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मुनाफे का सौदा है 'काला गेहूं'... तो घातक बीमारियों के लिए रामबाण... है महंगा, फिर भी बढ़ रही देश में इसकी मांग

आपने अभी तक हल्के पीले रंग का गेहूं ही आम तौर पर देखा होगा, जिसका सफेद रंग का आटा हम रोजाना उपयोग करते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में किसानों का रुझान काले गेहूं की खेती की ओर बढ़ रहा है। यहां के किसान जबर्दस्त मुनाफे के लिए तेजी से काला गेहूं उगाने की ओर बढ़ रहे हैं। इसके औषधीय गुणों और लाफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों पर कारगर रूप से असरकारक होने के चलते शहरी लोगों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में किसानों को इसकी पैदावार में जबर्दस्त फायदा भी मिल रहा है। 

250 एकड़ में हो रही है काला गेहूं की खेती 
जिले में काले गेहूं की पैदावार काफी बढ़ी है। इस बार जिले में 200 से अधिक किसानों ने 250 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में काले गेहूं का उत्पादन किया है। स्थानीय स्‍तर पर इसे छह हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर खरीदा जा रहा है जबकि बड़े शहरों में इसकी कीमत 10 से 12 हजार रुपये तक मिल रही है। स्‍थानीय प्रशासन भी किसानों को इस बेहद पोषक अनाज माने जा रहे गेहूं की खेती के लिये प्रोत्‍साहित कर रहा है।

औषधीय गुणों से भरपूर है काला गेहूं
काले गेहूं में कुदरती एंटी ऑक्सिडेंट और एंटीबायोटिक गुण हैं जो मधुमेह, दिल की बीमारी, कैंसर, मानसिक तनाव, घुटनों के दर्द और एनीमिया जैसे रोगों के निदान में काफी कारगर है। काले गेहूं का आटा छिलकेयुक्‍त चने के सत्‍तू की तरह दिखता है और इसका स्‍वाद साधारण गेहूं की अपेक्षा अलग होता है। मगर यह काफी पौष्टिक है। इसकी फसल साधारण गेहूं की तरह ही होती है मगर पकने पर इसकी बालियां काली हो जाती हैं। 

 

प्रशासन भी कर रहा है मदद 
मुख्य विकास अधिकारी श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि जिले के हर गांव में किसानों को काले गेहूं की खेती के बारे में जानकारी दी जा रही है। उन्हें बीज उपलब्ध कराने के अलावा कृषि विभाग की एक टीम बनाई है जो कृषकों को इस खास जिंस के उत्‍पादन के लिये प्रशिक्षित भी कर रही है तथा समय-समय पर काले गेहूं की फसल का निरीक्षण करने के अलावा कृषकों को फसल के रखरखाव के लिए आवश्यक दिशानिर्देश भी यही टीम दे रही है।  

 

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