दिव्य महाराष्ट्र मंडल

महाराष्ट्र मंडल की वरिष्ठ सदस्य चारुशीला का कीर्तन सुनते- सुनते भीग जाती हैं आंखें

- महाराष्ट्र मंडल के चौबे कॉलोनी केंद्र की वरिष्ठ सदस्य आध्यात्मिक क्षेत्र में बटोर रही प्रसिद्धि

रायपुर। ढोल- मंजीरा के साथ चारुशीला देव का कीर्तन सुनने वाले भक्तगण अपने आप में ही खो जाते हैं। शबरी पर आधारित कीर्तन को जब सुनो, तो पता ही नहीं चलता की आंखों से कब आंसू बहने लगे हैं।

चौबे कालोनी निवासी चारुशीला देव शबरी के माध्यम से संपूर्ण तन- मन से, निस्वार्थ भक्ति भाव से, ईश्वर को प्राप्त करने के लिए निरंतन काल तक प्रतीक्षा करने की और ईश्वर मिलते ही भवसागर पार करने की जो सीख देतीं हैं, वह अभूतपूर्व है। महाराष्ट्र मंडल के चौबे कॉलोनी केंद्र की वरिष्ठ आजीवन सभासद और आध्यात्मिक समिति की महत्वपूर्ण सदस्य चारुशीला देव केवल शबरी को लेकर ही संगीतमय कीर्तन प्रस्तुत नहीं करती, बल्कि रामराज को लेकर उनके कीर्तन की प्रस्तुति दर्शनीय व श्रवणीय होता है। इसमें राम के चरित्र को उजागर कहते हुए चारुशीला देव अपने कीर्तन में कहतीं हैं कि कैकई माता की जिद व आदेश पर जब भगवान श्रीराम वनवास जाते हैं, तो वह भरत को किस तरह संयमित रहने, माता के प्रति क्रोध भाव न रखकर उनके साथ हमेशा सम्मानजनक व्यवहार करने की सीख देते हैं।

महाराष्ट्र मंडल की वरिष्ठ सदस्य अपर्णा कालेले के अनुसार महाराष्ट्र में मराठी नाटकों और लावणी का एक विशेष स्थान है। ठीक इसी तरह कीर्तन को सुनने, मंत्रमुग्ध हो जाने वाले भक्तगणों की संख्या खासी बड़ी है। अपर्णा बतातीं हैं कि कीर्तन करने की कई पद्धतियां होती जैसे नारदीय कीर्तन, शास्त्रीय संगीत संग कीर्तन, रामदासी कीर्तन और महाराष्ट्र में सबसे लोकप्रिय माने जाने वाला वारकरी संगीत कीर्तन।

अपर्णा के अनुसार महाराष्ट्र में कीर्तन के इन सभी स्वरूपों को छत्तीसगढ़ के मराठी समाज में और मंदिरों में आमतौर पर सुना जाता है। चारुशीला देव ने रामनवमी के मौके पर विभिन्न मंदिरों में जो कीर्तन प्रस्तुत किया, उसे सुनकर भक्तगण नि:शब्द हो गए हैं। कीर्तन में आमतौर पर एक विषय का चयन किया जाता है और उसके संदर्भ में सारी बातें की जाती हैं। चारुशीला देव के कीर्तन की अपनी विशिष्ट शैली है। वह केवल एक पत्र या एक घटना विशेष पर आधारित कीर्तन ही नहीं करतीं बल्कि उनके कीर्तन का कई प्रेरक व्यक्तित्व देखने सुनने को मिलते हैं।‌

अपर्णा कालेले के मुताबिक चौबे कॉलोनी में दूसरी पीढ़ी की टीम भी अब विभिन्न स्थानों पर जाकर सुमधुर भजन प्रस्तुत करने में सक्षम हुई हैं और यह गौरवान्वित करने वाली बात है। इस टीम के साथ मिलकर आराधना नाम के ग्रुप में विभिन्न स्थानों पर भजन, गायन और कीर्तन की प्रस्तुति के लिए चौबे कॉलोनी केंद्र की महिलाएं जाते रहतीं हैं।