दिव्य महाराष्ट्र मंडल

महाराष्ट्र मंडल में होगी पार्थिव शिवलिंग स्पर्धा... साथ ही पूजन, भजन और नृत्य का भी भव्य आयोजन

रायपुर। चौबे कालोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल में श्रावण अधिकमास के मौके पर पार्थिव शिवलिंग बनाने की स्पर्धा अतिशीघ्र होने वाली है। सरोना केंद्र और सुंदर नगर केंद्र की ओर से आयोजित इस रोचक आध्या​त्मिक प्रतियोगिता में महाराष्ट्र मंडल के सभी 15 केंद्रों की महिलाएं 15 टीम के तौर पर शामिल होंगी। 

मंडल की महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले ने बताया कि गीली मिट्टी को हाथ पर लेकर छोटे—छोटे (पार्थिव) शिवलिंग बनाने की स्पर्धा को लेकर जल्दी ही सरोना केंद्र की संयोजिका जयश्री ढेकने और सुंदर नगर केंद्र की संयोजिका सुरभि गनोदवाले अपनी सह—संयोजिकाओं को लेकर आपस में चर्चा करेंगी। इसमें आयोजन की तिथि से लेकर नियम व शर्तों को तय किया जाएगा। 

विशाखा तोपखानेवाले ने बताया कि इस मौके पर षोडशोपचार पूजा, शिव तांडव स्त्रोत, शिवमंत्र अराधना व भजन एवं शिव तांडव नृत्य का आयोजन भी किया जाएगा। कार्यक्रम में सभी 15 केंद्रों की महिला सदस्यों को शामिल होने के लिए बराबरी का मौका मिलेगा। इस प्रतियोगिता में सभी केंद्र की महिलाएं तय समय में अधिक से अधिक पार्थिव शिवलिंग बनाकर विजेता बनने की कोशिश करेंगी। 

पार्थिव शिवलिंग क्या है
मिट्टी का शिवलिंग, गाय के गोबर, गुड़, मख्खन, मिट्टी में गंगाजल मिलाकर बनाया जाता है। इसके लिए बेल वृक्ष की मिट्टी या चिकनी मिट्टी के उपयोग को अतिउत्तम माना गया है। आमतौर पर यह मिट्टी नदी अथवा तालाब की होती है। मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की ऊंचाई अधिकतम 12 अंगुल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 

मान्यताओं में पार्थिव शिवलिंग
ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम ने पार्थिव शिवलिंग की पूजा लंका कूच करने से पहले सागर तट पर की थी। एक मान्यता यह भी है कि भगवान शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से ज्यादा शक्ति पाने के लिए काशी विश्वनाथ में पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शंकर की पूजा की थी और आशीर्वाद प्राप्त किया था। यह भी मान्यता है कि कलयुग में कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने शिव पार्थिव लिंग का पूजन किया था, तभी से यह परंपरा चली आ रही है। 

पार्थिव शिवलिंग पूजा के लाभ
ऐसा माना जाता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से जीवन की बड़ी—बड़ी बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही अकाल मृत्यु का भय भी दूर होता है। शिव पुराण के अनुसार भोलेनाथ ​के आशीर्वाद से धन—धान्य, सुख—समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है एवं जीवन के अंतिम क्षणों में मोक्ष की प्राप्ति होती है।