छत्तीसगढ़
प्रदेश में जमीन रजिस्ट्री के लिए ‘माय डीड’ सिस्टम लागू.... अब भूमि की Registry होगी पेपरलेस
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश में 10 जुलाई से सभी पंजीयन कार्यालयों में ‘माय डीड’ ऑनलाइन सिस्टम लागू हो गया है। इसका उद्देश्य जमीन पंजीयन प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है। बता दें यह सिस्टम राजस्व विभाग से जुड़ा होने के कारण जमीन के रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, जिससे फर्जीवाड़े की आशंका खत्म हो जाएगी।
रायपुर पंजीयन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यालय से 10 जुलाई को आदेश जारी होने के बाद यह सिस्टम बालोद, बलौदाबाजार, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर, सहित कई अन्य जिलों के रजिस्ट्री कार्यालयों में लागू हो चुका है।
इस सिस्टम के तहत अब बटांकन और नामांतरण की प्रक्रिया भी रजिस्ट्री कार्यालयों से ही ऑनलाइन हो सकेगी, जिससे लोगों को तहसील कार्यालयों के झंझट से मुक्ति मिलेगी। यह सिस्टम रजिस्ट्री प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है. इसके जरिए दस्तावेजों की जांच, स्वीकृति और रजिस्ट्री घर बैठे की जा सकेगी। साथ ही, यह सिस्टम राजस्व विभाग से जुड़ा होने के कारण जमीन के रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, जिससे फर्जीवाड़े की आशंका खत्म हो जाएगी।
नदी में तैरती मिली युवक की लाश, इलाके में मचा हड़कंप
फिलहाल युवक की मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है और पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है। स्थानीय लोगों में घटना को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। हालांकि, पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के बाद ही मौत के स्पष्ट कारणों का खुलासा हो पाएगा।
ठाकुरपाली में आंगनबाड़ी कर्मचारी की मनमानी से गाँव परेशान
मामले की गंभीरता को देखते हुए, विभाग ने अब एक जांच टीम को ठाकुरपाली गांव रवाना कर दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस जांच में क्या कुछ सामने आता है और इस धांधली के पीछे कौन-कौन शामिल है। साथ ही, दोषी पाए जाने वालों पर क्या कार्रवाई की जाती है
कृषि केंद्रों में मिली अनियमितताएं, एक का लाइसेंस निलंबित, कई दुकानों को नोटिस जारी खाद दुकानों पर छापा
निरीक्षण दल में पी.डी. हथेश्वर, उप संचालक कृषि, अनिल कुमार शुक्ला सहायक संचालक कृषि, खेमराज शर्मा ग्रा.कृ.वि.अ., विजय धीरज ग्रा.कृ.वि.अ., कार्यालयीन एवं विकासखण्ड कोटा से दिलीप रात्रे कृ.वि.अ.एवं उर्वरक निरीक्षक मारू ग्रा.कृ.वि.अधि. आर.जी. भानू ग्रा.कृ.वि.अधि. उपस्थित रहें। जिले में संचालित समस्त उर्वरक विक्रेताओं को बिना पॉस मशीन के उर्वरकों का विक्रय नही किये जाने के निर्देश प्रसारित है एवं संबंधित निरीक्षकों से उनके कार्य क्षेत्र अन्तर्गत संचालित उर्वरक विक्रेताओं से पॉस मशीन की मांग के लिए निर्देश दिये गये है। उर्वरक विक्रेता पॉस मशीन के लिए अपने कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, संबंधित उर्वरक निरीक्षक एवं कार्यालय उप संचालक कृषि बिलासपुर में सम्पर्क कर सकते है।
‘राइड फॉर विक्ट्री’ छत्तीसगढ़ व ओडिशा जवान और नागरिकों की एकजुट भागीदारी
रायपुर। कारगिल युद्ध के शूरवीरों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से भारतीय सेना के छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा सब एरिया द्वारा ‘राइड फॉर विक्ट्री’ नामक एक भव्य बाइक रैली का आयोजन किया गया। यह रैली नवा रायपुर स्थित मिलिट्री स्टेशन से प्रारंभ होकर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्वतीय दर्रे केशकाल घाटी तक आयोजित की गई।
कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस आयोजन में 60 से अधिक राइडरों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। रैली में सेना के वर्तमान जवानों, सेवानिवृत्त सैनिकों, महिला बाइकर्स तथा विभिन्न पेशों से जुड़े नागरिकों ने हिस्सा लेकर देशभक्ति की अनूठी मिसाल पेश की।
बारिश और दुर्गम रास्तों की चुनौती के बावजूद प्रतिभागियों का जोश और मनोबल उच्च बना रहा। यह यात्रा भारतीय सशस्त्र बलों की साहस, संकल्प और सेवा भाव का जीवंत प्रतीक रही। मुख्य उद्देश्य कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सैनिकों के शौर्य और बलिदान को सम्मान देना था, साथ ही युवाओं को देशसेवा, समर्पण और राष्ट्रीय गर्व के मूल्यों के प्रति प्रेरित करना भी इस पहल का प्रमुख उद्देश्य रहा।
यह रैली मुख्यालय सूर्या कमान एवं मध्य भारत क्षेत्र के तत्वावधान में आयोजित की गई, जिसने सेना और आम नागरिकों के बीच मजबूत संबंधों को और सुदृढ़ किया। रास्ते भर स्थानीय नागरिकों का गर्मजोशी से स्वागत और समर्थन इस आयोजन की सफलता में महत्वपूर्ण रहा। इस प्रकार के आयोजन न केवल राष्ट्र के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, बल्कि समाज में शांति, एकता और राष्ट्रीय चेतना को भी सशक्त बनाते हैं।
शिक्षक धरने पर: आत्मानंद स्कूल के संविदा शिक्षक धरने पर, नियमितीकरण और वेतनवृद्धि की उठाई माँग
शिक्षकों का कहना है कि जब उनसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पूर्णकालिक योगदान की अपेक्षा की जाती है, तो उन्हें सुरक्षा और समान अधिकार भी मिलने चाहिए।संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि यदि सरकार शीघ्र ही इस विषय में ठोस निर्णय नहीं लेती, तो भविष्य में राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
बस्तर में 'बिहान' से लखपति दीदी बनने की ओर अग्रसर महिलाएं
रायपुर: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन 'बिहान' के तहत राज्य में महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख रही हैं। बस्तर जिले में जगदलपुर, तोकापाल, लोहंडीगुड़ा और दरभा - इन चार विकासखंडों में चिन्हांकित 16 इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर्स के माध्यम से लगभग 4600 परिवारों को एकीकृत खेती और संबद्ध गतिविधियों से जोड़कर उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य समूह से जुड़ी महिलाओं को 'लखपति दीदी' बनाना है, जिससे वे सालाना एक लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित कर सकें।
'बिहान' परियोजना के तहत, पारंपरिक खेती से हटकर उन्नत किस्म के बीजों और नई तकनीकों का उपयोग करके अधिक मात्रा में उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही, पौधों में होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए भी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
परियोजना के पहले चरण में, स्वसहायता समूह से जुड़ी 1800 से अधिक दीदियों ने अपने घरों के बाड़ी में 5 से 10 डिसमिल भूमि पर लतर वाली सब्जियों जैसे करेला, बरबटी, लौकी, तरोई और गिलकी का उत्पादन शुरू किया है। इसके लिए उन्होंने मल्चिंग और मचान जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है।
ग्राम कलचा के जयंती बघेल बिहान स्व सहायता समूह' की सदस्य हैं और लगभग 15 डिसमिल में सब्जी उत्पादन कर रही हैं। इसी तरह ग्राम नेगीगुड़ा की पद्मा बघेल 'रुपशिला स्व सहायता समूह' से जुड़ी हैं और 10 डिसमिल में सब्जी उगा रही हैं। ग्राम बीजापुट की चंपा बघेल 'जीवन ज्योति स्व सहायता समूह' की सदस्य हैं और 25 डिसमिल में, जबकि ग्राम करणपुर की हीरामणि 'दुलार देई स्व सहायता समूह' की सदस्य हैं और 5 डिसमिल में सब्जी उत्पादन कर रही हैं।
इस पहल से गांवों में सब्जियों का पर्याप्त उत्पादन हो रहा है, जिससे न केवल स्वयं के परिवार के पोषण और स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है, बल्कि बाजार से सब्जी खरीदने पर होने वाले खर्च में भी कमी आ रही है। इस बचत राशि का उपयोग महिलाएं अपनी दैनिक आवश्यकताओं, बच्चों की पढ़ाई, संपत्ति निर्माण या नए व्यवसाय में कर सकती हैं।
इसके अलावा, अतिरिक्त सब्जी को स्थानीय बाजारों और छोटी मंडियों में बेचकर महिलाएं अपनी आय बढ़ा रही हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। भविष्य में, बस्तर में उत्पादित सब्जियों की मांग के अनुरूप जिले के बाहर भी इनकी आपूर्ति की योजना है।
'बिहान' परियोजना का लक्ष्य एक सदस्य को तीन से चार आजीविका गतिविधियों से जोड़ना है। इसमें सब्जी उत्पादन के अलावा मक्का, पशुपालन (मुर्गी, बकरी), वनोपज (इमली प्रसंस्करण), मछली पालन और लघु धान्य उत्पादन जैसी संबद्ध गतिविधियां भी शामिल हैं, जो महिलाओं की आय वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
'बिहान' की यह पहल बस्तर की ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे वे सही मायने में 'लखपति दीदी' बन सकेंगी।
मंत्री लखनलाल देवांगन ने 10 परिवारों को दिए सहायता राशि का चेक
रायपुर :कोरबा विधानसभा अंतर्गत दर्री के कलमीडुग्गु, प्रगतिनगर के 10 लोगों की फरवरी माह में कुम्भ यात्रा के दौरान सड़क हादसे में दुःखद निधन हो गया था। सभी शोक संतृप्त परिवार को वाणिज्य उद्योग एवं श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने 1-1 लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की थी। मंत्री देवांगन ने आज कोहड़िया, कोरबा निवास कार्यालय में सभी 10 परिवार को 1-1 लाख की सहायता राशि का चेक वितरण किया। उन्होंने इसके लिए सवेदनशील मुख्यमंत्री माननीय विष्णुदेव साय का बहुत बहुत आभार व्यक्त किया। इस दौरान पार्षद राधा महंत, पार्षद मुकुंद सिंह कँवर भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री के प्रयास से कोतबा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए 56 पदों की मिली स्वीकृति
रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जशपुर जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। पत्थलगांव विकास खंड के कोतबा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उन्नयन करके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने कोतबा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माण करने के लिए 4 करोड़ 37 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति भी दे दी है। कोतबा में लोगों तक बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 56 पद स्वीकृत किए हैं। इनमें अस्पताल अधीक्षक, सर्जन, मेडिकल विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, दंत विशेषज्ञ, चिकित्सा अधिकारी, नर्सिंग सिस्टर, लैब टेक्नीशियन, ओटी टेक्नीशियन, स्टाप नर्स, लेखापाल, फार्मासिस्ट, सहायक ग्रेड 3, ड्रेसर, वार्ड बॉय, आया और भृतय के पद स्वीकृत किया गया है। शीघ्र ही उनकी पदस्थापना की जाएगी जिसमें लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराया जा सके।
सांप का कहर: एक ही रात घर में घुसकर जहरीले नाग ने दो लोगों की ली जान, युवती व बच्चे की हुई मौत
यह घटना जहां सर्पदंश की भयावहता को दर्शाती है, वहीं ग्रामीण इलाकों में जागरूकता, समय पर एंटी-स्नेक वेनम और प्राथमिक उपचार की कमी की ओर भी इशारा करती है। ग्रामीणों की मांग है कि ऐसे क्षेत्रों में सर्पदंश से बचाव व इलाज के लिए विशेष व्यवस्था की जाए।
सेवा अवधि, पात्रता और अंतिम वेतन पेंशन का आधारः ठाकुर
रायपुर। डॉ राधाबाई शासकीय नवीन कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कार्यालयीन प्रबंधन पर दस दिवसीय एफडीपी प्रोग्राम के अंतर्गत चौथे दिन पेंशन विषय पर अर्जुन सिंह ठाकुर सेवानिवृत्त संयुक्त संचालक वित्त का उदबोधन हुआ। विषय विशेषज्ञ ने बताया कि पेंशन निर्धारण नियम, सरकारी कर्मचारियों की पेंशन की गणना और पात्रता से संबंधित नियम हैं। ये नियम सरकारी कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। पेंशन के लिए पात्र होने के लिए, सरकारी कर्मचारी को एक निश्चित अवधि 10 वर्ष की नियमित सेवा पूरी करनी होती है।
ठाकुर ने आगे कहा कि पेंशन की राशि, सेवा की अवधि और अंतिम आहरित वेतन के आधार पर निर्धारित की जाती है। यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है,तो उसके आश्रितों को पारिवारिक पेंशन का लाभ मिल सकता है। पेंशन नियमों में समय-समय पर संशोधन हो सकता है, जैसे कि महंगाई राहत या अन्य भत्तों में बदलाव। पेंशन के लिए आवश्यक सेवा अवधि को अर्हकारी सेवा कहा जाता है। पेंशन के लिए कर्मचारी की पात्रता,सेवा अवधि, वेतन और अन्य कारकों पर निर्भर करती है। पेंशन का भुगतान आमतौर पर बैंक खातों के माध्यम से किया जाता है।
पेंशनभोगियों के लिए समय-समय पर दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं,जैसे कि जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के तरीके आदि। यदि पेंशनभोगियों को कोई समस्या आती है,तो वे शिकायत दर्ज करा सकते हैं। 17 वर्ष के सेवा के बाद स्वेच्छिक सेवानिवृत्त हो सकतें हैं। गोद लिए बच्चे को भी पारिवारिक पेंशन मिल सकती है, लेकिन इसके कुछ नियम और शर्तें हैं। यदि सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो गोद लिया हुआ बच्चा भी पारिवारिक पेंशन का हकदार होगा, जैसे कि उसका अपना बच्चा होता है। बच्चों को पारिवारिक पेंशन उनके जन्म के क्रम में दी जाती है। इसका मतलब है कि सबसे छोटा बच्चा तभी पात्र होगा जब उससे बड़ा बच्चा पेंशन के लिए अयोग्य हो जाए। अविवाहित बच्चे को 25 वर्ष की आयु तक या शादी होने तक या जब तक वह अपनी आजीविका कमाना शुरू नहीं कर देता,जो भी पहले हो, पारिवारिक पेंशन मिलती है। यदि बच्चा विकलांग है और कमा नहीं पाता है,तो वह अपनी मृत्यु तक पारिवारिक पेंशन प्राप्त कर सकता है। यदि बच्चा नाबालिग है,तो उसके कानूनी अभिभावक उसकी ओर से पेंशन प्राप्त करेंगे। विधवा या विधुर द्वारा गोद लिया गया बच्चा परिवार का सदस्य नहीं माना जाएगा और इसलिए वह पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं होगा।
विषय विशेषज्ञ ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उनके जिज्ञासाओं को शांत किया। प्रारंभ में श्रीमती मौसमी लहरें सहायक प्राध्यापक रसायन शास्त्र ने अतिथि परिचय दिया एवं डॉ श्राद्ध मिश्रा सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया तथा फूल सिंह भारती,छात्रावास अधीक्षक ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उक्त एफडीपी प्रोग्राम में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष,वरिष्ठ प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, क्रीड़ाधिकारी, ग्रंथपाल,कार्यालयीन अधिकारी एवं कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में अन्य संस्थाओं के प्रतिभागी उपस्थित रहे। 21 जुलाई सोमवार को स्थापना विषय पर डॉ तपेश गुप्ता, अपर संचालक क्षेत्रीय कार्यालय उच्च शिक्षा एवं प्राचार्य छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर का उदबोधन होगा।
पति नहीं मांग सकता पत्नी के फोन का पासवर्ड, उसकी भी प्राइवेसी है: हाईकोर्ट
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति अपनी पत्नी को उसकी निजी जानकारी, संचार माध्यमों, मोबाइल फोन या बैंक खातों के पासवर्ड साझा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। ऐसा करना निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा, जो परिस्थितियों के अनुसार घरेलू हिंसा की श्रेणी में भी आ सकता है। यह फैसला न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकलपीठ ने उस मामले में सुनाया, जिसमें पति ने पत्नी की काल डिटेल रिकार्ड (CDR) मांगते हुए उसे चरित्रहीन ठहराने की कोशिश की थी।
याचिकाकर्ता पति ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1) (आई-ए) के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका फैमिली कोर्ट में दायर की थी। सुनवाई के दौरान पति ने दुर्ग के एसएसपी के पास आवेदन देकर पत्नी की काल डिटेल्स मांगीं और एक समान मांग फैमिली कोर्ट में भी की गई, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि जब तलाक क्रूरता के आधार पर मांगा गया है, न कि व्यभिचार के आधार पर, तो कॉल डिटेल्स जैसी गोपनीय जानकारी की मांग संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित निजता के अधिकार का उल्लंघन मानी जाएगी।
न्यायालय ने केएस पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार (2017), पियूसीएल बनाम भारत सरकार (1996) और मिस्टर एक्स बनाम हॉस्पिटल जेड (1998) जैसे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि निजता का अधिकार व्यक्ति की यौन पहचान, वैवाहिक संबंधों की गरिमा और अंतरंगता को भी सुरक्षित करता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि विवाह में पारदर्शिता और साझेदारी होनी चाहिए, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि पति-पत्नी एक-दूसरे की निजता का उल्लंघन करें या संचार की आजादी में हस्तक्षेप करें। कोर्ट ने कहा, घर या आफिस में की गई मोबाइल बातचीत, जो अक्सर गोपनीय होती है, व्यक्ति के निजी जीवन का हिस्सा है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने पति की याचिका को बिना आधार के मानते हुए खारिज कर दिया और फैमिली कोर्ट के निर्णय को उचित और वैधानिक ठहराया।
गरियाबंद में इंसाफ़ के लिए भूख हड़ताल का सहारा, पहले मुरहा, फिर अहमद बेग और अब 70 साल की ओम बाई लगा रही न्याय की गुहार
सिंचाई जलाशयों में 50 फीसद जलभराव... खारंग डेम और खपरी जलाशय हुए लबालब
रायपुर। जल संसाधन विभाग द्वारा 19 जुलाई को जारी टैंक गेज रिपोर्ट के अनुसार राज्य के प्रमुख सिंचाई जलाशयों में अब तक 49.78 प्रतिशत जलभराव हो चुका है। बिलासपुर स्थित खारंग डेम और दुर्ग जिले का खपरी जलाशय लबालब हो गया है। राज्य के कुल 46 प्रमुख जलाशयों में से झुमका जलाशय में 98.84 प्रतिशत, मनियारी जलाशय 90 प्रतिशत से अधिक, जबकि छरपानी जलाशय में 91 प्रतिशत से अधिक जलभराव हुआ है।
मिनीमाता बांगो डेम (कोरबा) में अब तक 52.78 प्रतिशत जलभराव हुआ है, रविशंकर सागर (धमतरी) में 53.26 प्रतिशत, तांडुला डेम (बालोद) में 29.29 प्रतिशत, दुधावा डेम में 21.87 प्रतिशत, सिकासार डेम में 45.21 प्रतिशत, सोंढूर में 23 प्रतिशत, मुरूमसिल्ली डेम में 21.57 प्रतिशत, कोडार डेम में 38.11 प्रतिशत, केलो डेम में 30.96 प्रतिशत जलभराव हुआ है। राज्य के 12 वृहद सिंचाई परियोजनाओं मेें शामिल खारंग डेम (बिलासपुर) में 100 प्रतिशत जलभराव दर्ज किया गया है, जो सर्वाधिक भराव वाले जलाशयों में शामिल है। मनियारी डेम (मुंगेली) में जल स्तर 93.17 प्रतिशत तक पहुंच गया है, छोटे जलाशयों जैसे झुमका डेम (कोरिया) और छिरपानी (कबीरधाम) में क्रमशः 98.84 प्रतिशत और 91.14 प्रतिशत जलभराव हो चुका है।
इसी तरह अरपा भैंसाझार (बिलासपुर) और मायना (कांकेर) जैसे जलाशयों में 30 प्रतिशत से भी कम, गोंदली डेम (बालोद) में 30.24 प्रतिशत और कोसारटेडा डेम (बस्तर) में 42.57 प्रतिशत जलभराव हुआ है। खरखरा डेम में 22.15 प्रतिशत, परलकोट डेम में 36.44 प्रतिशत, श्याम डेम सरगुजा में 69.38 प्रतिशत, पिपरिया नाला डेम में 77.64 प्रतिशत, बलार डेम में 23.04 प्रतिशत, सुतियापात जलाशय में 67.74 प्रतिशत, मोंगरा बैराज में 62.62 प्रतिशत, मरोदा जलाशय में 38.62 प्रतिशत, सरोदा दादर में 41.03 प्रतिशत, घोंघा जलाशय में 82.84 प्रतिशत, मटियामोती जलाशय में 28.51 प्रतिशत, झुमका जलाशय में 98.84 प्रतिशत, खमारपकुट डेम में 86.11 प्रतिशत, कर्रानाला बैराज में 72.64 प्रतिशत, किंकारी नाला में 80.31 प्रतिशत, सुखा नाला बैराज 72.95 प्रतिशत, कुम्हारी डेम रायपुर में 40.44 प्रतिशत, धारा जलाशय राजनांदगांव में 46.44 प्रतिशत तथा रूसे डेम में 54.47 प्रतिशत जल भराव हो चुका है।
राज्य के कई जलाशयों से नहरों तथा स्लूइस के माध्यम से जल निकासी भी जारी है। खारंग, मनियारी, केलो और सीतानदी बेसिन के जलाशयों से जल छोड़ा गया है। जल संसाधन विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को जलाशयों की सतत निगरानी के निर्देश दिए हैं।
लोकल ट्रेन में बर्थ को लेकर बवाल: मोबाइल से हमला कर युवती का सिर फोड़ा
शराब दुकान में ढाई लाख कैश की चोरी, सुरक्षा कर्मियों को भनक तक नहीं लगी
कोतवाली थाना प्रभारी प्रवीण द्विवेदी ने बताया कि बोडसरा गांव के शराब दुकान में चोरी की सूचना मिलने के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची. जांच के दौरान शराब दुकान के सीसीटीवी कैमरा का तार कटा मिला. शराब दुकान में शुक्रवार की बिक्री की राशि ढाई लाख रुपए की चोरी हुई है. साथ ही लाकर भी ले गए हैं. इस मामले में शराब दुकान के सुरक्षा कर्मियों से पूछताछ की जा रही है, साथ ही अन्य सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले जा रहे हैं.
जमीन खरीदी-बिक्री के नाम पर 45 लाख की ठगी, चार आरोपी गिरफ्तार
इसके बाद आरोपियों ने दस्तावेजी बहानेबाजी करते हुए 12 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री कराई, लेकिन असल में खसरा नंबर 345/14 की भूमि की रजिस्ट्री की गई, जो भारतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत अधिगृहित हो चुकी थी। इस छलपूर्वक कार्रवाई से 36.50 लाख की ठगी हुई, जिसमें 12.60 लाख बाद में लौटाए गए। शेष राशि को लेकर आरोपी टालमटोल कर रहे थे। पुलिस जांच में सामने आया कि रजिस्ट्री की गई जमीन पहले ही किसी अन्य को बेची जा चुकी थी। वहीं भारतमाला प्रोजेक्ट में अधिग्रहित ज़मीन के 21 लाख के मुआवजे को भी आरोपियों ने हड़प लिया। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।