देश-विदेश
भारत के सामाजिक उद्यमों में निवेश में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है : केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी
सरकार का सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) सामाजिक उद्यमों को निवेश आकर्षित करने में मदद करता है: हरदीप सिंह पुरी
पुरी ने 15वें सोशल एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड – इंडिया 2024 के पुरस्कार समारोह को संबोधित किया
नई दिल्ली | पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत में सामाजिक उद्यमों के लिए अनुमानित बाजार अवसर और क्षमता अगले वर्ष तक 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। एक कार्यक्रम में भारत के सामाजिक उद्यमों में निवेशकों की बढ़ती रुचि पर प्रकाश डालते हुए, हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सामाजिक प्रभाव निवेश के लिए औसत सौदे के आकार में 2010 और 2016 के बीच 7.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 17.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई है।
मंत्री महोदय यहां 15वें सोशल एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड – इंडिया 2024 के पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। स्क्वैब फाउंडेशन फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप और जुबिलेंट भारतीय फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उन उद्यमियों की अविश्वसनीय उपलब्धियों और नवाचारों का जश्न मनाया जाता है, जो भारतीय समाज के हाशिए पर पड़े और कमजोर वर्गों को सशक्त बनाकर बदलाव ला रहे हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि “सोशल एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड” न केवल भारत के सामाजिक उद्यमिता आंदोलन के चैंपियनों को मान्यता देता है, बल्कि इन कंपनियों को अपनी पहुंच बढ़ाने और संभावित सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है।
कार्यक्रम में, हरदीप सिंह पुरी ने फाइनलिस्टों की उल्लेखनीय सरलता और समर्पण की सराहना की। उन्होंने प्रौद्योगिकी के उनके प्रभावशाली उपयोग पर ध्यान दिया, जो कल्याणकारी सेवाओं को कुशलतापूर्वक वितरित करने के मोदी सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक उद्यम हमेशा से भारतीय जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये उद्यम लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और पूरे देश में सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कार्यक्रम के दौरान, हरदीप सिंह पुरी ने सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जो सरकार की एक अग्रणी पहल है। इसका उद्देश्य सामाजिक उद्यमों को बेहतर दृश्यता और पूंजी तक पहुंच प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि एसएसई इन उद्यमों को निवेश आकर्षित करने, उनके सामाजिक प्रभाव को मापने और सामाजिक मुद्दों का समाधान करने में उनकी प्रभावशीलता को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा, "20 से अधिक सामाजिक उद्यम पहले ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध हो चुके हैं"।
पुरी ने वर्तमान सरकार के तहत दिव्यांग जनों के अधिकारों में हुई महत्वपूर्ण प्रगति के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने 2016 में अधिनियमित ऐतिहासिक विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम को याद किया, जिसमें मान्यता प्राप्त दिव्यांग जनों को 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया गया था। यह महत्वपूर्ण कानून दिव्यांग जनों की विविध आवश्यकताओं को स्वीकार करने और उनका समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि नई जनगणना देश में विकलांग व्यक्तियों की संख्या की सही तस्वीर पेश करेगी।
पुरी ने विकलांग व्यक्तियों के लिए सहायता बढ़ाने के उद्देश्य से कई प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने 2015 में सुगम्य भारत अभियान (जिसे एक्सेसिबल इंडिया के नाम से भी जाना जाता है) के शुभारंभ के बारे में चर्चा की, जिसका उद्देश्य पूरे देश में सुगम्यता में सुधार करना है। इसके अलावा, उन्होंने 43 लाख से अधिक ई-यूडीआईडी कार्ड (विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र) जारी करने का विवरण दिया, जिससे विकलांग व्यक्तियों की पहचान और सहायता को सुव्यवस्थित किया गया है। उन्होंने कौशल विकास पहलों के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला, जिससे लगभग 150,000 व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। इसके अतिरिक्त, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के साथ अपने कार्यकाल को दर्शाते हुए, उन्होंने 2019 में सार्वभौमिक डिजाइन स्पेस मानकों के लिए सामंजस्यपूर्ण दिशा-निर्देशों के निर्माण पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ये दिशा-निर्देश केवल बाधा-मुक्त वातावरण से सार्वभौमिक रूप से डिजाइन किए गए स्थानों की व्यापक अवधारणा की ओर बदलाव का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो अधिक समावेशिता को बढ़ावा देते हैं।
दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश को अग्रणी बनाएंगे: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश, देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9 से 10 प्रतिशत उत्पादन करते हुए देश में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश के अनेक ग्रामों में किसान भाइयों को पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के लिए सुविधाएं प्रदान कर प्रदेश को देश में अग्रणी बनाने का प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आज मंत्रालय में मध्यप्रदेश में डेयरी विकास योजना, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने एवं सांची दुग्ध संघ के कार्यों के संबंध में समीक्षा की। इस अवसर पर भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी सचिव अलका उपाध्याय, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आनंद (गुजरात) के अध्यक्ष एवं प्रबंध संचालक मीनेश शाह भी उपस्थित थे। बैठक में मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन एवं एकत्रीकरण तथा सांची दुग्ध संघ के विषय में कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय पोषण माह अंतर्गत श्रीअन्न एवं फल किये दान
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय पोषण माह अन्तर्गत सागर जिले के बीना में "पोषण मटके" में रंगीन रोटी के लिए श्रीअन्न (मोटे अनाज) एवं फलों का दान किया। उन्होंने जन सामान्य से आंगनवाड़ी से जुड़कर वहाँ पौष्टिक श्रीअन्न, फल, सब्जी के सहयोग के लिये स्व-प्रेरणा से आगे आने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि बच्चों के पोषण के लिए सामुदायिक सहभागिता खुद भी करें एवं औरों को भी प्रेरित करें।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन महासभा और वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 का 25 नवंबर से 30 नवंबर तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में होगा आयोजन
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (PM-KMY) के पांच सफल वर्ष
परीक्षाओं की तैयारी और अध्ययन के लिए मिलेगी पूरी सहायता: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि देश में राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर जनजातीय वर्ग से द्रौपदी मुर्मु के पदासीन होने के साथ ही जनजातीय वर्ग के हित और सम्मान में ऐतिहासिक कार्य हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इस वर्ष बाबा महाकाल की सवारी में जनजातीय वर्ग के लोक कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया। केंद्रीय जनजातीय राज्यमंत्री दुर्गादास उईके स्वयं भी उज्जैन आकर प्रथम पूजा में शामिल हुए। इसके पूर्व तक मुख्यमंत्री अथवा अन्य विशिष्ट व्यक्ति को यह अवसर मिलता था।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय वर्ग के जनप्रतिनिधियों, नागरिकों और विद्यार्थियों को शैक्षणिक प्रोत्साहन और तीर्थ-दर्शन योजना का लाभ दिया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज खंडवा जिले के खालवा में आयोजित जनजातीय छात्र प्रोत्साहन एवं सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जनजातीय वर्ग के हित में अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आकांक्षा योजना के अंतर्गत प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओं जैसे जेईई, नीट, एम्स और क्लेट आदि के लिए नि:शुल्क कोचिंग की सुविधा प्रदान की जा रही है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन संभागों में आकांक्षा योजना के क्रियान्वयन की कार्यवाही प्रारंभ की जा रही है। प्रदेश के 5 बड़े नगरों भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर और ग्वालियर में योजना के अंतर्गत विद्यार्थी नि:शुल्क कोचिंग सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। आज प्रतीक स्वरूप विदेश में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत पांच विद्यार्थियों को 2-2 लाख रुपए की राशि प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रत्येक जनजातीय बहुल जिले में इस प्रकार के कार्यक्रम किए जाएंगे। जहां हमारी प्रतिभा को समाज के बीच लाने का मौका मिले। सम्पन्न घरों के बच्चे तो देश के बाहर पढ़ने जाते हैं लेकिन अब गरीब जनजातीय परिवार के सदस्य भी विदेशों में अध्ययन के लिए जा रहे हैं। आज उन बच्चों के माता-पिता की आँखों में जो खुशी देखी है, वो अद्भुत है। यह असली आनंद की बात है।
वर्ल्ड स्किल्स 2024 : फ्रांस में होने वाली सबसे बड़ी कौशल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए टीम इंडिया का 60 सदस्यों का दल ल्योन पहुंचा
भारत ने वर्ल्डस्किल्स प्रतियोगिता में भाग लेने की शुरुआत करने के बाद से वर्ल्ड स्किल्स 2024 प्रतियोगिता के लिए अपना सबसे बड़ा दल भेजा है
वर्ल्ड स्किल्स इंडिया के 60 प्रतिभागी 52 कौशलों में प्रतिस्पर्धा करेंगे, जिसमें 70 से अधिक देश और क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेंगे
प्रतियोगिता 10-15 सितंबर तक यूरोएक्सपो ल्योन में चलेगी और इसमें 1,400 प्रतियोगी एवं 1,300 विशेषज्ञ भाग लेंगे
वर्ल्ड स्किल्स 2024 में 2.5 लाख से अधिक प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है
इस वैश्विक आयोजन में भारत की भागीदारी सरकार के उस लक्ष्य के अनुरूप है, जिसके तहत देश को कुशल प्रतिभाओं के लिए वैश्विक हब बनाया जाना है
नई दिल्ली | हर दो साल में एक बार होने वाले वर्ल्डस्किल्स 2024 के 47वें संस्करण की शुरुआत के साथ, वर्ल्डस्किल्स इंडिया टीम का 60 सदस्यीय युवा दल फ्रांस के ल्योन में पहुंच गया, जो पूरी तरह से उत्साहित नजर आ रहा है और सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कौशल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तैयार है।
ल्योन में शनिवार, 7 सितंबर को वर्ल्डस्किल्स 2024 में, कौशल प्रबंधन योजना में निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सावधानी के साथ प्रतियोगिता की तैयारी की गई। विभिन्न कौशलों के विशेषज्ञ निष्पक्ष और मानकीकृत प्रतिस्पर्धी वातावरण सुनिश्चित करने के लिए वर्कस्टेशनों की स्थापना, औजारों और उपकरणों को अंतिम रूप देने एवं तकनीकी विशिष्टताओं को संरेखित करने के काम में पूरी तरह से लगे हुए हैं।
प्रत्येक कौशल श्रेणी में विशेषज्ञों ने सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रतियोगिता से जुड़े कामों और मूल्यांकन मानदंडों पर विस्तृत जांच की, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सुचारू निष्पादन के लिए सब कुछ सही जगह पर हो। यह चरण यह सुनिश्चित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण था कि दुनिया भर के प्रतिभागी समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करें, वर्ल्डस्किल्स के उत्कृष्टता और अखंडता (सत्यनिष्ठा) से जुड़े ऊंचे मानकों का पालन करें।
ल्योन में वर्ल्ड स्किल्स 2024 में, प्रतियोगिता समिति के प्रतिनिधियों (सीसीडी) ने भी नियमों की सावधानीपूर्वक जांच करके और किसी भी संभावित मुद्दे या विवाद को हल करके कार्यक्रम के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये प्रतिनिधि यह सुनिश्चित करके प्रतियोगिता की सत्यनिष्ठा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं कि सभी नियमों का पालन किया जाए, संघर्षों का प्रबंधन किया जाए और प्रतियोगिता से जुड़ी प्रक्रियाओं के दौरान उत्पन्न होने वाली किसी भी विसंगति को दूर किया जाए। टर्निंग और मिलिंग के लिए सीसीडी के रूप में कार्य करते हुए भारत ने इन परिशुद्धता (प्रिसीसन) आधारित कौशल श्रेणियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सुनिश्चित किया कि मशीन कैलिब्रेशन, टूल सेटअप और टास्क अलाइनमेंट जैसे टर्निंग और मिलिंग से संबंधित सभी तकनीकी पहलू वर्ल्डस्किल्स मानकों के अनुसार संचालित हों।
ये कुशल व्यक्ति भारत के लिए 52 कौशल श्रेणियों में 70 से अधिक देशों के सर्वश्रेष्ठ प्रतियोगियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता 10-15 सितंबर, 2024 के दौरान यूरोएक्सपो ल्योन फ्रांस में होगी, जिसमें 1,400 से अधिक प्रतियोगी और 1,300 विशेषज्ञ भाग लेंगे। इस भव्य आयोजन को कौशल का ओलंपिक खेल माना जाता है, जिसमें 2.5 लाख से अधिक प्रतिभागियों के आने की उम्मीद है।
कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार जयंत चौधरी टीम इंडिया का उत्साहवर्धन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता का दौरा करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान, वह वैश्विक स्तर पर कौशल से जुड़ी वार्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए भागीदार देशों के प्रतिनिधियों से भी मिलेंगे।
भारतीय दल को प्रशिक्षित करने और इससे जुड़ी तैयारियों में 52 से अधिक वर्ल्डस्किल्स विशेषज्ञों और 100 से अधिक उद्योग और शैक्षणिक भागीदारों से प्रशिक्षण सहायता में शामिल रही है, जो वर्ल्डस्किल्स ल्योन में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़े समूहों में से एक है।
प्रतियोगियों ने देश भर के विभिन्न उद्योगों से जुड़े लीडर्स और संस्थानों की विशेषज्ञता से समृद्ध प्रशिक्षण सहित टोयोटा किर्लोस्कर, मारुति, लिंकन इलेक्ट्रिक और कई अन्य अग्रणी कंपनियों द्वारा समर्थित गहन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया। साथ ही, फैशन तकनीक के लिए इंडस्ट्री 4.0 में फेस्टो इंडिया से लेकर एनआईएफटी दिल्ली तक में और ब्रिकलेइंग एवं कंक्रीट निर्माण के लिए एलएंडटी में प्रशिक्षण हासिल किया।
इस वर्ष की टीम इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें महिलाएं वेल्डिंग, प्लंबिंग और हीटिंग जैसे पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। यह टीम भारत की अविश्वसनीय विविधता को दर्शाती है, जिसमें हर क्षेत्र से प्रतिभागी शामिल हैं, जिसमें मिजोरम से लेकर जम्मू और कश्मीर तक, उत्तर से दक्षिण तक, पूर्व से पश्चिम तक और यहां तक कि अंडमान निकोबार द्वीप क्षेत्र जैसे दूरस्थ इलाकों के लोग शामिल हैं।
वर्ल्डस्किल्स प्रतियोगिता निर्माण, विनिर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी और रचनात्मक कलाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कौशल को प्रदर्शित करती है। प्रतियोगी, आमतौर पर 23 वर्ष से कम आयु के होते हैं, गहन परीक्षण में भाग लेते हैं, ऐसे कार्य पूरे करते हैं जो समकालीन उद्योग मानकों को दर्शाते हैं। इस बार की खास बात यह है कि पहली बार, देश में अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षकों को आमंत्रित किया गया था और प्रतियोगियों को अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन और गहन प्रशिक्षण के लिए स्विट्जरलैंड के साथ दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रिया, थाईलैंड और दुबई जैसे देशों में भी भेजा गया था।
भारतीय दल ने प्रशिक्षण के अंतिम चरण में भाग लिया जिसमें 1-3 सितंबर, 2024 के बीच नई दिल्ली में योग सत्र, मानसिक मजबूती में सुधार के लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षण, पोषण संबंधी सलाह और विभिन्न अन्य दिशानिर्देश शामिल थे।
भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा ने अंधकार में विश्व का मार्गदर्शन किया : उपराष्ट्रपति
वसुधैव कुटुंबकम ऋषि परंपरा का मूल सिद्धांत: उपराष्ट्रपति
पिछले एक दशक में ऋषि परंपरा का सम्मान बढ़ा: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट में राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया
नई दिल्ली | उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वैश्विक दृष्टिकोण और राष्ट्र के मूल्यों को आकार देने में भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा के योगदान पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम्' ऋषि परंपरा का मूल सिद्धांत है।
वैश्विक कूटनीति में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार प्रकट करते हुए, धनखड़ ने कहा कि, "जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दुनिया ने भारत के नेतृत्व को पहचाना जब हमारा ध्येय वाक्य 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' था। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट में आयोजित "आधुनिक जीवन में ऋषि परंपरा" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम में हमारी ऋषि परंपरा का सार निहित है, जिसने सहस्राब्दियों से हमारा मार्गदर्शन किया है।
उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत में निहित दो प्रमुख सिद्धांतों को विश्व मंच पर पेश करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने प्रथम सिद्धांत को रेखांकित करते हुए कहा कि “भारत ने कभी भी विस्तारवाद की नीति का समर्थन नहीं किया अथवा दूसरों की भूमि के प्रति लालसा की भावना नहीं रखी”। वहीं दूसरा सिद्धांत की ओर इंगित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी संकट में युद्ध समाधान नहीं है। उन्होंने कहा, "समाधान का केवल एक ही रास्ता है: बातचीत और कूटनीति।"
अस्थिरता और अनिश्चितता के दौर में मानवता का मार्गदर्शन करने में भारत के प्राचीन ज्ञान और आध्यात्मिक परंपराओं के वैश्विक प्रभाव पर टिप्पणी उपराष्ट्रपति ने कहा कि, "दुनिया के बड़े-बड़े लोग जब अशांति महसूस कर रहे थे, पथ से भटक गए, जब उन्हे अंधकार दिखाई दिया, तो उनका रुख भारत की तरफ हुआ। इस तकनीकी युग में भी, उन लोगों को मार्गदर्शन और रोशनी इसी देश में मिली।”
भारत की आध्यात्मिक एवं प्रौद्योगिकी प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि, “हमारी ऋषि परंपरा की वजह से ही आज, भारत जल में, थल में, आकाश में और अंतरिक्ष में, बहुत बड़ी छलांग लगा रहा है।”
उपराष्ट्रपति ने कुछ व्यक्तियों द्वारा राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की बजाय व्यक्तिगत एवं राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देने पर चिंता व्यक्त की, उन्होंने कहा कि, "कई लोग गलत रास्ते पर चलकर धर्म को भूल जाते हैं, राष्ट्रधर्म को भूल जाते हैं, निजी व राजनीतिक स्वार्थ में अंधाधुंध कार्य करते हैं।" उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा कभी भी इसकी इजाज़त नहीं देती है, "हजारों साल की पृष्ठभूमि में कोई भी शासन व्यवस्था हो, ऋषि के मुख वचन से जो निकल गया वो हमेशा निर्णायक रहा है। उसकी हमेशा अनुपालना हुई है। गत दशक में ऋषि परंपरा का पूरा सम्मान हुआ है।"
इस मौके पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी कुलाधिपति, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट, अनिल राजभर, श्रम एवं रोजगार, समन्वय मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, नरेंद्र कश्यप, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पिछड़ा वर्ग कल्याण, दिव्यांगजन इस अवसर पर सशक्तिकरण, उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पुरस्कार 2024 प्रदान किया
अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु नील गगन दिवस के अवसर पर नौ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले एनसीएपी शहरों को पुरस्कृत किया गया। इसे स्वच्छ वायु दिवस के रूप में भी मनाया जाता है
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम स्वच्छ वायु और नीले आकाश के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री
नीले आकाश के लिए हरी-भरी धरती आवश्यक है और मोदी सरकार वाहन स्क्रैप नीति, कचरे से कंचन, एक पेड़ मां के नाम जैसी योजनाओं और अभियानों के माध्यम से पृथ्वी के प्रदूषण को कम करके हमारी हवा को स्वच्छ बनाने के लिए काम कर रही है: भूपेंद्र यादव
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने बताया कि राजस्थान में 07 करोड़ पौधे रोपे गए हैं और इस उपलब्धि के लिए सभी विभागों द्वारा किए गए उत्साहपूर्ण कार्य के लिए सराहना की
नई दिल्ली | केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति में 07 सितंबर, 2024 को जयपुर में अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु नील गगन दिवस (स्वच्छ वायु दिवस) मनाया गया। इस कार्यक्रम में राजस्थान सरकार के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री संजय शर्मा और राजस्थान सरकार के केंद्रीय शहरी विकास और स्थानीय स्वशासन राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा भी उपस्थित थे। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस वर्ष के आयोजन की मेजबानी की।
इस अवसर पर, एनसीएपी कार्यक्रम के सार, इसमें शामिल एजेंसियों के योगदान और 131 एनसीएपी शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार को दर्शाने वाला एक आकर्षक वीडियो प्रदर्शित किया गया। बताया गया कि केंद्रित कार्रवाई, संसाधनों के सम्मिश्रण और प्रभावी निगरानी ने 95 शहरों में वायु प्रदूषण में कमी के रुझान के साथ सकारात्मक परिणाम दर्शाए हैं। 51 शहरों ने आधार वर्ष 2017-18 के संबंध में पीएम10 के स्तर में 20 प्रतिशत से अधिक की कमी दिखाई है और इनमें से 21 शहरों ने 40 प्रतिशत से अधिक की कमी हासिल की है।
कार्यक्रम के दौरान ‘व्यवहार्य प्रौद्योगिकियों और कार्य प्रणालियों पर संग्रह: एनसीएपी शहरों से सबक’ नामक एक दस्तावेज का विमोचन किया गया। इसमें स्थानीय संदर्भों और आवश्यकताओं के अनुरूप वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए शहरों द्वारा की गई पहलों के उदाहरण प्रदर्शित किए गए। इसके अलावा, जयपुर प्रदर्शनी और सम्मेलन केंद्र के ‘मातृ वन’ में “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत 100 पौधे भी लगाए गए।
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पुरस्कार श्रेणी-1 (10 लाख से अधिक जनसंख्या) के तहत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले एनसीएपी शहरों सूरत, जबलपुर और आगरा को ; श्रेणी-2 (3 से 10 लाख के बीच की जनसंख्या) फिरोजाबाद, अमरावती और झांसी को; और श्रेणी-3 (3 लाख से कम जनसंख्या) रायबरेली, नलगोंडा और नालागढ़ को प्रदान किए गए। विजेता शहरों के नगर आयुक्तों को नकद पुरस्कार, ट्रॉफी और प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने विजेता शहरों को बधाई देते हुए और अन्य एनसीएपी शहरों को प्रोत्साहित करते हुए, बहु-हितधारक भागीदारी की आवश्यकता पर जोर देने के साथ-साथ, स्वच्छ वायु में निवेश को बढ़ाने और वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए साझा जिम्मेदारी को अपनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि 'प्रकृति हमें अपना सर्वश्रेष्ठ देती है और हमें भी प्रकृति को अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए।'
उन्होंने वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान के लिए केंद्रीय कमान निगरानी सुविधा, जन भागीदारी पहल, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए तकनीकी क्रियाकलाप आदि जैसी विभिन्न रणनीतिक पहल करने के लिए छोटे शहरों और कस्बों सहित शहरों की सराहना की। इसमें शामिल सभी एजेंसियों का सामूहिक प्रयास है कि आधार वर्ष 2017 के बाद से अधिकांश एनसीएपी शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
उन्होंने युवा वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और छात्रों को ‘आईडियाज फॉर लाइफ’ अभियान में भाग लेने और मिशन लाइफ के सात विषयों, अर्थात् जल बचाओ, ऊर्जा बचाओ, अपशिष्ट कम करो, ई-कचरा कम करो, एकल उपयोग प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करो, सतत खाद्य प्रणाली अपनाओ और स्वस्थ जीवन शैली अपनाओ पर अभिनव विचार/समाधान प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने मिशन लाइफ के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने और देश में पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान के लिए राजस्थान सरकार को बधाई दी और इस दिवस की मेजबानी के लिए आभार व्यक्त किया।
स्वच्छ वायु दिवस के अवसर पर, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने जयपुर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की शीर्ष समिति की चौथी बैठक की अध्यक्षता भी की। उन्होंने जयपुर में पौधारोपण भी किया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने अपने संबोधन में स्वच्छ और हरित पर्यावरण के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान को दोहराया, जैसा कि स्वच्छ भारत मिशन और ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसी विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में 07 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं और उन्होंने सभी विभागों को उनके उत्साहपूर्ण कार्य के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सांस्कृतिक रूप से हम समाज का संरक्षण कर रहे हैं, प्रकृति का सम्मान करते हैं और अपनी नदियों की पूजा करते हैं। हमें इसे ध्यान में रखना चाहिए और अधिक समग्र, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने का प्रयास करना चाहिए। इस वर्ष के आयोजन की थीम- 'स्वच्छ वायु में निवेश करें' पर ध्यान केंद्रित करते हुए, उन्होंने स्वच्छ वायु और जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हमारे समय, संसाधनों और प्रयासों का निवेश करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने राजस्थान राज्य में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए की गई विभिन्न कार्रवाइयों की जानकारी दी, जिसमें पांच गैर-प्राप्ति शहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि राज्य एक 'ग्रीन ग्रोथ बजट' तैयार करेगा और महत्वपूर्ण इंटरसिटी और इंट्रासिटी मार्गों पर इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना बनाई गई है।
इस कार्यक्रम में एसपीसीबी/पीसीसी के अध्यक्ष और सदस्य सचिव, एनसीएपी शहरों के नगर आयुक्त, केंद्र और राज्य सरकारों तथा शहरी स्थानीय निकायों के अधिकारी, विशेषज्ञ, छात्र, प्रदर्शक और वर्चुअल तौर पर उपस्थित कई लोग शामिल हुए।
मेडिकल कंपनियों के लिए सरकार का फरमान... अब डाक्टरों को नहीं करा सकेंगे विदेश यात्रा
डेस्क। सरकार ने मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों पर सख्त कदम उठाते हुए डॉक्टरों को विदेश यात्रा कराने पर रोक लगा दी है। नए नियमों के तहत, कंपनियां अब डॉक्टरों को विदेश में कार्यशालाओं में शामिल होने, वहां ठहरने, खाने-पीने, या घूमने-फिरने का खर्च नहीं उठा सकेंगी। सरकार के इस निर्णय के पीछे मुख्य वजह यह है कि कई डॉक्टर, कंपनियों द्वारा प्रायोजित विदेश यात्राओं के बदले, उन्हीं कंपनियों के महंगे मेडिकल उपकरण मरीजों के लिए लिखते हैं। इससे उपकरणों की लागत का बोझ सीधे मरीजों और उनके परिजनों पर पड़ता है।
फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी) ने मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन को निर्देश दिया है कि वे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए विदेश में कार्यशालाओं, सेमिनारों या सम्मेलनों के आयोजन और उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाने की सभी प्रथाओं को बंद करें। इसके अलावा, सभी चिकित्सा उपकरण कंपनियों को अपनी मार्केटिंग गतिविधियों के लिए नैतिकता समिति (ईसीएमपीएमडी) का गठन करना अनिवार्य होगा।
सरकार ने कंपनियों से उनके द्वारा वितरित किए गए चिकित्सा उपकरणों के सैंपलों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, सेमिनारों आदि पर हुए खर्चों का विवरण भी मांगा है। इसी के साथ ही, रेगुलेटरी अथॉरिटी द्वारा मान्यता मिलने से पहले किसी भी चिकित्सा उपकरण को बढ़ावा नहीं दिया जा सकेगा। अधिसूचना में साफ कहा गया है कि चिकित्सा उपकरण कंपनियां या उनके एजेंट, डॉक्टरों या उनके परिवार के सदस्यों को कोई उपहार या व्यक्तिगत लाभ नहीं दे सकते। साथ ही, डॉक्टरों को सम्मेलनों, सेमिनारों या कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए देश के अंदर या बाहर यात्रा की सुविधा भी प्रदान नहीं की जाएगी।
7वें राष्ट्रीय पोषण माह 2024 के 6ठे दिन तक 35 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 752 जिलों से 1.37 करोड़ गतिविधियों की खबर
अब तक सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्यों में बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल
शीर्ष योगदानकर्ता मंत्रालयों में शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, आयुष मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय शामिल
नई दिल्ली | गुजरात में गांधीनगर के महात्मा मंदिर में 31 अगस्त, 2024 को शुरू किया गया सातवां राष्ट्रीय पोषण माह बेहतर प्रशासन के लिए प्रौद्योगिकी के साथ-साथ एनीमिया, विकास की निगरानी, पूरक आहार और पोषण भी पढ़ाई भी जैसे प्रमुख विषयों पर केंद्रित है। इस अभियान के तहत एक पेड़ मां के नाम पहल के जरिये पर्यावरण सस्टेनेबिलिटी पर भी जोर दिया गया है। इसमें सभी चालू 13.95 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में पौधारोपण को प्रोत्साहित किया जाता है।
इस राष्ट्रव्यापी आयोजन के 6ठे दिन तक 35 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 752 जिलों से 1.37 करोड़ गतिविधियों की सूचना मिली है। इसमें अब तक सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्यों में बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
जहां तक इसके विषयों (या प्रमुख फोकस क्षेत्रों) का सवाल है तो अब तक एनीमिया पर 39 लाख से अधिक गतिविधियां, विकास की निगरानी पर केंद्रित 27 लाख से अधिक गतिविधियां, पूरक आहार संबंधी करीब 20 लाख गतिविधियां, पोषण भी पढाई भी विषय पर 18.5 लाख से अधिक गतिविधियां और एक पेड़ मां के नाम के जरिये पर्यावरण सस्टेनेबिलिटी पर 8 लाख गतिविधियां आयोजित की गई हैं। एक अन्य प्रमुख विषय है बेहतर प्रशासन के लिए प्रौद्योगिकी। इसके तहत डब्ल्यूसीडी के नामित पदाधिकारियों को करीब 10 लाख उन गतिविधियों को चिह्नित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिनका उद्देश्य आईसीटी ऐप्लिकेशन पोषण ट्रैकर से जुड़े पोषण संकेतकों और कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन एवं निगरानी में मदद करना है।
सामुदायिक भागीदारी और सरकारी सहयोग से जुड़े राष्ट्रव्यापी एकीकृत दृष्टिकोण के साथ जारी इस पोषण माह के दौरान 'सुपोषित किशोरी सशक्त नारी' के बारे में चर्चा हो रही है। साथ ही पोषण केंद्रित जन आंदोलनों के जरिये हरेक व्यक्ति को इसमें शामिल करने और संवेदनशील बनाने के लिए दूरदराज इलाकों तक पहुंच बनाई जा रही है।
महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप भारत को वैश्विक पटल पर स्थापित करेंगे : जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पूरे भारत में 8 नए निधि आई-टीबीआई के साथ-साथ एक नई डीएसटी-निधि वेबसाइट का उद्घाटन किया
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने डीप टेक स्टार्टअप्स के लिए डीएसटी-जीडीसी आईआईटी मद्रास इनक्यूबेट कार्यक्रम का अनावरण किया
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीएसटी का निधि कार्यक्रम स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है: डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की:
निधि के 8 साल पूरे होने का जश्न महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और वित्तीय समावेशन का विस्तार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है
नई दिल्ली | केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि आने वाले वर्षों में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप भारत को वैश्विक पटल पर स्थापित करेंगे।
मंत्री महोदय आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की पहल (डीएसटी-निधि) के 8 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आईआईटी दिल्ली में एक नई डीएसटी-निधि वेबसाइट के साथ-साथ भारत भर में 8 नए निधि आई-टीबीआई का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।
देश भर में विभिन्न स्थानों पर 8 नए निधि समावेशी टीबीआई (आई-टीबीआई) स्थापित किए गए हैं अर्थात 1. राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय अजमेर, 2. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय लुधियाना, पंजाब 3. बीएलडीई बीजापुर, कर्नाटक 4. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय 5. प्रणवीर सिंह प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, उत्तर प्रदेश 6. गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) बिलासपुर, 7. जीएसएसएस महिला इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान मैसूर, कर्नाटक 8. पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) देहरादून,)
आई-टीबीआई (समावेशी टीबीआई) तीन वर्ष की अवधि की पहल है, जो डीएसटी द्वारा उन शैक्षणिक संस्थानों के लिए समर्थित है, जो छात्रों, संकायों, उद्यमियों और आसपास के समुदायों के बीच नवाचार और उद्यमशीलता संस्कृति को बढ़ावा देने की संभावना रखते हैं।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने डीप टेक स्टार्टअप के लिए डीएसटी-जीडीसी आईआईटी मद्रास इनक्यूबेट कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जीडीसी को आईआईटी मद्रास के तीन प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों डॉ. गुरुराज देशपांडे, जयश्री देशपांडे और 'क्रिस' गोपालकृष्णन के अनुदान से वित्त पोषित किया गया है। ये पहल मुख्य रूप से टियर II और टियर III शहरों के इनोवेटर्स को हमारा सहयोग बढ़ाने और विकास के महत्वपूर्ण चरणों में स्टार्ट-अप को लक्षित सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने मोदी के स्टार्टअप इंडिया स्टैंड अप इंडिया पहल के लिए प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन को याद किया, जिसके तहत 2016 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने निधि की शुरुआत की थी। इसकी अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “निधि पहल भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर पहचानी गई एक महत्वपूर्ण आवश्यकता के उत्तर में शुरू हुई थी, ताकि हमारे शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच की खाई को पाटा जा सके। चूंकि संस्थान विश्व स्तरीय शोध कर रहे थे, इसलिए इन विचारों को बाजार के लिए तैयार उत्पादों में बदलने की आवश्यकता थी। उन्होंने सफलता के लिए स्टार्टअप्स के शुरुआती उद्योग जुड़ाव पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और नई ऊर्जा के साथ तकनीकी प्रगति में आज के भारत को भविष्य के भारत में बदलने की नवोनमेषी क्षमता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने 2016 में इसकी स्थापना के बाद से इसकी यात्रा का विवरण दिया और कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का निधि कार्यक्रम स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा महिला उद्यमियों द्वारा संचालित है।
रायपुर हवाईअड्डे पर डिजी यात्रा सुविधा का उद्घाटन : डिजी यात्रा एक सुदृढ़ डेटा सुरक्षा की नींव पर निर्मित है
केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू ने 9 अन्य हवाईअड्डों पर डिजी यात्रा सुविधा का उद्घाटन किया
डिजी यात्रा सुविधा भुवनेश्वर, कोयंबटूर, डाबोलिम (गोवा), इंदौर, बागडोगरा, रांची, पटना, रायपुर और विशाखापत्तनम में शुरू की गई
डिजी यात्रा सक्षम हवाईअड्डों की कुल संख्या बढ़कर 24 हुई
55 लाख उपयोगकर्ताओं ने डिजी यात्रा एप डाउनलोड किया, 3 करोड़ यात्रियों ने डिजी यात्रा का उपयोग किया
डिजी यात्रा एक सुदृढ़ डेटा सुरक्षा की नींव पर निर्मित है, प्रत्येक यात्री की गोपनीयता हमारे लिए सर्वोपरि है और नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस पर कोई समझौता नहीं करेगा"- राममोहन नायडू
नई दिल्ली | केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने विशाखापत्तनम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर नौ हवाईअड्डों के लिए डिजी यात्रा सुविधा का उद्घाटन किया। उन्होंने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के आठ अन्य हवाईअड्डों के लिए इस सुविधा को वर्चुअल माध्यम से शुरू किया। ये हवाईअड्डे हैं- कोयंबटूर, डाबोलिम, इंदौर, बागडोगरा, रांची, पटना, रायपुर और भुवनेश्वर हवाईअड्डा।
इस उद्घाटन समारोह के दौरान नागरिक उड्डयन मंत्री ने बताया कि किस तरह डिजी यात्रा हवाईअड्डे पर भीड़-भाड़ के दौरान विभिन्न दस्तावेजों- बोर्डिंग पास, पहचान पत्र और लगेज टैग आदि के प्रबंधन के मुश्किल कार्य को सरल बनाती है। एक यात्री के लिए हवाईअड्डे में प्रवेश का समय मैनुअल प्रक्रिया में लगने वाले औसत 15 सेकंड से घटकर 5 सेकंड रह गया है। 55 लाख से अधिक उपयोगकर्ता पहले ही इस एप को डाउनलोड कर चुके हैं और 3 करोड़ से अधिक यात्रियों ने यात्रा के लिए डिजी यात्रा का उपयोग किया है।
1 दिसंबर, 2022 को तीन हवाईअड्डों- नई दिल्ली, वाराणसी और बेंगलुरु पर पहली डिजी यात्रा सुविधा की शुरुआत के बाद डिजी यात्रा- सक्षम हवाईअड्डों की कुल संख्या 24 हो जाएगी। इनमें के नौ हवाईअड्डे शामिल हैं।
मंत्री ने डिजी यात्रा की शुरूआत के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “इसकी शुरूआत कोविड-19 महामारी के दौरान बहुत उचित समय पर हुई, जब शारीरिक संपर्क को न्यूनतम करने की जरूरत पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गई थी। डिजी यात्रा ने हवाईअड्डा स्थित प्रमुख जांच चौकियों पर संपर्क रहित और कागज रहित प्रक्रिया की सुविधा प्रदान की है। अपनी शुरुआत के बाद से इस प्रणाली ने हवाईअड्डों पर हर दिन हजारों कागज की शीट बचाने में सहायता की है, जिससे नागरिक उड्डयन क्षेत्र में टिकाऊ विकास के हमारे व्यापक लक्ष्य को समर्थन मिला है।”
नायडू ने यात्रियों की डेटा सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, "यहां तक कि लोकसभा में भी मैंने इस बात पर जोर दिया है कि डिजी यात्रा एक सुदृढ़ डेटा सुरक्षा की नींव पर निर्मित है। मैं यह साफ तौर पर कहना चाहूंगा कि यात्रियों की व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी (पीआईआई) का कोई केंद्रीय भंडारण नहीं है। सभी यात्रियों का डेटा एन्क्रिप्ट कर करके उनके स्मार्टफोन में सुरक्षित रूप से संग्रहीत कर दिया जाता है व मूल हवाईअड्डे के साथ केवल अस्थायी रूप से साझा किया जाता है और प्रस्थान के 24 घंटे के भीतर इसे नष्ट कर दिया जाता है। हर एक यात्री की गोपनीयता हमारे लिए सबसे ऊपर है और नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस पर कोई समझौता नहीं करेगा।”
डिजी यात्रा सरकार की एक परिवर्तनकारी डिजिटल पहल है, जिसका उद्देश्य चेहरे की पहचान पर आधारित प्रौद्योगिकी (एफआरटी) पर आधारित हवाईअड्डों पर सुगम, संपर्क रहित और कागज रहित बोर्डिंग के साथ यात्री अनुभव को समृद्ध करना है। यह यात्रियों को उनकी पहचान और यात्रा विवरण को सत्यापित करने के लिए चेहरे की पहचान का उपयोग करके कागज रहित और संपर्क रहित प्रक्रिया के माध्यम से हवाईअड्डों पर विभिन्न जांच चौकियों से गुजरने में सहायता करता है।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय नागरिक उड्डयन व सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल और केंद्रीय नागरिक उड्डयन सचिव वुमलुनमंग वुअलनाम भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। इसके अलावा एएआई के अध्यक्ष एम सुरेश, लोकसभा सांसद (विशाखापत्तनम) श्रीभरत मथुकुमिल्ली, आंध्र प्रदेश विधानसभा के सदस्य पी.जी.वी.आर. नायडू (गण बाबू) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में डीडीजी पीके ठाकुर सहित मंत्रालय व एएआई के वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
“हमें अपनी ज़िंदगी में जितना हो सके उतना अच्छा काम करने की कोशिश करनी चाहिएः भागवत
डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने शंकर दिनकर काने के शताब्दी समारोह के अवसर पर एक कार्यक्रम में कहा कि एक व्यक्ति की उत्कृष्टता को देवता मानने का निर्णय समाज करता है, खुद व्यक्ति नहीं. शंकर दिनकर ने 1971 तक मणिपुर में बच्चों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया और छात्रों को महाराष्ट्र लाकर उनके ठहरने की व्यवस्था की।
भागवत ने काने के कार्य को याद करते हुए कहा, “हमें अपनी ज़िंदगी में जितना हो सके उतना अच्छा काम करने की कोशिश करनी चाहिए। कोई यह नहीं कह रहा है कि हमें चमकना या अलग दिखना नहीं चाहिए. हर कोई अपने काम के माध्यम से आदरणीय बन सकता है, लेकिन हम उस स्तर पर पहुँचे हैं या नहीं, इसका निर्धारण दूसरों द्वारा होगा, खुद द्वारा नहीं।” उन्होंने यह भी कहा, “हमें यह नहीं घोषित करना चाहिए कि हम भगवान बन गए हैं।
मणिपुर की स्थिति का उल्लेख करते हुए आरएसएस प्रमुख ने चिंता व्यक्त की। भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक मणिपुर में न तो वहां से निकले हैं और न ही बेकार बैठे हैं। इसके विपरीत, वे दोनों समूहों के बीच तनाव को कम करने और राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “वहां सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है. स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. व्यापार या सामाजिक कार्य के लिए गए लोगों के लिए स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी, आरएसएस स्वयंसेवक दृढ़ता से तैनात हैं, दोनों पक्षों की सेवा कर रहे हैं और स्थिति को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं।
जंगली हाथी से बचने के लिए दूसरे घर में ली शरण, 4 बच्चों को सांप ने काटा, 3 की मौत
डेस्क। झारखंड के गढ़वा जिले के एक गांव में हाथियों के हमले के डर से एक साथ सो रहे तीन बच्चों की सांप के डसने से मौत हो गई। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यह हादसा गढ़वा के चिनिया पुलिस थाने के अंतर्गत चपकली गांव में हुआ।
उन्होंने बताया कि नवानगर टोला में रह रहे एक परिवार के करीब 8 से 10 बच्चे हाथियों के हमले से डर के कारण बृहस्पतिवार रात एक साथ घर के फर्श पर सो रहे थे तभी एक सांप वहां घुस आया और उसने तीन बच्चों को डस लिया, जिससे उनकी मौत हो गई।
स्थानीय लोगों ने बताया कि परिवार के लोग सभी बच्चों को झाड़-फूंक के लिए पड़ोसी गांव ले गए। लेकिन झाड़-फूंक के दौरान दो बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीसरे बच्चे की अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो गई। मृतक बच्चों की पहचान 15 वर्षीय पन्नालाल कोरवा, 8 वर्षीय कंचन कुमारी और 9 वर्षीय बेगी कोरवा के रूप में हुई है। बेगी कोरवा अपने नानी के घर रह रही थी। वहीं राखी कुमारी की हालत गंभीर है और उसका इलाज गढ़वा सदर अस्पताल में चल रहा है।
जाति प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था का हो सरलीकरण : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में जाति प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था का सरलीकरण करने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा है कि जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था को भी जन-सुलभ बनाया जाए। इसके लिए संबंधित विभागों में परस्पर समन्वय सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पिछड़ा वर्ग पोस्ट मेट्रिक बालिका छात्रावासों में मैस का संचालन आरंभ करने तथा बालिका छात्रावासों की सुरक्षा के लिए बाउण्ड्रीवॉल बनाने के निर्देश दिए। इन छात्रावासों में सोलर पैनल भी लगाए जाएंगे। उन्होंने वर्ष 2024-25 में पिछड़ा वर्ग पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति भुगतान के लिए वर्तमान बजट प्रावधान के अतिरिक्त 560 करोड़ रूपए बजट के साथ ही छात्रवृत्ति के लिए पृथक पोर्टल को भी स्वीकृति प्रदान की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रालय में पिछड़ा वर्ग-अल्पसंख्यक कल्याण तथा विमुक्त, घुमन्तु और अर्द्ध-घुमन्तु कल्याण विभाग की समीक्षा में यह निर्देश दिए। बैठक में विभाग की मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर, मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जा रही है, उनकी शाला में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाएं। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति के अंतर्गत लाभान्वित हुए विद्यार्थियों के प्रदेश को योगदान का भी आंकलन किया जाए। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग के बेरोजगार युवाओं को विदेश में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए संचालित योजना के अंतर्गत संबंधित देश की भाषा में दक्षता के लिए प्रदेश के चयनित संभागों में आवश्यक व्यवस्था कर सघन प्रयास किए जाएं। इसके साथ ही सरदार पटेल रोजगार प्रशिक्षण योजना और पिछड़ा वर्ग के परम्परागत व्यवसायों पर आधारित उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना में बाजार की मांग के अनुरूप व्यवसायों और उत्पादों पर फोकस किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग तथा अल्प-संख्यक उद्यम एवं स्व-रोजगार योजना के अंतर्गत गतिविधियों को विस्तार देने की आवश्यकता बताई।
वैज्ञानिकों ने शास्त्रीय और क्वांटम गुरुत्व को जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है
नई दिल्ली | शोधकर्ताओं ने गुरुत्वाकर्षण और क्वांटम यांत्रिकी के शास्त्रीय सिद्धांत को एकीकृत करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपनी गणना के माध्यम से गुरुत्वाणु - गुरुत्वाकर्षण की काल्पनिक मात्रा और गुरुत्वाकर्षण संपर्क के बल की मध्यस्थता करने वाले प्राथमिक कण- के शोर से प्रेरित अनिश्चितता का संबंध पाया। जबकि शास्त्रीय भौतिकी नियमों और समीकरणों का एक समूह है जो बताता है कि सामान्य वस्तुएं कैसे व्यवहार करती हैं और क्वांटम भौतिकी परमाणुओं और छोटी वस्तुओं की दुनिया का वर्णन करती है।
एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज में खगोल भौतिकी (आईआईए) और उच्च ऊर्जा भौतिकी विभाग के सोहम सेन और प्रो. सुनंदन गंगोपाध्याय स्थलीय प्रणालियों में क्वांटम गुरुत्वाकर्षण के संकेत खोजने में लगे हुए हैं, जो गुरुत्वाकर्षण के पूर्ण क्वांटम सिद्धांत की बेहतर समझ विकसित करेगा। यह वो मौलिक समस्या है जो अल्बर्ट आइंस्टीन के समय से अनसुलझी है।
क्वांटम गुरुत्व (क्यूजी) सैद्धांतिक भौतिकी का एक क्षेत्र है जो क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों के अनुसार गुरुत्वाकर्षण का वर्णन करता है। यह ऐसे वातावरण से संबंधित है जिसमें न तो गुरुत्वाकर्षण और न ही क्वांटम प्रभावों को नजरअंदाज किया जा सकता है, जैसे कि ब्लैक होल या न्यूट्रॉन सितारों जैसी कॉम्पैक्ट खगोलीय वस्तुएं।
यह पहले दिखाया गया है कि जब गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को क्वांटम यांत्रिक रूप से व्यवहार किया जाता है, तो यह एलआईजीओ के इंटरफेरोमीटर जैसे गुरुत्वाकर्षण तरंग डिटेक्टरों की भुजाओं की लंबाई में उतार-चढ़ाव या शोर उत्पन्न करता है।
इस शोर की विशेषताएं गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की क्वांटम स्थिति पर निर्भर करती हैं। इस मौलिक शोर का पता लगाना गुरुत्वाकर्षण के परिमाणीकरण और गुरुत्वाकर्षण और क्वांटम सिद्धांत के बीच की कड़ी गुरुत्वाणु के अस्तित्व के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण होगा।
इस तरह के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए, प्रोफेसर गंगोपाध्याय और सोहम सेन ने क्वांटम गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से गिरने वाले पिंडों के भाग्य की जांच की है। उनकी गणना से गुरुत्वाकर्षण के शोर से प्रेरित स्थिति और गति चर के बीच एक अनिश्चितता संबंध प्राप्त हुआ है।
अनिश्चितता का संबंध एक सच्चे क्वांटम गुरुत्वाकर्षण प्रभाव को इंगित करता है और गणना स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि परिमाणित गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के साथ कण की स्वतंत्रता की डिग्री का सही युग्मन है।
प्रोफेसर सुनंदन गंगोपाध्याय ने कहा, "सामान्यीकृत अनिश्चितता सिद्धांत की हमारी व्युत्पत्ति इस अर्थ में मजबूत है कि परिणाम गुरुत्वाकर्षण की क्वांटम प्रकृति को ध्यान में रखकर प्राप्त किया गया था।"