बिना तेल में तले भी बनता है प्याज पकोड़ा... माधुरी दीक्षित ने बताया तरीका... आप भी देखिए यह वीडियो
एक्ट्रेस सुष्मिता सेन की ट्रांसजेंडर के किरदार में आने वाली सीरीज ताली का मोशन पोस्टर जारी कर दिया गया है। इस पोस्टर में एक लाल रंग के बिंदी में सुष्मिता सेन का चेहरा उभरते हुए दिखाई देता है। इस सीरीज में सुष्मिता सेन कार्यकर्ता गौरी सावंत की भूमिका में नजर आएंगी। गौरी सावंत, जिनका जन्म गणेश के रूप में हुआ था, ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2013 में दायर इस मामले में 2014 में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आया, जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तीसरे दर्जे के रूप में मान्यता दी गई।
उल्लेखनीय है कि, बस्तर क्षेत्र अरसे से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है। स्थानीय नेताओं से लेकर सुरक्षा में तैनात जवानों पर आए दिन अटैक होते रहते हैं। विपुल अमृतलाल शाह अपनी फिल्मोग्राफी के लिए जाने जाते हैं। अब तक उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में आंखें, हॉलीडे, फोर्स, कमांडो, वक्त, नमस्ते लंदन, सिंह इज किंग, “द केरल स्टोरी” जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।
हालांकि, इस सफाई के लिए भी लोगों ने मनोज को सोशल मीडिया पर ट्रोल करना शुरू कर दिया था। 'आदिपुरुष' से लोगों की नाराजगी लगातार नजर आती रही। आखिरकार, भावनाओं को देखते हुए मेकर्स ने डायलॉग बदलने का फैसला लिया है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि नए डायलॉग्स के साथ 'आदिपुरुष' देखने वाले दर्शकों का क्या रिएक्शन आता है।
साथियो, भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है। हम, अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं, अपने संविधान को सर्वोपरि मानते हैं, इसलिए, हम 25 जून को भी कभी भुला नहीं सकते। यह वही दिन है जब हमारे देश पर emergency थोपी गई थी। यह भारत के इतिहास का काला दौर था। लाखों लोगों ने emergency का पूरी ताकत से विरोध किया था। लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान इतना अत्याचार किया गया, इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी, मन, सिहर उठता है। इन अत्याचारों पर पुलिस और प्रशासन द्वारा दी गई सजाओं पर बहुत सी पुस्तकें लिखी गई हैं। मुझे भी ‘संघर्ष में गुजरात’ नाम से एक किताब लिखने का उस समय मौका मिला था। कुछ दिनों पहले ही emergency पर लिखी एक और किताब मेरे सामने आई जिसका शीर्षक है – Torture of Political Prisoners in India. Emergency के दौरान छपी इस पुस्तक में वर्णन किया गया है, कि कैसे, उस समय की सरकार, लोकतंत्र के रखवालों से क्रूरतम व्यवहार कर रही थी। इस किताब में ढ़ेर सारी case studies हैं, बहुत सारे चित्र हैं। मैं चाहूँगा कि, आज, जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो, देश की आजादी को खतरे में डालने वाले ऐसे अपराधों का भी जरुर अवलोकन करें। इससे आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी।