दिव्य महाराष्ट्र मंडल

यूपीएससी की परीक्षा 452वां रैंक हासिल कर अभिषेक बोले-सफलता से खुश हूं, संतुष्ट नहीं

रायपुर। पांचवे अटेम्प्ट में यूपीएससी की परीक्षा में 452वें रैंक के साथ सफल होने वाले अभिषेक डांगे अपनी कामयाबी से खुश तो है, मगर संतुष्ट नहीं। यही वजह है कि वह अंतिम बार फिर यूपीएससी की परीक्षा देने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हुए पूरे धैर्य और आत्मविश्वास के साथ तैयारी करेंगे। अभिषेक कहते हैं कि उन्हें अपने वर्तमान रैंक के हिसाब से संभवतः सेंट्रल रेलवे या ऑडिट डिपार्मेंट में ए ग्रेड की पोस्ट मिल ही जाएगी और वह इसे ज्वाइन भी करेंगे लेकिन और बड़ी कामयाबी हासिल करने के अपने लक्ष्य को छोड़ेंगे नहीं।

कबीर नगर निवासी अभिषेक एनआईटी से मैकेनिकल इंजीनियर बने। यूपीएससी के पांचवें अटेम्प्ट में प्रीलिम्स के साथ-साथ मेंस में भी उन्होंने कमाल का परफॉर्मेंस दिया। लेकिन उनका इंटरव्यू गलत डायरेक्शन में चला गया। जिसकी हताशा उन्हें आज भी है। अभिषेक कहते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा के लिए आपका एफर्ट, धैर्य और आत्मविश्वास बहुत मायने रखता है। छोटी सफलता के बाद भी आगे बढ़ाने की भूख, अपनी कमियों को दूर कर लक्ष्य को हासिल करने की जिद एक न एक दिन आपको लक्ष्य जरूर हासिल कराती है।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद अभिषेक ने यूपीएससी की परीक्षा ज्योग्राफी से क्यों दी? जवाब में वह कहते हैं कि आप जिस सब्जेक्ट में ज्यादा कंफर्ट है, अच्छे गाइडेंस के साथ तैयारी कर सकते हैं, एनालिटिकल जवाब लिख सकते हैं तो फिर आपको सब्जेक्ट चेंज करने में दुविधा नहीं होनी चाहिए। अभिषेक के मुताबिक उन्हें ऐसा लगता है कि ऐसा सब्जेक्ट, जिसमें न्यूनतम प्रतिभागी परीक्षा देते हैं, उसमें अच्छी स्कोरिंग संभव होती होगी। लेकिन उन्हें वह सब्जेक्ट चयनित किया था जिसे वह बेहतर तरीके से समझकर, पढ़कर, परीक्षा में सवालों के जवाब दे सकें।

2016 में ग्रेजुएशन के बाद अभिषेक ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड में नौकरी शुरू कर दी। दो साल नौकरी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए इससे इस्तीफा दे दिया। यूपीएससी की तैयारी करने के लिए एक साल दिल्ली में रहकर उन्होंने कोचिंग ली। काफी तैयारियां करने के बाद उन्हें लगा कि प्रतिस्पर्धी परीक्षा के लिए दिल्ली का इंफ्रास्ट्रक्चर और माहौल वैसा नहीं है, जैसा वे अपेक्षा करते हैं। आखिरकार अभिषेक रायपुर वापस आ गए और उन्होंने नालंदा परिसर, तक्षशिला परिसर, सेंट्रल लाइब्रेरी जैसे अहम स्थान पर 14- 14 घंटे पढ़ाई की। दोस्तों के साथ परीक्षा की तैयारी को लेकर डिस्कशन किया। अपने आप को थकान और तनाव से बचने के लिए उन्होंने विवेकानंद आश्रम में योग भी किया। आखिरकार अनवरत मेहनत के बाद उन्हें सफलता मिलनी ही थी।

भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत विलास डांगे और एससीईआरटी में कार्यरत विद्या डांगे के सुपुत्र अभिषेक अपनी सफलता के पीछे मां विद्या की महत्वपूर्ण भूमिका मानते हैं। अभिषेक ने कहा कि भारत पेट्रोलियम की नौकरी छोड़कर उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी। मां के आशीर्वाद स्वरूप यूपीएससी परीक्षा 2022 में दो बार वह प्रीलिम्स निकालने के बाद मेंस में अटकते रहे। तब लोग कहते थे कि सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरी छोड़कर यह क्या कर रहे हो, तुमको नौकरी नहीं छोड़नी थी। इस दौरान उनके माता-पिता को काफी सुनना पड़ा था। 2022 में जब वे अपना प्रीलिम्स भी नहीं निकाल पाए तो वह टूट गए रोने लगे। ऐसी स्थिति में मां विद्या डांगे का आशीर्वाद से भरा हाथ उनके सर पर था। वो मां का ही विश्वास था कि 2023 में हुई यूपीएससी की परीक्षा में उन्होंने बड़ी सफलता हासिल की।

युवाओं से अभिषेक ने कहा कि प्रॉपर गाइडेंस के साथ उन सब्जेक्ट में यूपीएससी की तैयारी करें जिस पर आपकी सर्वश्रेष्ठ कमांड है। आपको कॉन्फिडेंट होकर पूरे धैर्य के साथ एनालिटिकल जवाब लिखने का भी प्रैक्टिस करनी पड़ेगी। अपनी कमजोरी को दूर करने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी होगी। परीक्षा परीक्षा के दौरान आपको सोशल मीडिया टीवी जैसी विभिन्न गतिविधियों से दूर रहकर केवल अपने लक्ष्य पर टारगेट करना होगा। निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी।