आईसीसैट 2025: सिक्योरिटीज़, आर्बिट्रेशन और टैक्सेशन पर अंतरराष्ट्रीय विमर्श
रायपुर। नवा रायपुर स्थित हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचएनएलयू) में “इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन सिक्योरिटीज़, आर्बिट्रेशन एंड टैक्सेशन (आईसीसैट 2025) का सफल आयोजन किया गया। दो दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय अकादमिक सम्मेलन ने विधिक विमर्श, अकादमिक संवाद और प्रदेश गौरव का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया।
उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) वीसी विवेकानंदन ने कहा कि “विधि, विनियमन और मध्यस्थता — तीनों अब एक साझा डिजिटल पुल पर खड़े हैं, जो शासन, शिकायत और वैश्वीकरण को जोड़ता है।” मुख्य अतिथि एजे. जव्वाद, रजिस्ट्रार, इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन एंड मेडिएशन सेंटर (आईएएमसी), हैदराबाद ने कहा कि “बाज़ार, प्रक्रिया और परिणाम — तीनों में विश्वास ही सिक्योरिटीज़, आर्बिट्रेशन और टैक्सेशन प्रणाली की आत्मा है।”
विशिष्ट अतिथि पीवी एस. गिरिधर, वरिष्ठ अधिवक्ता, मद्रास उच्च न्यायालय एवं विशिष्ट न्यायविद् प्रोफेसर, एचएनएलयू ने आधुनिक विवाद निपटान में आर्बिट्रेशन की प्रासंगिकता पर विचार साझा किए। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (लीगल हेड) अंबर गुप्ता ने सिक्योरिटीज़ कानून और बाजार विवादों के न्यायशास्त्रीय पहलुओं पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव, कार्यवाहक कुलसचिव ने अतिथियों का स्वागत किया और डॉ. मयंक श्रीवास्तव, प्रमुख, सेंटर फॉर सिक्योरिटीज़ लॉ ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
आईसीसैट 2025 के पहले दिन दो उच्चस्तरीय पैनल चर्चाएँ तथा सिक्योरिटीज़, आर्बिट्रेशन और टैक्सेशन पर समानांतर तकनीकी सत्र आयोजित हुए। कुल 46 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। पैनल चर्चाओं में न्यायमूर्ति जी. रघुराम (पूर्व न्यायाधीश, तेलंगाना उच्च न्यायालय एवं पूर्व निदेशक, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी), ए. जे. जव्वाद (सेक्रेटरी, आईएएमसी), पी. वी. एस. गिरिधर (वरिष्ठ अधिवक्ता), वाई. वी. एस. टी. साई (सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी), अंबर गुप्ता (एनएसई), सुरेश नायर (हेड लीगल, एनएसडीएल), मनीष छंगाणी (पार्टनर, द लॉ पॉइंट), श्रुति खानिजौ (पार्टनर, शार्दुल अमरचंद मंगलदास) तथा वैभव कुलकर्णी (एसोसिएट पार्टनर, वैश एसोसिएट्स) जैसे विधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। चर्चाओं में सिक्योरिटीज़ नियमन, मध्यस्थता की व्यवहारिक चुनौतियाँ और कर प्रणाली के अंतःविषयक पहलुओं पर विस्तृत विमर्श हुआ।
समापन सत्र में कुलपति प्रो. (डॉ.) विवेकानंदन ने कहा कि “सिक्योरिटीज़ और टैक्सेशन को आर्बिट्रेशन के दायरे में लाने के अवसर और जोखिम दोनों मौजूद हैं। जहां कुछ मामलों में आर्बिट्रेशन त्वरित विवाद समाधान का माध्यम बन सकता है, वहीं राज्य संबंधी व्यापक प्रश्नों का समाधान न्यायालयीन प्रक्रिया से ही होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि विधि विश्वविद्यालयों का दायित्व है कि वे इन विषयों की जटिलताओं को पाठ्यक्रम में शामिल कर भविष्य के विधि विशेषज्ञों को व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान करें।
विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) रामकुमार काकानी, कुलपति, आरवी विश्वविद्यालय, बेंगलुरु ने सेबी विनियमों के प्रति जागरूकता और विधि-अर्थशास्त्र के अंतर्संबंध पर बल दिया। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति जी. रघुराम ने कहा कि “आर्बिट्रेशन, सिक्योरिटीज़ और टैक्सेशन में विशेषज्ञता विकसित करने से पहले इन विषयों की बुनियादी समझ अत्यंत आवश्यक है।” इस अवसर पर डॉ. अमितेश देशमुख, प्रमुख, सेंटर फॉर कमर्शियल आर्बिट्रेशन ने सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की और डॉ. अनिंद्य तिवारी, प्रमुख, सेंटर फॉर डोमेस्टिक एंड इंटरनेशनल टैक्स लॉज़ ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। सम्मेलन में देश के 12 राज्यों से 70 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। आयोजन समिति में डॉ. अनिंद्य तिवारी, डॉ. मयंक श्रीवास्तव और डॉ. अमितेश देशमुख शामिल थे।