दिव्य महाराष्ट्र मंडल

खजुराहो के प्राचीन शिल्‍प में हैं नारी शक्ति के प्रमाण: आचार्य धनंजय शास्‍त्री

(बाल कृष्ण लीला, पूतना वध, गोवर्धन पर्वत, रास लीला झांकी प्रस्तुत करने वाली टीम)
0 महाराष्‍ट्र मंडल में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान आचार्यश्री ने दी कई अहम जानकारियां 

रायपुर। खजुराहो में कम से कम अतिप्राचीन शिल्‍प ऐसे हैं, जिसमें हमें सदियों पुराने नारी शक्ति के प्रमाण मिलते हैं। एक शिल्‍प में महिलाओं को घुड़सवारी करते हुए व तलवारबाजी करते हुए दिखाया गया है। इसका आशय यह है कि युद्ध के मैदान पर भी सेनाओं की टुकड़ियों में महिलाओं की भूमिका महत्‍वपूर्ण होती थी। इतिहास में देखें तो रानी लक्ष्‍मीबाई से लेकर राजमाता अहिल्‍या बाई तक ऐसे कई उदाहरण भी हैं। महाराष्‍ट्र मंडल में जारी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान इस आशय की जानकारी आचार्य धनंजय शास्‍त्री ने दी।
 
आचार्य धनंजय ने कहा कि खजुराहो के एक शिल्‍प में लड़कियां कक्षा में बैठकर पढ़ रहीं हैं। एक शिल्‍प पर लड़की दूरबीन से आसमान की ओर से देख रही है। अर्थात सदियों पहले हमारे पास दूरबीन जैसे उपकरण भी थे। यही वजह है कि अंग्रेजों ने खजुराहो की शिल्‍पकारी को अश्‍लीलता के नाम पर बदनाम कर रखा है। दरअसल अंग्रेज शुरू से ही यह प्रचारित करते रहे हैं कि हिंदू हमेशा से ही लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर महिलाओं को दबाते आ रहे हैं। यदि आमजन खजुराहो की शिलाओं को देखेंगे, तो उनका फैलाया हुआ भ्रम और अफवाह दूर हो जाएगी और यह अंग्रेज नहीं चाहते थे। आचार्य ने कहा कि हम सभी को एक बार खजुराहो जाकर यहां के शिल्‍पों के माध्‍यम से अपने इतिहास की सच्चाइयों से परिचित होना चाहिए।
 
आचार्यश्री ने कहा कि हर व्‍यक्ति के पास अपना स्‍वयं का एक जमीन का टुकड़ा जरूर होना चाहिए। जब तक बहुत जरूरी न हो, तो गांव की जमीन को बेचने के बारे में सोचना तक नहीं चाहिए। यदि आपने गांव की जमीन को बेच ही दिया, तो प्रयास होना चाहिए कि उसी पैसे से एक छोटा सा ही सही, शहर में अपने पास जमीन का टुकड़ा रखना चाहिए। भगवान का पूजन-तप पृथ्‍वी पर बैठ किया जाता है।
 
आचार्य धनंजय शास्‍त्री ने कहा कि यदि खजुराहो, सांची के पास उदयगिरी मंदिर की शिलाओं पर महिलाओं की केश सज्‍जा के आधार पर ही पुस्‍तक लिखी जाए, तो उसे पढ़कर लड़कियां, महिलाएं बॉयकट, बॉबकट रखना ही छोड़ देंगी। लगभग यही स्थिति पुरुषों के केश सज्‍जा और देवी- देवताओं के आभूषणों को लेकर भी कही जा सकती है। आचार्यश्री ने भक्‍त प्रह्लाद की कथा सुनाते कहा कि यदि संभव हो तो घर के दक्षिण- पूर्व दिशा के बीच में डूमर (अवडूंबर) का पेड़ लगाना चाहिए। इसमें नारायण का वास होता है और इसके सामने दुष्‍ट ताकतें नष्‍ट हो जातीं हैं। इसमें दत्‍तात्रय भगवान का वास भी होता है।