वीर महापुरूषों की गौरव गाथाओं का संकलन होगा उज्जैन के वीर भारत संग्रहालय में : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में रविवार को कोठी महल पर युगयुगीन भारत के कालजयी महानायकों की तेजस्विता की महागाथा का वर्णन करने वाले "वीर भारत संग्रहालय" का भूमि पूजन किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अर्जुनराम मेघवाल भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर कहा कि उज्जैन का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। हर कल्प में उज्जयिनी का अपना इतिहास रहा है। प्राचीन भारत के वीर महापुरूषों की गौरव गाथा की जानकारी इस संग्रहालय में प्रदान की जाएगी। संग्रहालय का निर्माण भव्य स्तर पर किया जाएगा। प्राचीन काल की सभी प्रमुख घटनाओं की जानकारी प्रदान की जाएगी। संग्रहालय का निर्माण लगभग 20 करोड़ रूपए की लागत से किया जाएगा। इसके अतिरिक्त आवश्यकता पडने पर और धन राशि भी प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व करने का एक और अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपनी ओर से संग्रहालय के निर्माण हेतु शुभकामनाँ दी।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम पंडित चंदन व्यास एवं उनके दल के द्वारा स्वस्ति वाचन किया गया। वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी के द्वारा पुष्प गुच्छ भेंट कर अतिथितियों का स्वागत किया गया। श्रीराम तिवारी ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि भारतवर्ष के गौरवशाली और पराक्रमी अतीत से परिचय तथा प्रेरणा हमारे समय की अपरिहार्य आवश्यकता है। यह एक राष्ट्रव्यापी, महत्वाकांक्षी स्वप्न है, जिसे चरितार्थ करने के लिए वीर भारत संग्रहालय में भारत की तेजस्विता और पराक्रम के विभिन्न आयामों को व्यापक रूप से प्रस्तुत किये जाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार संकल्पित है। तेजस्विता और शौर्य हमारे जीवन, परंपरा, चित्त-वृत्ति, चिंतन-प्रकृति, दर्शन, जीवन मूल्य, आस्था और विश्वासों का स्वर है।
हमारा प्रयास है कि वीर भारत संग्रहालय में राष्ट्र की सभी मंगलकारी दृष्टियों का प्रतिबिंबन हो। भारत वर्ष का प्रागैतिहास-पुरापाषाण काल, पूर्व वैदिक, वैदिक/उपनिषद, सरस्वती सिंधु घाटी सभ्यता, उत्तर वैदिक, श्रीराम के पूर्वज, श्रीकृष्ण के पूर्वज, रामायण काल, महाभारत काल, प्राचीन भारत की जनजातियों, महाजनपद काल, गौतम बुद्ध, महावीर, आदि शंकराचार्य, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट विक्रमादित्य काल, सातवाहन, गुप्त साम्राज्य, चोल, पल्लव, भोजदेव, मध्ययुग, भक्ति काल, भारत के शूरवीर, पराधीनता के विरूद्ध सिंहनाद करते हुए भारत की सुदीर्घ परंपरा में तेजस्वी नायकों, चिंतकों, दार्शनिकों, मंत्रद्रष्टा, ऋषियों, संतों, मनीषियों, कवियों, लेखकों, कलाकारों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों के अनुपम योगदान को रेखांकित किया जायेगा।