसगढ़ पोलियो मुक्त होने की दिशा में अग्रसर हुआ है।