0- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एकेडमिक लीडरशिप और स्कूल मैनेजमेंट पर वर्कशाप
0- छत्तीसगढ़ निजी स्कूल मैनेजमेंट संघ और महाराष्ट्र मंडल का संयुक्त आयोजन
रायपुर। शिक्षक एक ऐसा सम्मानीय पद है, जिस पर लाखों बच्चों के भविष्य संवारने का जिम्मा होता है। एक शिक्षक का सबसे बड़ा गुण होता है कि वह अपने क्लास के बच्चों के स्तर पर जाए फिर उन्हें शिक्षित कर अपने स्तर तक लाए। माता-पिता का कार्य बच्चे को जन्म देने का होता है, लेकिन उसे गढ़ने का पूरा जिम्मा शिक्षकों का होता है। उक्ताशय के विचार मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ छत्तीसगढ़ के प्रांत प्रचारक अभय राम ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि एक समय में हमारी शिक्षा का स्तर काफी उत्तम था। समय के साथ इसमें गिरावट आती गई। आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बेहतर क्रियान्वयन की आवश्यकता है। इस कार्य में स्कूल के प्राचार्यों और उप प्राचार्यों की भूमिका अहम है। विशेष अतिथि आईएसबीएम विवि के डायरेक्टर जनरल डा. जयेंद्र नारंग ने कहा कि घर के बाहर बच्चों का पहला रोल माॅडल शिक्षक होता है। शिक्षक की हर एक्टिविटी को हजारों आखें देखती हैं। आपकी छोटी- मोटी गलती भी छिपाए नहीं छिपती। ऐसे में हमें बच्चों के साथ उनके अभिभावकों के लिए भी रोल माॅडल बनना होता है। बच्चों के साथ सार्थक संवाद के लिए अच्छी भाषा, आजादी और प्रिपरेशन आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ निजी स्कूल मैनेजमेंट संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि हम नये पाठ्यक्रम के लिए तैयार है। स्कूल की आत्मा शिक्षक होते हैं। ऐसे में शिक्षकों में ब्राइट विजन होना आवश्यक होता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के राधेश्याम थवाइत ने बच्चों में मूल्यों की समझ विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 शिक्षार्थियों को शिक्षा प्रणाली के केंद्र में रखता है, उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं, रुचियों और क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह नीति शिक्षा को भविष्य की जरूरतों के साथ जोड़ती है, इससे छात्रों को तेजी से बदलती दुनिया में कामयाब होने के लिए तैयार किया जा सके। उन्होंने बहुभाषिता पर जोर देते हुए आपसी संवाद को आवश्यक बताया।
स्कूल मैनेजमेंट' पर कृष्णा पब्लिक स्कूल के निदेशक डा. आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि बेहतर स्कूल मैनेजमेंट में फ्यूचर इम्पैक्ट होना चाहिए। जब तक आपका विजन क्लीयर नहीं होगा, तब तक आप बच्चों को अच्छा भविष्य नहीं दे सकते। महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने कार्यशाला में अध्यक्षीय भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रसन्न निमोणकर और आभार प्रदर्शन संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्रभारी परितोष डोनगांवकर व डॉ. मुकेश शाह ने किया।
एकेडमिक लीडरशिप पर ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल बिलासपुर की निदेशक
डॉ. श्रुति गुप्ता ने कहा:-
0- शिक्षकों के साथ बैठकर प्राचार्य यह जानने की कोशिश करें कि आज क्लास रूम में बच्चों को क्या पढ़ाया जाएगा और इसके लिए शिक्षक कितनी तैयारी करके यहां आए हैं।
0- प्राचार्य शिक्षकों की योग्यता- दक्षता, मनोदशा के अनुरूप उनसे सतत संपर्क में रहें।
0- हम बच्चों को जो देना चाहते हैं, उसके लिए हमारे पास अच्छा विजन होना चाहिए।
0- सभी प्राचार्य, उप प्राचार्य और एचओडी को अपने क्लास रूम में बेस्ट देने के लिए एकेडमिक मीटिंग में डिसक्शन करना चाहिए। लेसन प्लान पर टीचर्स के साथ बैठकर बात करनी चाहिए। शिक्षकों को बच्चों के दिमाग को सही काम में लगाना होगा।
0- प्राचार्य, उप प्राचार्य को बच्चों के माध्यम से भविष्य का सृजन आज ही करना चाहिए।
0- पहले थ्री एज ऑथेंटिसिटी (विश्वसनीयता) एपेथी (सामंजस्य) एडाप्टिसिटी (स्वीकार्यता) जरूरी था।
0- फिर स्टेम यानि साइंस, टेक्नोलॉजी, इंग्लिश, मैथ को जरूरी माना गया।
0- इसके बाद स्टीम मतलब साइंस, टेक्नोलॉजी, इंग्लिश, आर्ट्स, मैथ्स को महत्वपूर्ण माना गया।
0- अब बदलती वर्तमान परिस्थितियों में स्ट्रीम अति आवश्यक हो गया है। स्ट्रीम का आशय साइंस, टेक्नोलॉजी, रोबोटिक, इंग्लिश, आर्ट्स और मैथ्स है।