रायपुर

खारुन नदी को साबरमती की तर्ज पर संवारने की कवायद... सरकार ने 15 करोड़ का बजट दिया

रायपुर। पांच सालों से लंबित खारुन नदी को संवारने की कवायद पर एक बार फिर चर्चा शुरु हो गई है। पहली बार में सर्वे और डीपीआर बनाने 4 करोड़ से अधिक राशि खर्च की गई थी, लेकिन किसान आंदोलन की वजह से मामला ठंडे बस्ते में चला गया और हासिल कुछ भी नहीं हुआ। उस अधूरे प्रोजेक्ट को एक बार फिर संवारने की दिशा में प्रयास शुरु किया गया है। जिसके तहत सरकारी विभागों का एक दल नए सिरे से अहमदाबाद के गांधीनगर की साबरमती नदी के रिवर फ्रंट को देखने जाएगा, फिर उस हिसाब से खारुन नदी के सौंदर्यीकरण के प्रोजेक्ट पर काम होगा।

प्रोजेक्ट में खारुन नदी के कटाव को रोकने, पाथवे बनाने, गार्डन और पौधे लगाने, नदी में गिरने वाले नालों में एसटीपी लगाने जैसे कामों को शामिल किया गया है। बता दें कि अधिकांश जगह ईंट भट्ठों के कारण नदी का तट कट चुका है। महादेवघाट के करीब ही सरोना सेक्टर में नदी का तटबंध समाप्त होकर तालाब जैसा आकार ले चुका है। जबकि खारुन नदी के ओवरब्रिज तक नदी ठीक है। योजनाबद्ध तरीके से खारुन नदी के संरक्षण का काम नहीं होने के कारण हरियाली भी गायब हो चुकी और शहर के नालों की गंदगी बदहाल है। क्योंकि चंदनीडीह तक शहर के नौ बड़े नाले सीधे नदी में गिरते हैं।

बता दें कि राज्य सरकार ने अपने बजट में खारुन रिवर फ्रंट के लिए 15 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान प्राथमिक तौर पर किया है। इसी के तहत खारुन रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की डिटेल्स रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने से लेकर साबरमती नदी के अध्ययन का प्लान बनाया जा रहा है।