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यूपी की अर्थव्यवस्था केवल आंकड़ों की प्रगति नहीं, जमीनी स्तर पर बदलाव का बनी प्रमाण

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश की आर्थिक स्थिति, विकास संरचना और राजस्व स्रोतों की व्यापक समीक्षा की। बैठक में मुख्यमंत्री जी ने राज्य की आर्थिक यात्रा को ‘सम्भावनाओं से परिणाम तक’ की प्रक्रिया बताते हुए कहा कि यह रूपांतरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत की परिकल्पना से प्रेरित है। मुख्यमंत्री जी ने इस बात पर विशेष बल दिया कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था अब केवल आंकड़ों की प्रगति नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर बदलाव का प्रमाण बन चुकी है।

बैठक में प्रस्तुत विवरण के अनुसार, राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) वर्ष 2024-25 में 29.6 लाख करोड़ रुपये के आँकड़ें तक पहुंचने का अनुमान है, जो वर्ष 2020-21 की तुलना में लगभग 80 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसी अवधि में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में प्रदेश की हिस्सेदारी 8.4 प्रतिशत से बढ़कर 8.9 प्रतिशत हो गई है। मुख्यमंत्री ने इसे आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में ठोस उपलब्धि बतायी, साथ ही यह भी कहा कि हमें वर्ष 2026 तक राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर अभी से ठोस रणनीति बनानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आर्थिक संरचना में स्पष्ट परिवर्तन दिखाई दे रहा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की हिस्सेदारी में निरंतर वृद्धि हो रही है, जबकि कृषि आधारित हिस्सेदारी क्रमिक रूप से कम हो रही है। उन्होंने ‘मेक इन यूपी’ मॉडल को अगले दशक के लिए औद्योगिक रणनीति का आधार बताते हुए निर्देश दिए कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में नई इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाए।
 

मुख्यमंत्री को कृषि क्षेत्र की समीक्षा में अवगत कराया गया कि खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2024-25 में 722 लाख मीट्रिक टन तक पहुँचने का अनुमान है, जो वर्ष 2020-21 की तुलना में 100 लाख मीट्रिक टन अधिक है। जिलावार उत्पादकता में अभी भी बड़ा अंतर मौजूद है। कुछ जिलों में गेहूं की उत्पादकता 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई है, वहीं कुछ में यह 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आसपास है। मुख्यमंत्री जी ने इसे असंतुलन मानते हुए निर्देश दिए कि तकनीकी सहायता और किसान जागरूकता अभियानों के माध्यम से यह अंतर कम किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन क्षेत्र में राज्य का दुग्ध उत्पादन देश में सर्वाधिक है। अण्डा उत्पादन में भी सुधार हुआ है। लेकिन केवल कुल उत्पादन पर्याप्त नहीं, बल्कि प्रति पशु उत्पादकता में सुधार लाने की आवश्यकता है। उन्होंने नस्ल सुधार, फीड प्रबन्धन और डेयरी व्यवसाय से जुड़े डेटा का नियमित विश्लेषण करने के निर्देश दिए । 

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