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अब तक इंटरनेट पर मिल रहा सबकुछ मुफ्त... पर आने वाले दिनों में Surfing और Searching के लिए... चुकानी पड़ सकती है कीमत!

इंटरनेट... जहां आप आज कुछ भी सर्च कर लेते हैं, लेकिन क्या हो अगर कल से आपको कुछ भी सर्च करने के लिए पैसे देने पड़े? ऐसे ही कुछ इन दिनों सब्सक्रिप्शन के नाम पर हो गया है। तमाम कंपनियां किसी ना किसी तरह से अपने सब्सक्रिप्शन प्लान बेचने में लगी है। इसके लिए वे कई तरह से यूजर्स को लुभा रहे हैं, लेकिन इसकी जरूरत क्यों पड़ी..?

फ्री में कुछ नहीं आता... आपने कई बार इस तरह की सलाह लोगों से सुनी होगी। जल्द ही आपको रोज इस्तेमाल हो रही चीजों के लिए पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। हम बात कर रहे हैं इंटरनेट की। वैसे तो आपको इंटरनेट यूज करने के लिए पैसे देने होते हैं, लेकिन क्या हो अगर आपको इंटरनेट पर मौजूद तमाम सर्विसेस के लिए पैसे देने पड़ें।

मसलन किसी रोज गूगल ऐलान कर दे कि आपको कुछ सर्च करने के अब उसे पैसे देने होंगे या फिर आप एक दिन में 10 से ज्यादा चीजें गूगल पर फ्री सर्च नहीं कर सकते हैं। ये सब कुछ हम तक छिपकर पहुंच रहा है। धीरे-धीरे आपको पता चलेगा कि टेक कंपनियां आपको कुछ भी फ्री में यूज नहीं करने दे रही हैं। 

Meta का सब्सक्रिप्शन प्लान
हाल में ही फेसबुक और इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी Meta ने सब्सक्रिप्शन प्लान का ऐलान किया है। ये प्लान वेरिफिकेशन बैज और कुछ सर्विसेस के लिए है। बहुत हद तक इस प्लान को आप Twitter के वेरिफिकेशन प्लान्स की तरह ही समझ सकते हैं। मगर सवाल आता है कि कल तक जो सर्विसेस फ्री मिल रही थी, आज उन्हें अचानक से सब्सक्रिप्शन प्लान्स की जरूरत क्यों पड़ रही।

कुछ भी नहीं है फ्री
बतौर आम यूजर हमें लग रहा होता है कि कंपनियां अपनी सर्विसेस हमें फ्री में यूज करने देती हैं, लेकिन हकीकत इससे अलग है। ये कंपनियां आपसे पैसे तो नहीं लेती हैं, लेकिन कई तरह से आपको दूसरी सर्विसेस बेचकर या फिर आपका डेटा लेकर इसकी भरपाई करती हैं। 

आसान भाषा में समझें
इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि कोई दुकानदार आपको सामान बेचता है, लेकिन इसके बदले वो पैसे नहीं लेता है। बल्कि वो किसी और रूप में आपसे सामान की कीमत ले रहा है। मसलन पुराने वक्त में गांवों में ऐसा होता था, जहां सामान के बदले सामान की सौदेबाजी होती थी। ये कंपनियां भी कुछ इसी तरह से काम करती हैं। 

बस यहां पर सर्विस के बदले आपका डेटा कलेक्ट किया जाता है। यानी आप जिन सर्विसेस को यूज कर रहे होते हैं, कंपनियां उसके बदले कई तरह की जानकारी बतौर यूजर आपसे कलेक्ट करती हैं। जैसे आपका इंटरनेट यूज करने का तरीका, आपकी उम्र, बिहेवियर, लैंग्वेज और दूसरी डिटेल्स। 

क्या होता है आपके डेटा का?
इन डेटा के बदौलत तमाम कंपनियां आपको Ads दिखाती हैं। इन Ads के जरिए ही कंपनियों की कमाई होती है। मगर अब कमाई के तरीके बदल रहे हैं और इसकी वजह यूजर्स के डेटा को रेगुलेट करना है। तमाम एजेंसियां इंटरनेट कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए नए नियम बना रही हैं, जिसकी वजह से यूजर्स का डेटा पहले ही तरह ये कंपनियां एक्सेस नहीं कर पाएंगी। 

इसके कारण ही Meta, Twitter और दूसरी कंपनियों ने सब्सक्रिप्शन प्लान्स लॉन्च किया है। गूगल भी इसी तरह के प्लान्स बेचता है। कंपनी YouTube का प्रीमियम सब्सक्रिप्शन बेचती है। इसकी वजह से लोगों को Ads Free एक्सपीरियंस मिलता है। वहीं दूसरी तरफ ऐमेजॉन प्राइम सब्सक्रिप्शन है, जो OTT और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म दोनों की सर्विसेस ऑफर करता है। 

बदला जाएगा इंटरनेट यूज का तरीका
कुल मिलाकर धीरे-धीरे इंटरनेट यूज करने का तरीका बदल रहा है। ये बदलता तरीका यूजर्स के डेटा को तो सुरक्षित रखेगा, लेकिन इसके बदले उनसे पैसे लेगा। कंज्यूमर्स को प्रीमियम या एडिशनल सर्विसेस के नाम पर ये सब्सक्रिप्शन बेचा जाएगा। इतना ही नहीं फ्री सर्विस के नाम पर यूजर्स को मिलने वाली सुविधाएं भी कम की जा सकती हैं।

कुछ ऐसा ही हमें OTT प्लेटफॉर्म्स पर देखने को मिला। शुरुआती दिनों में जब भारत में OTT आया था, बहुत कम लोग इस पर कंटेंट देखने जाते हैं। ऐसे में OTT प्लेटफॉर्म्स ने कुछ ऐसे कंटेंट क्रिएट करने शुरू किए, जो इन प्लेटफॉर्म्स पर एक्सक्लूसिव उपलब्ध थे। 

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