देश-विदेश
केन्द्र सरकार ने यूनिटी मॉल परियोजना के लिए : छत्तीसगढ़ को दी 200 करोड़ रूपए की स्वीकृति
राष्ट्रीय एकता को मिलेगी मजबूती और विभिन्न राज्यों के बीच बढ़ेगा आर्थिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान- मुख्यमंत्री
यूनिटी मॉल से स्थानीय उत्पादों और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
रायपुर | मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा राज्य में ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) मॉडल को प्रोत्साहित करने एवं स्थानीय उत्पादों के विक्रय को बढ़ावा देने के लिए यूनिटी मॉल की स्थापना की जा रही है।
यूनिटी मॉल की स्थापना से स्थानीय हस्तशिल्पियों, बुनकरों और स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन मिलेगा और नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। मॉल में उत्पादों का प्रदर्शन एवं विक्रय होने से हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा राज्य के छोटे उद्यमियों, शिल्पकारों एवं बुनकरों को लाभ मिलेगा। यह स्थानीय उत्पादों के प्रमोशन एवं विक्रय के लिए ‘‘वन स्टॉप मार्केट प्लेस’’ के रूप में कार्य करेगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यूनिटी मॉल राज्य के गरीबों, युवाओं, अन्नदाताओं, और नारी शक्ति के विकास के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देगा। साथ ही यह मेक इन इंडिया और राष्ट्रीय एकता को भी प्रोत्साहित करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश वासियों के विकास के साथ राष्ट्रीय एकीकरण एवं मेक इन इण्डिया जैसे महत्वपूर्ण विषयों को अपनी प्राथमिकता मानती है। राज्य में स्थापित किये जाने वाले यूनिटी मॉल में अन्य सभी राज्यों के महत्वपूर्ण स्थानीय उत्पादों का भी प्रदर्शन एवं विक्रय किया जाएगा। इससे राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिलेगी और विभिन्न राज्यों के बीच आर्थिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि हस्तशिल्पियों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूहों एवं स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित करने तथा स्थानीय स्तर पर नवीन रोजगार सृजन करने स्वस्थ इकोसिस्टम तैयार करने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार के इस रिफॉर्म के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर केन्द्र सरकार द्वारा पूर्ण सहयोग दिया जा रहा है। राज्य में यूनिटी मॉल की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने 200 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है, जिसमें से 100 करोड़ रुपये राज्य को कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) के तहत अग्रिम रूप में प्रदान किए गए हैं।
वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने कहा कि यूनिटी मॉल में स्थानीय हस्तशिल्प उत्पादों के साथ-साथ फूडकोर्ट्स में स्थानीय व्यंजनों को भी विक्रय के लिए उपलब्ध कराया जायेगा। यूनिटी मॉल के माध्यम से प्रत्येक जिले के विशेष उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने की योजना है। यूनिटी मॉल की स्थापना का दायित्व रायपुर विकास प्राधिकरण को सौंपा गया है। यूनिटी मॉल से न केवल राज्य के स्थानीय कारीगरों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास छत्तीसगढ़ में एक सशक्त और स्थायी इकोसिस्टम का निर्माण करेेगा, जो ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और शहरी बाजारों तक उत्पादों की पहुंच में मददगार होगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नकली दवाओं के खिलाफ कार्रवाई की : कोलकाता में बड़ी मात्रा में जब्ती
नई दिल्ली | नकली दवाओं के अवैध कारोबार के खिलाफ ठोस कार्रवाई करते हुए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), पूर्वी क्षेत्र और पश्चिम बंगाल के औषधि नियंत्रण निदेशालय ने कोलकाता में एक थोक परिसर में संयुक्त जांच की। मैसर्स केयर एंड क्योर फॉर यू पर की गई छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकली कैंसर रोधी, मधुमेह रोधी और अन्य दवाएं जब्त की गईं।
आयरलैंड, तुर्की, अमेरिका और बांग्लादेश सहित विभिन्न देशों में निर्मित होने के लेबल वाली ये दवाइयां भारत में उनके वैध आयात को साबित करने के लिए किसी भी सहायक दस्तावेज़ के बिना पाई गईं। ऐसे दस्तावेज़ न होने पर इन दवाओं को नकली माना जाता है। जांच दल को कई खाली पैकिंग सामग्री भी मिली, जिससे ज़ब्त उत्पादों की प्रामाणिकता को लेकर और भी शंका बढ़ गईं।
जब्त की गई दवाओं का कुल अनुमानित बाजार मूल्य लगभग 6.60 करोड़ रुपए है। उपयुक्त जांच सुनिश्चित करने के लिए दवाओं के नमूने गुणवत्ता परीक्षण हेतु भेजे गए हैं। शेष जब्त मात्रा को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा सुरक्षित रखा जा रहा है।
जांच के बाद एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया जिसकी पहचान थोक विक्रेता फर्म की मालकिन के रूप में की गई है। आरोपी महिला को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, पूर्वी क्षेत्र के ड्रग्स इंस्पेक्टर ने हिरासत में लिया है। न्यायालय ने आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और उससे पूछताछ की अनुमति दी है। मामले में आगे की जांच जारी है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय जनता की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जब्ती और जांच बाजार में नकली और घटिया दवाओं के प्रचलन के प्रति सरकार की शून्य-सहिष्णुता नीति को रेखांकित करती है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और राज्य प्राधिकरण, नकली दवाओं से उत्पन्न खतरे से निपटने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुचिरापल्ली ग्लोबल एलुमनाई मीट 2025 का आयोजन 4 जनवरी 2025 को होगा
एन. चंद्रशेखरन, डॉ. पलानीवेल त्यागराजन, टीवी नरेंद्रन, डॉ. वीरा मुथुवेल कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों में शामिल
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुचिरापल्ली इस कार्यक्रम में अनुसंधान और नवाचार केंद्र आरंभ करेगा
रायपुर | राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुचिरापल्ली (एनआईटी त्रिची) की निदेशक डॉ. जी. अघिला ने पूर्व छात्रों का वैश्विक सम्मेलन, ग्लोबल एलुमनाई मीट (जीएएम) 4 जनवरी, 2025 को चेन्नई में आयोजित किए जाने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम का संचालन संस्थान के पूर्व छात्रों का समूह आरईसीएएल कर रहा है। पूर्व छात्र मिलन कार्यक्रम में आरईसी/एनआईटी त्रिची की समृद्ध विरासत कायम रखते हुए दुनिया भर से संस्थान के पूर्व छात्र जुटेंगे। पिछली बार ग्लोबल एलुमनाई मीट 2020 में आयोजित हुई थी।
930 से अधिक मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और 1,300 कंपनी संस्थापकों सहित 48,000 से अधिक पूर्व सफल छात्रों के नेटवर्क वाला एनआईटी त्रिची, प्रतिभा और नवाचार का शक्ति केंद्र माना जाता है। 2025 के ग्लोबल एलुमनाई मीट में कई प्रतिष्ठित पूर्व छात्र भाग लेंगे जिनमें कई बड़े औद्योगिक नेता शामिल हैं।
तमिलनाडु के सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल सेवा मंत्री डॉ. पलानीवेल त्यागराजन सम्मानित अतिथि के रूप में आयोजन में शामिल होंगे।
गूगल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मुख्य व्यवसायिक रणनीतिकार श्री गोपी कल्लयिल मुख्य भाषण देंगे।
चंद्रयान 3 के परियोजना निदेशक डॉ. पी वीरामुथुवेल और टाटा स्टील्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, टीवी नरेंद्रन सम्मानित अतिथि होंगे।
व्यापारिक जगत के इन प्रमुख प्रणेताओं के साथ ही एनआईटी तिरुचिरापल्ली के कई पूर्व छात्र अपनी उपलब्धियां साझा करेंगे और आपस में सहयोग और प्रभावशाली संबंध स्थापित करेंगे।
पूर्व छात्र मिलन कार्यक्रम 2025 में एनआईटी तिरुचिरापल्ली 20 एकड़ क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार केंद्र का शुभारंभ करेगा जो उद्यमिता और अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण कदम है। इसमें एग्रीटेक, फिनटेक, स्पेसटेक, ग्रीनटेक, क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग जैसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस केंद्र पर 150 करोड़ रूपए का अनुमानित निवेश किया जाएगा जिसका उद्देश्य श्रेणी-2 के शहरों में नवाचार को गति प्रदान करना है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुचिरापल्ली की अभी चल रही पहल में एडॉप्ट-ए-स्टूडेंट प्रोग्राम, यात्रा अनुदान और प्रतिभा (एंडोमेंट) फंड शामिल हैं जिसमें योग्य छात्रों को सहायता दी जाती है। वहां रॉकफोर्ट वेंचर्स, साइंट लैब (इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में नवाचार केंद्र), और उद्यमिता विकास एवं ऊष्मायन केंद्र (सीईडीआई) है जो पूर्व छात्रों द्वारा संचालित कार्यक्रम है और उद्यमशील प्रतिभा को पोषित करने की एनआईटी त्रिची के समर्पण का उदाहरण है। संस्थान की चेयर प्रोफेसरशिप आरंभ करने और वैश्विक अनुसंधान सहयोग बढ़ाने की योजनाएं शैक्षणिक उत्कृष्टता और सतत विकास के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता दर्शाती हैं।
एनआईटी त्रिची की निदेशक डॉ. जी. अघिला ने बताया कि अनुसंधान और नवाचार केंद्र पूर्व छात्र और संस्थान के विद्यार्थियों के बीच मेंटरशिप, उद्योग-आधारित परियोजनाएं और जीवंत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए औपचारिक मंच प्रदान करेगा। यह अनुसंधान बढ़ाने और उद्यमिता प्रतिभा को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
संस्थान के पूर्व छात्रों के आधिकारिक संघ आरईसीएएल के अध्यक्ष के. महालिंगम ने कहा कि हमारा विशाल और कुशल पूर्व छात्रों का नेटवर्क मार्गदर्शन, वित्तपोषण और नवाचार का भंडार है। वैश्विक पूर्व छात्र मिलन 2025 हमारे पूर्व संस्थाऩ और उसके छात्रों के साथ सहयोग की हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
एनआईटी तिरुचिरापल्ली को पहले रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (आरईसी) के नाम से जाना जाता था। यह भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक है और लगातार देश में शीर्ष स्थान पर रहा है। इसमें 17 विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट कार्यक्रम चलाए जाते हैं। यह संस्थान वैश्विक नवाचार और उद्योग नेतृत्व में महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है।
एनसीसी गणतंत्र दिवस कैंप-2025 में 917 बालिकाओं सहित 2,361 कैडेट भाग लेंगे
नई दिल्ली | एनसीसी गणतंत्र दिवस कैंप-2025, 30 दिसंबर 2024 को सर्व धर्म पूजा के साथ दिल्ली कैंट के करिअप्पा परेड ग्राउंड में शुरू हुआ। इस वर्ष कैंप में 917 बालिका कैडेट भाग ले रही हैं जो सर्वाधिक है। देश के सभी 28 राज्यों और 08 केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 2,361 कैडेट एक महीने चलने वाले एनसीसी कैंप में हिस्सा ले रहे हैं।
इनमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से 114 और पूर्वोत्तर क्षेत्र से 178 कैडेट शामिल हैं जो लघु भारत की झलक पेश कर रहे हैं। इसके अलावा 14 मित्र देशों के कैडेट और अधिकारी भी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत शिविर में भाग लेंगे।
इस अवसर पर एनसीसी महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह ने कैडेटों का स्वागत किया और उन्हें इस सबसे प्रतिष्ठित एनसीसी शिविर के चयन के लिए बधाई दी। उन्होंने कैडेटों को राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ धर्म, भाषा, जाति से ऊपर उठकर सचरित्रता, ईमानदारी, निस्वार्थ सेवा, भाईचारे और समूह कार्य के सर्वोच्च गुण प्रदर्शित करने की सलाह दी।
गणतंत्र दिवस कैंप का मूल उद्देश्य भाग लेने वाले राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) कैडेटों में गहरी देशभक्ति, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता उत्पन्न करना है। वार्षिक रूप से आयोजित होने वाले इस आयोजन में कैडेटों को प्रशिक्षण, सांस्कृतिक गतिविधियों में भागीदारी और सामाजिक सेवा पहल में भाग लेने का अवसर मिलता है जिससे एकता और गौरव की भावना प्रबल होती है।
सभी विकास कार्य नियोजित ढंग से और तय समय-सीमा में ही पूरे करें : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सभी प्रकार के लंबित अधोसंरचनात्मक विकास एवं निर्माण कार्य नियोजित ढंग से जल्द से जल्द पूरे किए जाएं। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में कोई कमी न रहे। कार्य की गुणवत्ता से ही अधिकारियों का कार्य प्रदर्शन मूल्यांकन किया जाएगा। सुनिश्चित करें कि सभी प्रकार के कार्य तय समय-सीमा में ही पूरे हों। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोमवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में रीवा एवं शहडोल संभाग के विकास एवं निर्माण कार्यों संबंधी उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को उक्त आशय के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य मापदंडों के अनुरूप या गुणवत्ताविहीन पाए गए, तो इसके लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे।
बैठक में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र कुमार शुक्ल, मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, रीवा संभाग के प्रभारी अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया, शहडोल संभाग के प्रभारी अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई सहित अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन, प्रमुख सचिव संजय शुक्ला, प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी, प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में दोनों संभागों के सांसद, विधायक भी वर्चुअली शामिल हुए। बैठक में जल संसाधन विभाग/म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लोक निर्माण विभाग, ऊर्जा विभाग, वन विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, नगरीय प्रशासन एवं आवास विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास,जनजातीय कार्य विभाग, स्कूल शिक्षा, संस्कृति विभाग से जुड़े बिन्दुओं एवं लंबित कार्यों पर विशेष रूप से चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनता से जुड़े कार्यों में जन-प्रतिनिधियों के सुझाव लिये ही जाने चाहिए। इसलिए सभी विभागीय अधिकारी अपने-अपने विभाग के निर्माण कार्यों के संबंध में स्थानीय सांसद, विधायक एवं अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद करें, उनसे सुझाव लें और इन सुझावों को अमल में भी लाएं। उन्होंने कहा कि जिन निर्माण कार्यों के पूरा होने से जनता को तुरंत राहत एवं सुविधा मिले ऐसे निर्माण कार्य प्राथमिकता से पूरे किए जाएं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संभाग स्तरीय बैठकों में जिले के जन-प्रतिनिधियों को अपनी बात रखने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। इसलिए अब सभी संभागों के प्रभारी अपर मुख्य सचिव पहले जिलेंवार समीक्षा करें, सभी विधायकों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बात और सुझाव सुनें, इसके बाद ही संभाग स्तर की बैठक में समन्वित रूप से लंबित निर्माण कार्यों की समीक्षा करें।
तीसरे कैडेट प्रशिक्षण जहाज (यार्ड 18005) का कील समारोह
नई दिल्ली | तीसरे कैडेट प्रशिक्षण जहाज, यार्ड 18005 का कील बिछाने का समारोह 30 दिसंबर 24 को मेसर्स एल एण्ड टी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली में आयोजित किया गया । समारोह की अध्यक्षता रियर एडमिरल रवि कुमार ढींगरा, फ्लैग ऑफिसर तमिलनाडु और पुडुचेरी क्षेत्र ने की, जिसमें रियर एडमिरल जी के हरीश (सेवानिवृत्त), प्रमुख शिपबिल्डिंग बिजनेस, एल एण्ड टी तथा भारतीय नौसेना और मेसर्स एल एण्ड टी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
तीन कैडेट प्रशिक्षण जहाजों के स्वदेशी डिजाइन और निर्माण के लिए रक्षा मंत्रालय और मेसर्स एलएण्डटी के बीच 07 मार्च 23 को अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। इन जहाजों का उपयोग समुद्र में अधिकारी कैडेटों को उनके बुनियादी प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा। मित्र देशों के कैडेटों को भी प्रशिक्षण सुविधा प्रदान की जाएगी ।
यह स्वदेशी जहाज निर्माण की दिशा में भारतीय नौसेना की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत और 'मेक इन इंडिया' पहल के दृष्टिकोण के अनुरूप है। दीर्घकालिक एकीकृत परिप्रेक्ष्य योजना (एलटीआईपीपी 2012-27) में भारतीय नौसेना के लिए तीन कैडेट प्रशिक्षण जहाजों के बल स्तर की परिकल्पना की गई है।
प्रधानमंत्री मोदी 24 फरवरी को करेंगे जीआईएस-2025 का शुभारंभ: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) एक वैश्विक समागम है। व्यवस्थाओं में कोई भी कमी न रहे। दो महीने से भी कम समय शेष है, समय रहते सभी प्रकार की तैयारियां पुख्ता तरीके से कर ली जाएं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 फरवरी को जीआईएस 2025 का विधिवत् शुभारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को मुख्यमंत्री निवास में जीआईएस-2025 की तैयारियों की बैठक ले रहे थे। उन्होंने कहा कि जीआईएस में कोर सेक्टर्स पर फोकस करते हुए ऐसी गतिविधियां आयोजित करें, जिससे ठोस परिणाम मिलें। जीआईएस-2025 में देश-विदेश से आने वाले सभी मेहमानों के रहने-खाने एवं आसपास के पर्यटन स्थलों पर आने-जाने एवं भ्रमण की समुचित व्यवस्था की जाए। मेहमानों को होम-स्टे के बारे में भी बताया जाए। इस कार्य के लिए संस्कृति, वन, पर्यटन एवं स्थानीय प्रशासन आपसी समन्वय के साथ भोपाल शहर के सौंदर्यीकरण के कायों के लिए भी अभी से युद्ध स्तर पर तैयारियों शुरू कर दें।
बैठक में मुख्यमंत्री कार्यालय के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव श्री राघवेंद्र कुमार सिंह, एमडी एमपीआईडीसी श्री चंद्रमौली शुक्ला, कमिश्नर भोपाल श्री संजीव सिंह, एमडी पर्यटन विकास निगम श्री इलैया राजा टी., कलेक्टर भोपाल श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह, संचालक जनसम्पर्क श्री अंशुल गुप्ता तथा उद्योग विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विशेषताओं को संजोए हुए जीआईएस-2025 का ऐसा भव्य आयोजन किया जाए कि यह आने वाले प्रतिभागियों के जीवन की बेहतरीन यादों में शामिल हो जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष-2025 को उद्योग वर्ष घोषित किया गया है। साल भर प्रदेश के विभिन्न संभागों में हर महीने किसी एक सेक्टर जैसे पॉवर सेक्टर, नवकरणीय ऊर्जा, ऑटो, एग्रो, पर्यटन, माइनिंग, हेल्थ, एजुकेशन और आईटी सेक्टर पर आधारित सेक्टोरल एक्सपो या कॉन्क्लेव का आयोजन भी किया जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को गतिविधियों का विभागीय वार्षिक कैलेण्डर जल्द से जल्द तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने एक नवाचार का सुझाव भी दिया कि इंडस्ट्री के संतुलित विकास के लिए उद्योग जगत से जुड़े हुए विशेषज्ञों, उद्योग संघों, संगठनों के साथ प्रदेश में सुव्यवस्थित, सरल और सुगम उद्योगीकरण की दिशा में विस्तृत विचार मंथन के लिये कार्यक्रम का आयोजन किया जाए।
राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार : पंचतत्व में विलीन हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
नई दिल्ली | पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ कर दिया गया है, वह पंचतत्व में विलीन हो गए हैं | अब वह, हर हिंदुस्तानी की यादों में रहेंगे | मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी समेत कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे | मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को आज सुबह साढ़े आठ बजे के लगभग कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए लाया गया, जहां कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
मनमोहन सिंह की अंतिम यात्रा कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड से निगमबोध घाट के लिए निकली | पार्थिव शरीर के साथ मुख्य वाहन में राहुल गांधी भी बैठे नजर आए | कांग्रेस मुख्यालय से निगमबोध घाट तक उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई, तो इस दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ता ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, मनमोहन आपका नाम रहेगा’ और ‘मनमोहन सिंह अमर रहें’ नारे लगाते रहे।
अंतिम यात्रा से पहले सिंह का पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय ‘24 अकबर रोड’ में रखा गया था, जहां कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी | पूर्व प्रधानमंत्री का पार्थिव शरीर उनके आवास से सुबह करीब नौ बजे कांग्रेस मुख्यालय लाया गया, जहां पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उनके अंतिम दर्शन के लिए पहले से ही इंतजार कर रहे थे।
डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर रखे जाने के बाद सोनिया गांधी, खरगे, राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा तथा पार्टी के कई अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी | डॉ. सिंह की पत्नी गुरशरण कौर और उनके परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी कांग्रेस मुख्यालय में मौजूद थे | गुरशरण कौर ने भी पुष्प अर्पित करके अपने पति को अंतिम विदाई दी | राहुल गांधी मनमोहन सिंह के परिवार को ढांढस बंधाते हुए उनके साथ पार्टी मुख्यालय के भीतर दाखिल हुए।
पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहले से ही कतारबद्ध थे और उन्होंने भारतीय राजनीति के इस सौम्य नेता को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी | कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रगान गाकर उन्हें विदाई दी | कांग्रेस ने निगमबोध पर अंत्येष्टि के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए शुक्रवार को कहा था कि सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहां उनका स्मारक भी बन सके | पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि सिंह की अंत्येष्टि और स्मारक के लिए स्थान नहीं ढूंढ पाना भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर किया गया अपमान है।
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार रात कहा था कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान आवंटित करेगी | भारत में आर्थिक सुधारों के जनक कहे जाने वाले पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को निधन हो गया था | वह 92 साल के थे | डॉ. सिंह का पार्थिव शरीर शुक्रवार को उनके आवास ‘3 मोतीलाल नेहरू मार्ग’ पर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, जहां दलगत भावना से ऊपर उठकर नेताओं ने दिवंगत नेता को अंतिम श्रद्धांजलि दी थी | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित कई प्रमुख नेताओं तथा अन्य हस्तियों ने मनमोहन सिंह को उनके आवास पर शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी थी।
कांग्रेस नेता सिंह 2004 से 2014 तक 10 वर्ष देश के प्रधानमंत्री रहे और उससे पहले उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने में मदद की | वह वित्तीय और आर्थिक क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर एक प्रसिद्ध नाम थे | उनके नेतृत्व वाली सरकार ने सूचना का अधिकार (आरटीआई), शिक्षा का अधिकार (आरटीई) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी युग परिवर्तनकारी योजनाओं की शुरुआत की | हमेशा नीली पगड़ी पहनने वाले सिंह को 1991 में नरसिम्हा राव सरकार में भारत का वित्त मंत्री नियुक्त किया गया था | आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है।
भारत में लाइटहाउस पर्यटन : समुद्री विरासत और आर्थिक विकास का प्रकाशपुंज
नई दिल्ली | भारत की 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी समुद्री तटरेखा में 204 लाइटहाउस स्थिति हैं जो शांतिपूर्वक समृद्ध समुद्री विरासत संरक्षण में लगे रहते हैं। पारंपरिक रूप से नाविकों के नौवहन सहायता के तौर पर क्रियाशील इन विशिष्ट प्रकाश स्तंभों को अब सरकार के विकास दृष्टिकोण के तहत पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य लाइटहाउस के ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प को संरक्षित रखना और आर्थिक विकास तथा सामुदायिक सशक्तिकरण के लिए उनका उपयोग करना है।
लाइटहाउस अर्थात प्रकाश स्तंभ पर्यटन में लाइटहाउस और उनके आस-पास के क्षेत्रों को आकर्षण पर्यटक स्थलों में बदलना शामिल है। ये संरचनाएं, अक्सर सुंदर तटीय इलाके या द्वीप पर स्थित होती हैं और सैलानियों को प्राकृतिक सुंदरता, समुद्री इतिहास और मनोरंजन का अनूठा अवसर प्रदान करती हैं।
केंद्र सरकार भारत की सांस्कृतिक और समुद्री विरासत को बढ़ाने के लिए अपने व्यापक समुद्री भारत विजन (एमआईवी) 2030 और अमृत काल विजन 2047 के अंतर्गत लाइटहाउस पर्यटन को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है ।
इन स्थलों को विकसित करके सरकार भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार के अवसर उत्पन्न करने और स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का प्रयास में लगी है।
भारत के प्रकाश स्तंभ केवल क्रियाशील संरचनाएं ही नहीं हैं, बल्कि इतिहास और संस्कृति के भंडार भी हैं। पर्यटन स्थलों के रूप में उनकी क्षमता कई प्रमुख वजहों से है:
महत्वपूर्ण स्थल : कई प्रकाशस्तंभ भारत के समुद्र तट या दूरदराज के द्वीपों पर मनोरम स्थलों पर स्थित हैं, जहां से समुद्र का मनोहर दृश्य दिखाई देता है।
सांस्कृतिक महत्व : कुछ प्रकाशस्तंभ सदियों पुराने हैं और तमिलनाडु में महाबली पुरम जैसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों या अन्य प्रमुख सांस्कृतिक स्थलों के पास स्थित हैं।
साहसिक पर्यटन और सैर-सपाटा: इन स्थलों पर ट्रैकिंग, नौकायन और जल क्रीड़ा जैसी गतिविधियां आयोजित की जा सकती हैं, जो साहसिक पर्यटन प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।
आर्थिक लाभ : प्रकाश स्तम्भ स्थल के पास पर्यटन क्षेत्र के विकास से स्थानीय अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी के साथ ही वहां आतिथ्य-सत्सार, परिवहन और हस्तशिल्प में रोजगार सृजित हो सकते हैं।
इस संभावना के दृष्टिगत सरकार ने लाइटहाउस पर्यटन को विकास की प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में पहचान की है। यह पहल सतत पर्यटन प्रचलनों को बढ़ावा देते हुए पर्यटन स्थल के रूप में भारत की वैश्विक क्षमता उन्नत करने के व्यापक उद्देश्यों में शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फरवरी 2024 में 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पर्यटक सुविधा युक्त 75 लाइटहाउस देश को समर्पित किए थे।
60 करोड़ रुपये के निवेश से इन 75 प्रसिद्ध लाइटहाउसों को विकसित किया गया है। प्रत्येक लाइटहाउस को आधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाकर उन्हें संग्रहालय, एम्फीथिएटर, बच्चों के पार्क इत्यादि के साथ उन्नत बनाया गया है। कुछ लाइटहाउस विरासत और मनोरंजन दोनों का प्रतीक बन गए हैं। केवल वित्तीय वर्ष 2023-24 में ही इन 75 लाइटहाउसों में 16 लाख पर्यटक पहुंचे, जो 2014 में 4 लाख सैलानियों की अपेक्षा 400 प्रतिशत अधिक है। वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में सितंबर तक 10 लाख से अधिक पर्यटक ने इन स्थलों का भ्रमण किया है। अप्रैल और जून, 2024 के बीच 500,000 से अधिक पर्यटक लाइटहाउस स्थल पहुंचे, जो इन प्रसिद्ध समुद्री संरचनाओं को पर्यटक आकर्षण के महत्वपूर्ण केंद्र में बदलने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की भविष्य दृष्टि की पुष्टि करता है।
लाइटहाउसों को विकसित करने से रोजगार सृजन बढा है। वहां आस-पास के होटलों, रेस्तरां, टूर ऑपरेटरों, परिवहन सेवाओं तथा स्थानीय दुकानों और कारीगरों के लिए 150 प्रत्यक्ष और 500 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं।
आईएनएस सर्वेक्षक पोर्ट लुइस पहुंचा
नई दिल्ली | आईएनएस सर्वेक्षक संयुक्त जलीय सर्वेक्षण करने के लिए 26 दिसंबर 2024 को पोर्ट लुइस, मॉरीशस पहुंचा। जहाज के पहुंचने पर अनुराग श्रीवास्तव, मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त, कैप्टन सीजी बिनूप, मॉरीशस नेशनल कोस्टगार्ड के कमांडेंट और अन्य सैन्य एवं नागरिक गणमान्य व्यक्तियों ने उसकी अगवानी की। मॉरीशस के जलीय सर्वेक्षण यूनिट के साथ एक प्रारंभिक सर्वेक्षण समन्वय बैठक आयोजित की गई।
आईएनएस सर्वेक्षक तकनीकी ज्ञान आदान-प्रदान, पेशेवर बातचीत और जलीय सर्वेक्षण पर प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से मॉरीशस के अधिकारियों के साथ संलग्न होगा। यह महत्वपूर्ण सर्वेक्षण मॉरीशस को समुद्री अवसंरचना, संसाधन प्रबंधन एवं तटीय विकास योजना विकसित करने में सक्षम बनाएगा। वर्तमान यात्रा भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत समुद्री साझेदारी पर प्रकाश डालती है, जो क्षेत्रीय विकास के लिए साझा प्रतिबद्धता एवं भारत सरकार के सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण के अनुरूप गहरे द्विपक्षीय सहयोग को दर्शाती है।
"वीर बाल दिवस प्रेरणा की एक जीवंत धारा है" : सर्बानंद सोनोवाल
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल डिब्रूगढ़ में श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में वीर बाल दिवस समारोह में शामिल हुए
श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की याद में वीर बाल दिवस आयोजित किया गया
श्री गुरु गोविंद सिंह के महान पुत्रों साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह द्वारा अपने धर्म और मातृभूमि के सम्मान, गौरव और सुरक्षा के लिए दिया गया बलिदान राष्ट्र के लिए प्रेरणा का शाश्वत स्रोत है”: सर्बानंद सोनोवाल
सोनोवाल ने डिब्रूगढ़ के कचारीबारी पुबेरुआन संघ में सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना द्वारा वित्त पोषित एक सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला भी रखी
नई दिल्ली | वीर बाल दिवस के पावन अवसर पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने श्री गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह के अद्वितीय साहस और बलिदान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। डिब्रूगढ़ में श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए उन्होंने सिख समुदाय के साथ इस समारोह में शामिल होने के लिए आभार व्यक्त किया।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर सोनोवाल ने दोनों वीर सपूतों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा माता गुजरी और श्री गुरु गोविंद सिंह के प्रति भी श्रद्धा व्यक्त की।
केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "हर पीढ़ी को इन शहीदों के अदम्य साहस और बलिदानों से प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि वे मातृभूमि की सेवा समर्पण और देशभक्ति के साथ कर सकें।"
उन्होंने आगे कहा, "छोटी सी उम्र में साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह ने मुगल हमलावरों के क्रूर अत्याचारों को अद्वितीय धैर्य और साहस के साथ सहा। अपने धर्म और मातृभूमि के सम्मान के लिए उनका सर्वोच्च बलिदान भारत के इतिहास में सिर्फ एक अध्याय ही नहीं है, बल्कि मानवता के लिए प्रेरणा का एक प्रतीक है। वीर बाल दिवस के माध्यम से हमारा उद्देश्य उनके महान बलिदान के बारे में जागरूकता फैलाना और पीढ़ियों को न्याय और धार्मिकता को बनाए रखने के लिए प्रेरित करना है। यह अनुष्ठान सेवा और देशभक्ति के आदर्शों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।" डिब्रूगढ़ से सांसद सर्बानंद सोनोवाल ने सभी से धर्म, न्याय और सद्मार्ग के प्रति समर्पण में एकजुट होने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "वीर बाल दिवस केवल स्मरण का दिन नहीं है; यह प्रेरणा की जीवंत धारा है। "यह एक भारत श्रेष्ठ भारत के सार को दर्शाता है और राष्ट्र को सर्वोपरि रखने के श्री गुरु गोविंद सिंह के दृष्टिकोण की विरासत को दर्शाता है। नए भारत में, हम पिछली गलतियों को सुधारने और अपनी समृद्ध विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस पहल के माध्यम से साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान का सम्मान करना बहुत गर्व की बात है। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी प्रयास और हमारे नायकों के प्रति वास्तविक सम्मान युवाओं को अपने इतिहास को समझने और राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य में योगदान देने के लिए प्रेरित करता रहेगा। इस विशेष दिन पर, मैं एक बार फिर ज़ोरावर सिंह और फ़तेह सिंह के साहस और दृढ़ संकल्प को नमन करता हूँ, जिन्होंने 6 और 9 साल की छोटी उम्र में औरंगज़ेब की विशाल सेना के खिलाफ़ अडिग होकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।"
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने डिब्रूगढ़ में कचारीबाड़ी पुबेरुआन संघ में एक सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला भी रखी। यह केंद्र सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत वित्तपोषित है और इसे क्षेत्र में सांस्कृतिक और कलात्मक उत्कृष्टता के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में देखा जाता है।
इस कार्यक्रम में असम पर्यटन विकास निगम (एटीडीसी) की अध्यक्ष रितुपर्णा बरुआ, डिब्रूगढ़ नगर निगम (डीएमसी) की उप महापौर उज्ज्वल फुकन, डिब्रूगढ़ विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अध्यक्ष असीम हजारिका, असम गैस कंपनी के उपाध्यक्ष इंद्र गोगोई, सोनोवाल कचहरी स्वायत्त परिषद (एसकेएसी) के मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) तंगकेश्वर सोनोवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
साल की अंतिम सोमवती अमावस्या 30 दिसम्बर को : बन रहा दुर्लभ संयोग
नई दिल्ली | सोमवती अमावस्या सबसे शक्तिशाली दिनों में से एक है, क्योंकि यह दिन पूर्वजों को समर्पित है। सोमवार को पडऩे की वजह से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह तिथि आत्म शुद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। कहते हैं कि जो साधक अपने जीवन की तमाम समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, उन्हें इस दिन ज्यादा से ज्यादा पूजा-पाठ और दान-पुण्य करना चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 दिसंबर, 2024 दिन सोमवार को साल की अंतिम सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।
ये चार काम करने से खुलेगी बंद किस्मत
पितरों का करें तर्पण – अमावस्या का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन अपने पूर्वजों का एक जानकार पुजारी के माध्यम से तर्पण कराना चाहिए। इससे जीवन में खुशहाली आती है और कुंडली से पितृ दोष समाप्त होता है।
पिंडदान करें – अमावस्या पूर्वजों का पिंडदान करने का सबसे सही दिन है। ऐसे में जिन्हें अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि न पता हो, तो वे इस दिन अपने पितरों का पिंडदान कर सकते हैं।
ध्यान करें – अपने आप से जुड़ें और मार्गदर्शन के लिए पूर्वजों का ध्यान करें।
दान-पुण्य करें – अमावस्या के दिन ज्यादा से ज्यादा दान और पुण्य करें। कहा जाता है कि इस दिन भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यकता की चीजों का दान करने से भाग्य प्रबल होता है। साथ ही पितृ प्रसन्न होकर मनचाहा फल देते हैं।
भारत आज 'आपदा चेतावनी' प्रणालियों में वैश्विक नेतृत्व कर रहा : राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
भारत ने दुनिया भर में तटीय समुदायों की सुरक्षा के लिए वैश्विक सहयोग और बहु-खतरे की तैयारी को अग्रसर किया है: डॉ. जितेंद्र सिंह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'डीप सी मिशन' जैसी अग्रणी समुद्री पहल और उच्च प्राथमिकता ने आईएनसीओआईएस को तेजी से आगे बढ़ने और दुनिया के अपनी तरह के सबसे अत्याधुनिक संस्थान के रूप में मान्यता दिलाने में दक्ष बनाया
महासागर अन्वेषण 'विकसित भारत' लक्ष्य की कुंजी है
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएनसीओआईएस में महासागर अनुसंधान और आपदा तैयारी में भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला
नई दिल्ली | केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएनसीओआईएस (भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र) में 2004 के हिंद महासागर सुनामी की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि भारत "आपदा चेतावनी" देने में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है तथा वह विश्व भर के अन्य देशों को भी इसकी जानकारी साझा कर रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्मरण किया कि आईएनसीओआईएस की संकल्पना वर्ष 2004 की दुखद सुनामी के बाद की गई थी और वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्राप्त असीम समर्थन और प्राथमिकता के साथ इसने तीव्र गति से प्रगति की और इसे अपनी तरह का विश्व का सबसे अत्याधुनिक संस्थान माना जाने लगा है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की अग्रणी समुद्री पहलों की सराहना की, जिनमें 'डीप सी मिशन' भी शामिल है, जिसकी घोषणा उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में की थी।
उन्होंने समुद्री अनुसंधान और आपदा तैयारी में भारत की तीव्र प्रगति पर भी प्रकाश डाला।
मंत्री ने विश्व स्तरीय आपदा चेतावनी प्रणालियां उपलब्ध कराने में देश के वैश्विक नेता के रूप में उभरने पर जोर दिया तथा सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने में वैज्ञानिक प्रगति की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
दुनिया भर में 230,000 से ज़्यादा लोगों की जान लेने वाली भयावह सुनामी पर विचार करते हुए, जिसमें भारत में 10,749 लोग मारे गए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस घटना से मिले अमूल्य सबक और उसके बाद अपनाई गई परिवर्तनकारी नीतियों पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "इस त्रासदी ने आईएनसीओआईएस जैसी संस्थाओं की स्थापना के लिए उत्प्रेरक का काम किया, जो अब जीवन और आजीविका की सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।"
भारत की सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गई है, को राष्ट्र की आपदा तैयारी की आधारशिला के रूप में प्रदर्शित किया गया।
मंत्री ने यूनेस्को और सुनामी रेडी इनिशिएटिव के साथ चल रहे सहयोग का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य संवेदनशील क्षेत्रों में सामुदायिक लचीलापन बढ़ाना है। उन्होंने इस कार्यक्रम के तहत 24 भारतीय समुदायों को मान्यता दिए जाने को समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण का प्रमाण बताया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के "विकसित भारत" बनने की यात्रा में समुद्री अन्वेषण के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और प्रचुर समुद्री संसाधनों के साथ, उन्होंने उनके सतत अन्वेषण और संरक्षण का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "हमारा डीप-सी मिशन और बायोई3 [पर्यावरण, रोजगार और अर्थव्यवस्था के लिए जैव प्रौद्योगिकी] जैसी पहल एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र सृजित कर रही है जो न केवल जैव विविधता को बढ़ाएगा बल्कि राष्ट्रीय समृद्धि में भी योगदान देगा।"
भविष्य के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. सिंह ने अंतरिक्ष और समुद्री मिशनों में सहयोगी सफलताओं के बारे में आशा व्यक्त की, और एक ऐसे भारत की कल्पना की जो दोनों क्षेत्रों में विश्व स्तर पर अग्रणी हो। उन्होंने घोषणा की, "हम संभवतः 2026 तक एक भारतीय को गहरे समुद्र में और एक अन्य को अंतरिक्ष में भेजने करने की योजना बना रहे हैं, जो एक ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा।"
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में नीति और विज्ञान के बीच समन्वय की सराहना की तथा अंतरिक्ष और समुद्र विज्ञान जैसे क्षेत्रों में तेजी से हो रही प्रगति का श्रेय केंद्र सरकार के सक्रिय सहयोग को दिया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएनसीओआईएस के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में भारत की सक्रिय भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो यूनेस्को श्रेणी 2 प्रशिक्षण केंद्र की मेजबानी करता है। यह केंद्र महासागर आधारित आपदा प्रबंधन पर क्षमता निर्माण और ज्ञान साझा करने के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करता है। उन्होंने महासागर दशक सुनामी कार्यक्रम में आईएनसीओआईएस की सक्रिय भागीदारी का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर 100 प्रतिशत सुनामी-तैयार समुदायों को बनाना है। उन्होंने कहा, "इन जैसी पहलों के माध्यम से, हम न केवल वैश्विक साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि दुनिया भर में सतत तटीय समुदायों के लिए मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं।"
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इसके साथ ही सुनामी चेतावनियों को अन्य महासागर-संबंधी खतरों, जैसे कि तूफानी लहरें और ऊंची लहरों के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि एक व्यापक बहु-खतरा पूर्व चेतावनी प्रणाली बनाई जा सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की प्रगति भारत की सुनामी चेतावनी क्षमताओं को बनाए रखेगी और साथ ही महासागरीय जोखिमों की बढ़ती जटिलता का समाधान करेगी। उन्होंने कहा, "यह दूरदर्शी दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि हम संभावित आपदाओं के खिलाफ जीवन और आजीविका की रक्षा करना जारी रखें।"
समापन में, डॉ. सिंह ने भारत के वर्ष 2047 दृष्टिकोण में आईएनसीओआईएस की अभिन्न भूमिका को दोहराया। उन्होंने कहा, "अप्रयुक्त संसाधनों की खोज और आपदा तत्परता सुनिश्चित करके, आईएनसीओआईएस एक आत्मनिर्भर और दीर्घकालीन भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है।"
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रवि चंद्रन, प्रख्यात वैज्ञानिक तथा नीति निर्माता भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम ने दो दशकों की उपलब्धियों का उत्सव मनाने तथा समग्र और सतत विकास के लिए भविष्य का मार्ग तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।
अरब सागर में जहाज डूबने के बाद भारतीय तटरक्षक बल ने चालक दल के नौ सदस्यों को बचाया
नई दिल्ली | भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 26 दिसंबर, 2024 को पाकिस्तान के खोज और बचाव क्षेत्र (उत्तरी अरब सागर) में गुजरात के पोरबंदर से लगभग 311 किलोमीटर पश्चिम में स्थित एक डूब चुके हुए जहाज एमएसवी ताज धारे हरम से नौ भारतीय चालक दल के सदस्यों को सफलतापूर्वक बचा लिया। चुनौतीपूर्ण समुद्री परिस्थितियों में चलाए गए खोज और बचाव मिशन ने मुंबई और कराची, पाकिस्तान के समुद्री बचाव समन्वय केंद्रों (एमआरसीसी) के बीच असाधारण सहयोग को प्रदर्शित किया।
गुजरात के मुंद्रा से रवाना होकर यमन के सोकोत्रा की ओर जाने वाला यह जहाज समुद्र की लहरों और जहाज पर बाढ़ की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ। नियमित निगरानी उड़ान के दौरान आईसीजी डोर्नियर विमान को संकट की सूचना का पता लगा, जिसके बाद एमआरसीसी, मुंबई और गांधीनगर में आईसीजी क्षेत्रीय मुख्यालय (उत्तर पश्चिम) ने तुरंत कार्रवाई की। पहले से ही नजदीक में गश्त कर रहे आईसीजीएस शूर को घटनास्थल पर तेज़ रफ्तार से भेजा गया, जबकि एमआरसीसी पाकिस्तान ने इलाके में मौजूद जहाजों को सतर्क कर दिया। गहन खोज के बाद, चालक दल के सदस्यों को एक लाइफ राफ्ट (जीवन रक्षक बेड़े) पर पाया गया, जो जहाज को छोड़कर शरण ले रहे थे।
बचाव अभियान जहाज के पूरी तरह डूबने से पहले, शाम करीब 4 बजे पूरा हुआ। सभी चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित रूप से आईसीजीएस शूर पर लाया गया, जहां उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान की गई और उन्हें स्वस्थ घोषित किया गया। नाविक अब पोरबंदर बंदरगाह के लिए रवाना हो गए हैं।
उज्जैन में साधु-संतों को आश्रम के लिए भूमि देने का निर्णय प्रशंसनीय : आचार्य स्वामी कैलाशानंद
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से हरिद्वार से आए आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी गिरि महाराज ने गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास में भेंट की। स्वामी जी निरंजनी अखाड़ा के प्रमुख हैं।
आचार्य महामंडलेश्वर ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव से कहा कि आप जन कल्याण के लिए निरंतर महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं। आचार्य स्वामी कैलाशानंदने कहा कि उज्जैन में साधु-संतों को स्थाई आश्रम के लिए भूमि आवंटित करने का निर्णय प्रशंसनीय है। आचार्य स्वामी कैलाशानंद ने कहा कि वे उज्जैन में गौशाला स्थापित करेंगे। स्थाई आश्रम होने से साधु-संतों का अब आगमन आसानी से होता रहेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर आचार्य स्वामी कैलाशानंद को शॉल और श्रीफल से सम्मानित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्य स्वामी कैलाशानंद ने बताया कि वे उज्जैन में महाकाल दर्शन के लिए आए हैं। आचार्य जी ने भी मुख्यमंत्री डॉ. यादव का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। आचार्य स्वामी कैलाशानंद ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को प्रयागराज कुंभ में आने का आमंत्रण भी दिया।
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर पीएम मोदी और सीएम साय ने व्यक्त किया शोक
डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मोदी ने कहा, “भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह साधारण पृष्ठभूमि से उठकर एक सम्मानित अर्थशास्त्री बने। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में, डॉ. मनमोहन सिंह ने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए। वहीं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री, प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह अर्थशास्त्र के उन दिग्गजों में से एक थे, जो देश के वित्त मंत्री, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर और योजना आयोग के प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिजनों और शुभचिंतकों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना की।
पूर्व प्रधानमंत्री, प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है।
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) December 26, 2024
मनमोहन सिंह जी अर्थशास्त्र के उन दिग्गजों में से एक थे, जो देश के वित्त मंत्री, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर और योजना आयोग के प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
मेरी संवेदनाएं…
प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया:
भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक, डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वह एक सम्मानित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर एक मजबूत छाप छोड़ी। संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।
“जब डॉ. मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब मेरे और उनके बीच नियमित बातचीत होती थी। हम शासन से संबंधित विभिन्न विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श करते थे। उनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता सदैव झलकती रहती थी।
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic… pic.twitter.com/clW00Yv6oP
— Narendra Modi (@narendramodi) December 26, 2024
दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं डॉ. मनमोहन सिंह जी के परिवार, उनके मित्रों और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 26, 2024
In this hour of grief, my thoughts are with the family of… pic.twitter.com/kAOlbtyGVs
मध्यप्रदेश में जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 लागू... मंत्रि-परिषद ने दी सहमति
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक गुरुवार को मंत्रालय में हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 लागू किये जाने की स्वीकृति दी है। महा-रजिस्ट्रार कार्यालय, भारत सरकार से प्राप्त प्रारूप नियम के अनुरूप मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 1999 की विभिन्न धाराओं में संशोधन किया गया है।
मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 के मुख्य बिंदुओं में जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र के डिजिटल रजिस्ट्रीकरण और इलेक्ट्रॉनिक परिदान का उपबंध, रजिस्ट्रीकृत जन्म और मृत्यु का राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय डाटाबेस तैयार करना, दत्तक ग्रहण किये गये, अनाथ, परित्यक्त, सरोगेट बच्चे और एकल माता-पिता या अविवाहित माता से बच्चे के रजिस्ट्रीकरण प्रक्रिया को सुगम बनाया जाना आदि शामिल है।
जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 के प्रारंभ की तारीख को या उसके पश्चात् जन्म लेने वाले किसी व्यक्ति के जन्म की तारीख और स्थान को प्रमाणित करने के लिए जन्म प्रमाण-पत्र उपयोगी है। किसी आपदा या महामारी में मृत्यु के त्वरित रजिस्ट्रीकरण और प्रमाण पत्र जारी करने के लिये विशेष "उप-रजिस्ट्रार" की नियुक्ति का उपबंध किया गया है। किसी जन्म या मृत्यु के 30 दिन के पश्चात् किंतु एक वर्ष के भीतर विलंबित सूचना की दशा में नोटरी या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी के समक्ष किसी शपथ-पत्र के स्थान पर स्व-अनुप्रमाणित दस्तावेज को प्रस्तुत करने का उपबंध किया गया है। किसी जन्म या मृत्यु के एक वर्ष के पश्चात् रजिस्ट्रार को विलंबित सूचना की दशा में आदेश करने वाले प्राधिकारी प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के स्थान पर जिला मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राधिकृत कार्यपालक मजिस्ट्रेट का उपबंध किया गया है। लोकहित में जन शिकायत निवारण के लिए रजिस्ट्रार/जिला रजिस्ट्रार द्वारा की गई कार्यवाही से व्यथित होने पर अपील का प्रावधान है और उपबंधित शास्तियों में वृद्धि की गई हैं।
मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश के कृषकों की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रदेश में स्थापित 11 के.वी. फीडर्स को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत (सोलराईजेशन) किये जाने की स्वीकृति दी गई। इसके क्रियान्वयन से किसान को सिंचाई के लिये दिन में बिजली उपलब्ध होगी, जिससे उनकी जीवन शैली व्यवस्थित हो सकेगी। सौर संयंत्र से 33/11 किलोवॉट विद्युत वितरण उप केन्द्रों पर स्थापित पॉवर ट्रांसफार्मर पर ओवर-लोडिंग और परिणामतः लो-वोल्टेज एवं पावर कट की समस्या कम होगी। साथ ही विद्युत उप केन्द्रों के उन्नयन पर आने वाले वित्तीय भार को बचाया जा सकेगा।