G-20 के शिक्षा समूह की बैठक में गूंजेगी छत्तीसगढ़ की स्थानीय बोली-भाषा वाली पढ़ाई
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश के बच्चों को 16 बोली-भाषा में अध्ययन-अध्यापन कार्य करा रही है। इसके लिए अधिक से अधिक शिक्षण सामग्री का निर्माण भी किया जा रहा है। अभी जिन बोली-भाषा में पढ़ाई हो रही है,
उनमें इनमें छत्तीसगढ़ी (रायपुर, दुर्ग, बस्तर, बिलासपुर एवं सरगुजा संभाग), दोरली, हल्बी, भतरी, धुरवी, गोंडी (कांकेर क्षेत्र ), गोंडी (दंतेवाड़ा क्षेत्र), गोंडी (बस्तर क्षेत्र), सादरी, कमारी, कुडुख, बघेली, सरगुजिहा, बैगानी और माडिया शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ की ओर से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से 17 से 22 जून तक सावित्रबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी, पुणे में आयोजित बैठक में स्थानीय बोली-भाषा में हो रही पढ़ाई को ही छत्तीसगढ़ की ओर से प्रस्तुत किया जाएगा। प्रदेश से स्कूल शिक्षा सचिव डा. एस. भारतीदासन इसमें शामिल हो सकते हैं। बैठक में देशभर के स्कूल शिक्षा सचिवों, केंद्रीय विद्यालयों, सीबीएसई स्कूलों, जवाहर नवोदय विद्यालयों के प्राचार्यों को आमंत्रित किया गया है।
G-20 बैठक से पहले मूलभूत साक्षरता के अंतर्गत किए गए कार्यों के अध्ययन के लिए छत्तीसगढ़ का एक दल मध्यप्रदेश गया है और मध्यप्रदेश से एक दल छत्तीसगढ़ के भ्रमण पर है। इस शैक्षिक भ्रमण के दौरान छत्तीसगढ़ के दल ने रूम टू रीड की ओर से विकसित 50 कहानियों के कार्ड को बच्चों द्वारा फर्राटेदार तरीके से पढ़ते देखकर इसी प्रकार के कार्ड छत्तीसगढ़ के स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कर उपलब्ध करवाने की मांग की।
प्रदेश में स्थानीय सामग्री बनाए जाने के क्रम में राज्य में एक ऐसा दल तैयार किया जा रहा है जो बच्चों के लिए कहानी लिखने में दक्ष हो सकेगा। ऐसे लगभग 20 शिक्षकों की पहचान कर उन्हें बच्चों के लिए कहानी लिखने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।