रायपुर। चौबे कालोनी की आराधना भजन मंडली ने पुरुषोतम मास के उपलक्ष्य में सुबह वारी (प्रभात फेरी) निकाली। इसमें महिला भजन मंडली ने सुबह 7:00 बजे चौबे कॉलोनी स्थित गोकुल अपार्टमेंट से तात्यापारा के हनुमान मंदिर और गजानन मंदिर तक पदयात्रा की। तत्पश्चात मंडली के सदस्यों ने दोनों ही मंदिरों में पूजा- अर्चना की और भजनों की प्रस्तुति दी।
इससे पहले गत रविवार को सुबह सात बजे चौबे कॉलनी के गोकुल अपार्टमेंट से अग्रसेन चौक स्थित गणेश मंदिर तक पदयात्रा की गई थी। तत्पश्चात पदयात्रा कर पहुंची महिलाओं ने प्रथम पूज्य गणपति बप्पा जी पूजा अर्चना की और वहां कई भजनों की प्रस्तुतियां भी दीं।
पदयात्रा में चौबे काॅलोनी भजन मंडली से अपर्णा कालेले, मनीषा वरवंडकर, चारू देव, गौरी क्षीरसागर, अनुपमा बोधनकर, सुनीता कुलकर्णी, अलका मराठे, सुषमा आपटे, अवंती अग्निहोत्री, संध्या हिशीकर, अंजली वैद्य सीमा गनोदवाले, उज्ज्वला पुराणिक, रोहिणी नेने, अर्चना मुकादम, सुनंदा बेंद्रे सहित अनेक महिलाओं ने बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया। अगले रविवार, 6 अगस्त को सुबह सात बजे राधा कृष्ण मंदिर (समता कॉलनी ) तक पदयात्रा निकालने की तैयारी है।
रायपुर। हमारा समाज विकसित हो रहा है इसके साथ ही में मनुष्य की आपराधिक भावना भी बढ़ रही है। बच्चों के प्रति बढ़ते अपराध का मुख्य कारण बच्चों में जागरूकता की कमी होती हैं। वर्तमान समय में बच्चों को Good Touch and Bad Touch के बारे में बताना भी एक जरुरी विषय है। राजधानी स्थित संत ज्ञानेश्वर स्कूल की शिक्षिकाओं ने 31 जुलाई को बच्चों को Good Touch and Bad Touch के बारे में जानकारी दी।
स्कूल की शिक्षिका अस्मिता कुसरे ने बताया कि प्राचार्य मनीष गोवर्धन के निर्देशन में छोटे बच्चों को Good Touch and Bad Touch के बारे में गुड़िया के माध्यम से बताया गया। शिक्षिका भारती सहगल, सुरेखा, पूजा, सुदेवी विश्वास ने बच्चों को बताया कि शरीर के किन-किन अंगों को छूने से Good Touch and Bad Touch का एहसास होता है। बच्चों में जागरूकता लाने के लिए वर्कशाप का आयोजन किया गया।
शिक्षिका अस्मिता कुसरे ने आगे बताया कि बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाना सबसे ज़रूरी है और बच्चों के मन से डर दूर करें और उन्हें ना कहना सिखाएं। अगर उन्हें कोई गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो वे प्रताड़ित करने वाले से डरे नहीं बल्कि उन्हें ऐसा न करने के लिए बोलें। प्रताड़ित करने वाले से बचने के लिए शोर मचाने तरकीब बच्चों को सिखाएं ताकि आसपास के लोग उसकी चीख सुनकर उसके मदद को आ सके।
रायपुर। चौबे कालोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल में श्रावण अधिकमास के मौके पर पार्थिव शिवलिंग की पूजा अर्चना की जाएगी। पूजा का आयोजन 6 अगस्त को सुबह 11 बजे से महाराष्ट्र मंडळ में होगा। सरोना केंद्र और सुंदर नगर केंद्र की ओर से आयोजित इस पूजा में महाराष्ट्र मंडल के सभी 15 केंद्रों की महिलाएं शामिल होंगी।
मंडल की महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले ने बताया कि इस मौके पर षोडशोपचार पूजा, शिव तांडव स्त्रोत, शिवमंत्र अराधना व भजन एवं शिव तांडव नृत्य की प्रस्तुति होगी। पार्थिव शिवलिंग के पूजन में हर केन्द्र को 11 शिवलिंग बनाने है। हल्दी कुमकूम, गुलाल, बुक्का, चंदन, मिट्टी, पानी, दूध, फुल, बेलपत्री ये सामान पूजा के समय दिया जाएगा। वहीं आरती की थाली, ताम्हण, फुलपात्र, निरांजन, दिया, बाती, घी, माचिस अपने घर से ले आना हैl
पार्थिव शिवलिंग क्या है मिट्टी का शिवलिंग, गाय के गोबर, गुड़, मख्खन, मिट्टी में गंगाजल मिलाकर बनाया जाता है। इसके लिए बेल वृक्ष की मिट्टी या चिकनी मिट्टी के उपयोग को अतिउत्तम माना गया है। आमतौर पर यह मिट्टी नदी अथवा तालाब की होती है। मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की ऊंचाई अधिकतम 12 अंगुल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
पार्थिव शिवलिंग पूजा के लाभ ऐसा माना जाता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से जीवन की बड़ी—बड़ी बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही अकाल मृत्यु का भय भी दूर होता है। शिव पुराण के अनुसार भोलेनाथ के आशीर्वाद से धन—धान्य, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है एवं जीवन के अंतिम क्षणों में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल के अवंति विहार केंद्र की महिला सदस्यों ने 'नो सिंगल यूज प्लास्टिक अभियान' शुरू करने का निर्णय लिया है। इससे पहले भी इस केंद्र की महिलाएं संयोजिका नीता भंडारकर के नेतृत्व में यह अभियान चला चुकीं हैं और चिल्लर सब्जी विक्रेताओं और खरीददारों को कपड़े की थैली बांटकर उन्हें जागरूक भी कर चुकी हैं।
अवंति विहार केंद्र की शनिवार को हुई मासिक बैठक में निर्णय लिया गया कि सब्जी बेचने विक्रेताओं से प्लास्टिक की थैलियां या पॉलिथीन का उपयोग न करने की अपील की जाएगी। इसके साथ ही सब्जी खरीदने पहुंचे लोगों को नि:शुल्क कपड़े की थैलियां वितरित कर घर से ही खरीदारी के लिए थैली लेकर चलने की अपील की जाएगी।
बैठक में महिलाओं के बीच सोलह सिंगार प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें श्वेता गनोड़कर प्रथम, गीता दलाल द्वितीय और अनुजा तृतीय रहीं। बैठक में ही जागृती भाकरे नई संयोजिक बनाई गईं। उनका साथ देने के लिए अनघा आस्वले, सुदेशना मेने, प्राची अनर्थ, शरयू तांबोली सह संयोजिका होंगी। अवंती विहार केंद्र की पूर्व संयोजिका नीता भंडारकर ने अपनी टीम के साथ नई संयोजिका जागृति भाकरे और उनकी टीम को बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया की अवंति विहार केंद्र के सेवाभावी कार्य महाराष्ट्र मंडल को और लोकप्रिय व विश्वसनीय बनाएंगे।
महाराष्ट्र मंडल की महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले ने बताया कि बैठक में यह भी तय किया गया कि अवंति विहार केंद्र की महिलाएं अतिशीघ्र शंकर नगर-देवेंद्र नगर केंद्र के साथ मिलकर तीज महोत्सव को भव्य पैमाने पर मनाने की तैयारियों को लेकर चर्चा करेंगी।
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में शनिवार को छत्रपति शिवाजी का साम्राज्य दिवस मनाया गया। वीर शिवाजी महाराज के साम्राज्य दिवस की आज 350 वीं वर्षगांठ थी। इस मौके पर मंडल में वीर शिवाजी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया गया और उनकी आरती उतारी गई। इसके बाद छत्रपति शिवाजी महाराज के साम्राज्य में जिस तरह से उनके आने पर जोश से भरपूर होकर दरबान उनके आने की सूचना सभागार को देते थे, उसी तर्ज पर एक युवक ने जोशिले अंदाज में उन शब्दों को दोहराया। इसके बाद जय भवानी, जय शिवानी, हर—हर महादेव और छत्रपति शिवाजी महाराज के जयकारों से पूरा मंडल परिसर गुंजायमान हो गया।
इस खास मौके पर छत्रपति शिवाजी महाराज के लिए स्वयं का जीवन समर्पित करने वाले समाजसेवी और आरएसएस के स्वयं सेवक सुधीर श्रीरंग थोरात मंडल पधारे थे, जिनका मंडल अध्यक्ष अजय काले ने सूतमाला पहनाकर आत्मीय स्वागत किया, तो श्रीफल और प्रतीक चिन्ह प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। वहीं मंडल उपाध्यक्ष श्याम सुंदर खंगन ने शॉल पहनाकर उन्हें सम्मान दिया।
आज साम्राज्य दिवस के मौके पर मंडल में छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसके मुख्य वक्ता के तौर पर सुधीर श्रीरंग थोरात ने शिवाजी महाराज के जीवनकाल पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि 1638 में शिवाजी महाराज ने जब पुरंदर किला जीता, तब उनकी उम्र महज 18 वर्ष थी। उस समय मराठा साम्राज्य के पास बमुश्किल दर्जनभर किले ही थे। उन्होंने अपने 32 साल के साम्राज्य काल में 250 से अधिक किले जीत लिए। थोरात ने बताया कि 18 साल की उम्र में ही शिवाजी महाराज ने 1 लाख 5 हजार घुड़सैनिकों का दल तैयार कर लिया था। इनमें से 60 हजार सैनिक शिलेदार (जो अपने घोड़ों की देखभाल कर सकते हैं) थे, जबकि 45 हजार बार्गीव (जिनके घोड़ों का खर्च राजकीय कोष से जाता था) थे। इसके अलावा 1 लाख पैदल सैनिक भी शिवाजी के सेना में थे। उस समय प्रत्येक सैनिक को 5 रुपए का वेतन दिया जाता था। शिवाजी महाराज ने अपने साम्राज्य के शुरुआती दौर में ही पुर्तगिज की मदद से जहाज का निर्माण भी किया। जब पुतर्गिज को लगा कि इन नौसेना का उपयोग हमारे खिलाफ भी हो सकता है, तो उन्होंने देश ही छोड़ दिया।
ऐसे समय में शिवाजी महाराज ने 300 सैनिकों की क्षमता वाले जहाज का निर्माण कराया और 300 टन सामान ले जाने वाले जहाजों का निर्माण भी कराया। इनकी देखभाल के लिए 3 स्तर पर अधिकारी नियुक्त होते और प्रत्येक 5 साल में उनका तबादला भी होता और यही व्यवस्था किले की भी होती थी। आशय स्पष्ट है कि कहीं भी, कभी भी विद्रोह का सवाल नहीं उठता।
शिवाजी महाराज से अंग्रेज कैप्टन कैंगविन जब अपनी सेना के साथ परास्त हो गए, तो उन्होंने लंदन लौटकर अपनी किताब में लिखा, कि हमारे पास मराठों जैसा अत्याधुनिक जहाज होता, तो हमारा पराभव नहीं होता। अपने शासनकाल में शिवाजी महाराज ने 18 कारखाने खोले और महलों का निर्माण भी कामकाज के लिए कराया, जो आज भी देखे जा सकते हैं। 1680 में शिवाजी महाराज की सेना का सालाना खर्च 2.5 करोड़ रुपए से अधिक था। इसके अलावा औरंगजेब जैसे मुगल आक्रांताओं से लड़ने के लिए उन्होंने करीब 7 लाख रुपए का अलग से प्रावधान किया हुआ था।
थोरात ने शिवाजी महाराज के साम्राज्य काल के दौरान कृषि विकास की जानकारी भी दी और बताया कि मुगल साम्राज्य में 50 प्रतिशत टैक्स किसानों को देना होता था, प्राकृतिक आपदा के समय भी उन्हें कोई छूट नहीं मिलती थी। इसके विपरीत मराठा साम्राज्य के समय 35 प्रतिशत कर देना पड़ता था, नई भूमि पर खेती करने पर 5 साल तक कर देने की छूट मिलती थी। प्राकृतिक आपदा के समय ना केवल कर माफ होता था, बल्कि बीज, खाद आदि की व्यवस्था भी मराठा साम्राज्य के द्वारा की जाती थी।
इससे किसानों में अपनी पुरानी खेती के साथ नई भूमि पर खेती करने की चाह बढ़ी। इससे स्वाभाविक तौर पर खेतिहर उपकरण की मांग बढ़ी। लोहारों को ज्यादा काम मिलने लगा। किसानों की आय बढ़ी, तो कपड़े की मांग बढ़ी, वहीं बुनकरों के साथ ही दर्जियों का काम भी बढ़ता गया। बाजार में संपन्नता नजर आने लगी। यह बात दूरदराज के इलाकों में भी फैली हुई थी और वहां के किसान व आम लोग भी चाहती थी कि शिवाजी महाराज उनके इलाकों को युद्ध से जीते और मराठा साम्राज्य की व्यवस्था यहां भी लागू करे।
इसी तरह पुर्तगिज नमक की क्वालिटी बहुत अच्छी होती और कीमत बहुत कम थी, इसके विपरीत स्वदेशी नमक हल्की क्वालिटी के बावजूद बहुत महंगा होता था। शिवाजी महाराज ने पुर्तगिज नमक पर इतना अधिक ऑक्ट्राय लगाया कि स्वदेशी नमक सस्ता लगने लगा और उसकी मांग भी बढ़ी। शिवाजी महाराज को जब पता लगा कि गोवा में हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ गया है, धर्मान्तरण तेजी से हो रहा है, तब उन्होंने वहां का दौरा किया और वहां के प्रशासन सहित पादरियों को समझाया। लेकिन जब उन तक दोबारा इसी तरह की शिकायत पहुंची और यह भी बताया कि सप्तकोटेश्वर मंदिर को क्षति पहुंचाई गई है, तो उन्होंने वहां हमला किया और धर्मांतरण में लगे चारों पादरियों को मारकर सप्तकोटेश्वर मंदिर का पुनर्निमाण कराया। इसी काल में उन्होंने श्रीशैलम मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया।
युद्ध के समय मुगल सैनिक दिनभर में 30 किमी का सफर तय कर पाते, तो वहीं शिवाजी महाराज अपने सैनिकों के साथ 50 से 60 किमी तक आगे बढ़ जाते। इससे उनकी रफ्तार का अनुमान लगाया जा सकता है। मुगल शासक 1200 से 1500 किमी का सफर कर महाराष्ट्र पहुंचते, तब तक शिवाजी महाराज युद्ध की अनेक रणनीतियां बना चुके होते। यही कारण है कि औरंगजेब जैसा लगभग 5 लाख सैनिकों के साथ चलने वाला आक्रांता कभी पूरे महाराष्ट्र को नहीं जीत पाया। इसके आगे दक्षिण क्षेत्र में बढ़ने का तो सवाल ही नहीं था।
महाराष्ट्र में जब भी मुगल सेना पहुंचती, शिवाजी महाराज के सैनिक उनकी सप्लाई चेन को बाधित कर देते थे। जबकि औरंगजेब के किले चारों ओर से घेरेबंदी के बावजूद किले के अंदर शिवाजी महाराज की सप्लाई चेन कभी पकड़ी नहीं गई। इससे उनके खुफिया तंत्र की क्षमता का पता चलता है।
निष्कर्ष स्वरूप सुधरी श्रीरंग थोरात ने कहा कि शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक से पूरे देश में यह संदेश गया कि कोई हिन्दू भी राजा हो सकता है। सफल रणनीति के साथ कालचक्र को भी उल्टा किया जा सकता है। असंभव से लगने वाले लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। बड़े से बड़े संकट का सफलता से सामना करते हुए उसे अवसर में बदला जा सकता है। युद्ध कौशल से दुश्मन को बारबार भ्रमित किया जा सकता है, सभी मोर्चों पर सक्रियता का दिखावा कर एक लड़ाई का लक्ष्य तय किया जा सकता है।
इससे पहले मंडल अध्यक्ष अजय काले ने थोरात के समक्ष मंडल की जानकारी रखी और बताया कि छत्तीसगढ़ की राजधानी में महाराष्ट्र मंडल विगत 88 वर्षों से सामाजिक गतिविधियों के साथ ही सांस्कृतिक और शैक्षणिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करता आ रहा है। उन्होंने महाराष्ट्र मंडल द्वारा संचालित दिव्यांग बालिका गृह को लेकर बताया कि यहां पर बालिका की शिक्षा से लेकर उनके जीवन निर्वाह और घर बसाने तक की सुविधा है। कार्यक्रम का संचालन महाराष्ट्र मंडळ के सहसचिव सुकृत गनौदवाले ने और आभार प्रदर्शन युवा मराठा समाज के अध्यक्ष लोकेश पवार ने किया।
रायपुर। महाराष्ट्र मंडळ के वल्लभनगर महिला केंद्र ने मातोश्री योजना के तहत संत ज्ञानेश्वर स्कूल में बाल संस्कार शिविर का आयोजन किया। मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ शिविर का शुभारंभ किया गया। शिविर में आसपास की झुग्गी बस्तियों के बच्चे शामिल हुए। अंतर्गत संत ज्ञानेश्वर स्कूल में प्रतिदिन शाम पांच बजे से यह शिविर लगाया जाएगा। इसमें आसपास की झुग्गी बस्तियों के बच्चे शामिल होंगे।
महाराष्ट्र मंडल की महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले ने बताया कि वल्लभनगर केंद्र का संत ज्ञानेश्वर स्कूल में आयोजित होने वाला यह तीसरा बाल संस्कार शिविर है। शिविर के विधिवत शुभारंभ के बाद मंडल की सदस्य अर्चना जतकर ने बच्चों को अच्छी-अच्छी बातें बताई। प्राजकता पुसदकर ने बच्चों को बातों ही बातों में सफाई से कैसे रहना ये बताया। प्राजकता पुसद्कर ने बच्चों को शिक्षाप्रद कहानियांसुनाई।
तोपखानेवाले ने बताया कि कार्यक्रम में अपर्णा पेंडसे, कांचन पुसदकर, प्राजक्ता पुसदकर, अपर्णादेशमुख उपस्थित थे। यह संस्कार केंद्र तब तक चलेंगे जब तक के बच्चे कुछ सीख ना जाए। बच्चों को मंत्रोच्चार, प्रार्थना, माता- पिता का आदर करना, आसपास के क्षेत्र के साथ घर को साफ- सुथरा रखना, घर में नियमित रूप से पढ़ाई करना और स्कूल से मिले होमवर्क को पूरा करने की शिक्षा दी गई। संस्कार शिविर का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
रायपुर। राजधानी रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में इन दिनों आंखों की बीमारी कंटेजिविटिस तेजी से फैल रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसे लेकर एडवाइजरी भी जारी की गई है। मुख्यमंत्री ने स्वयं इसकी समीक्षा कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए है। वहीं महाराष्ट्र मंडळ द्वारा संचालित संत ज्ञानेश्वर स्कूल के बच्चों ने जागरूकता लाने इसे लेकर स्कूल ने नाट्य मंचन किया। बच्चों ने आंखों में होने वाली इस बीमारी के लक्षण और रोकथाम के बारे में बताया।
संत ज्ञानेश्वर स्कूल की शिक्षिका अपर्णा आठले ने बताया कि प्राचार्य मनीष गोवर्धन के निर्देशन में कंटेजिविटिस को लेकर स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। इस दौरान बच्चों को कंटेजिविटिस होने के कारण, उसके लक्षण और रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। वहीं बच्चों ने इस लेकर लघु नाट्य का मंचन भी किया।
शिक्षिका अस्मिता कुसरे ने बताया कि लघु नाट्य के जरिए बच्चों को उचित खानपान, जंकफूड से दूरी, साफ-सफाई के बारे में भी बताया गया। आंखों की बीमारी के साथ बच्चों को मौसमी बीमारी को लेकर भी जागरूक किया गया। छोटी-छोटी नाटकीय चर्चाओं के द्वारा बच्चों ने भी खुलकर अपनी बात कहीं।
संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्राचार्य मनीष गोवर्धन ने बताया कि स्कूल की शिक्षिकाओं द्वारा बच्चों को पढ़ाई के साथ अन्य ज्ञान भी दिया जाता है। शिक्षिका अपर्णा आठले और अस्मिता कुसरे ने आज बच्चों आंखों में इन दिनों फैली कंटेजिविटिस बीमारी के बारे में बताया। वहीं बच्चों को आंखों की रोशनी तेज करने के लए दो त्राटक योग मुद्रा भी सिखाई गई। इसके साथ प्राणायाम भी कराया गया। जिसे बच्चों ने उत्साह के साथ किया।
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल का वल्लभनगर महिला केंद्र शनिवार, 29 जुलाई से बाल संस्कार शिविर शुरू कर रहा है। मंडल की मातोश्री योजना के अंतर्गत संत ज्ञानेश्वर स्कूल में प्रतिदिन शाम पांच बजे से यह शिविर लगाया जाएगा। इसमें आसपास की झुग्गी बस्तियों के बच्चे शामिल होंगे।
महाराष्ट्र मंडल की महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले ने बताया कि वल्लभनगर केंद्र का संत ज्ञानेश्वर स्कूल में आयोजित होने वाला यह तीसरा बाल संस्कार शिविर है। इसमें बच्चों को मंत्रोच्चार, प्रार्थना, माता- पिता का आदर करना, आसपास के क्षेत्र के साथ घर को साफ- सुथरा रखना, घर में नियमित रूप से पढ़ाई करना और स्कूल से मिले होमवर्क को पूरा करने की शिक्षा दी जाएगी। इसके अलावा गायत्री मंत्र, रामायण के दोहे सहित विभिन्न दंतकथाओं, किंवदंतियों, पंचतंत्र की कहानियों के माध्यम से बच्चों को संस्कार दिए जाएंगे। साथ ही उन्हें अपनी संस्कृति से अवगत कराया जाएगा।
इस आयोजन में अधिक से अधिक बच्चे शामिल हों, इसके लिए वल्लभनगर केंद्र की महिलाओं ने शुक्रवार की शाम को आसपास के बच्चों और उनके अभिभावकों से संपर्क किया। शिविर में आने के लिए उन्हें सहमत कराया। अनेक अभिभावकों ने बच्चों को शिविर में भेजने के लिए सहमति दी है।
रायपुर। नशा रोकने के लिए आखिरकार महिलाओं की गुलाबी गैंग निकल चुकी है। यह गैंग हर आयु वर्ग के लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक कर रही है और नशे के दुष्प्रभाव को विभिन्न पात्रों के जीवंत अभिनय से समझा रही है।
महाराष्ट्र मंडल के मातोश्री योजना के अंतर्गत चौबे कॉलोनी केंद्र की महिलाओं ने नुक्कड़ नाटक का रामकुंड, चौबे काॅलोनी, जनता क्वार्टर क्षेत्र में तीन शो किए गए। नाटक की निर्देशिका अपर्णा कालेले अपने नुक्कड़ 'नशामुक्ति के लिए अभियान' नाटक के माध्यम से बच्चों, युवाओं, महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक को नशे से दूर रहने का संदेश दिया। साथ ही नशे के दुष्प्रभाव को पूरी संजीदगी से समझाया।
चौबे काॅलोनी केंद्र की संयोजिका अक्षदा पंडित ने बताया कि केंद्र की सदस्य गौरी क्षीरसागर, अनुपमा बोधनकर, स्वाती डबली, प्रीति शेष, अवंति अग्निहोत्री और उन्होंने स्वयं नुक्कड़ नाट्य में अहम किरदार निभाया। हर शो में आसपास के अनेक लोग नुक्कड़ नाटक देखने के लिए जुटे। इस मौके पर महाराष्ट्र मंडल की ओर से महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले, खेल समिति प्रभारी गीता दलाल, पर्यावरण समिति प्रभारी अभय भागवतकर, महाराष्ट्र नाट्य मंडल के भागीरथी कालेले, अंजलि काले, रचना ठेंगड़ी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
रायपुर। राजधानी रायपुर के प्रियदर्शिनी नगर में महाराष्ट्र मंडल द्वारा संचालित प्रतिष्ठित संत ज्ञानेश्वर स्कूल में शनिवार को संस्कार शिविर का आयोजन किया गया है। इस शिविर का आयोजन ओपन रखा गया है, जिसमें सभी वर्ग के बच्चों को अपने संस्कारों से परिचित होने का मौका मिलेगा। इस शिविर के बहाने बच्चों को नित्यकर्म से संबंधित जरुरी और रोचक जानकारी दी जाएगी, जो उनके लिए आजीवन काम आएगा।
इस विषय को लेकर महाराष्ट्र मंडल की महिला प्रमुख विशाखा तोपरखानेवाले ने बताया कि मंडल के वल्लभ नगर केंद्र के तत्वाधान में इस शिविर का आयोजन किया गया है। शिविर को लेकर उन्होंने बताया कि शनिवार शाम 4 बजे से इसका आयोजन किया गया है, जिसमें पचपेड़ी नाका, संतोषी नगर, लक्ष्मी नगर सहित तमाम संबंधित क्षेत्रों के बच्चों को शामिल होने के लिए न्यौता दिया गया है।
उन्होंने बताया कि इस शिविर में बच्चों को सुबह उठने से लेकर सोने तक की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए। नहाने के दौरान, नहाने के बाद किन मंत्रों का उच्चारण किया जाना चाहिए, भोजन से पहले और बाद में कौन सा मंत्र बोलना चाहिए। इसके अलावा सद्गुणों को अपनाना, दैनिक क्रिया में वेद मंत्रों, चौपाई और दोहा का क्या महत्व है, इन सभी बातों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।
विशाखा तोपखानेवाले ने बताया कि वल्लभ नगर केंद्र की महिला समिति इस संस्कार शिविर को लेकर लगातार जनसंपर्क कर रही थी और आयोजन को लेकर आसपास के क्षेत्रों में प्रचार कर रही थीं। जिसके बाद शनिवार का दिन इस शिविर के लिए तय किया गया। उन्होंने बताया कि इस शिविर में बड़ी संख्या में बच्चों और उनके परिजनों की उपस्थिति की संभावना है।
रायपुर। पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे लाजवाब.... जी हां.... महाराष्ट्र मंडल द्वारा संचालित संत ज्ञानेश्वर विद्यालय के 11वीं के छात्र ओम बसाक ने इस मुहावरे को चरितार्थ कर दिया है। ओम ने खेलकूद में अपने माता-पिता अपने विद्यालय तथा प्रशिक्षक का नाम रोशन किया है।ओम का चयन स्टेट लेवल बैंडमिंटन चैम्पियनशिप के लिए हो गया है।
संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्राचार्य मनीष गोवर्धन ने बताया कि ओम बसाक प्रारंभ से भी प्रतिभा का धनी छात्र है। ओम ना सिर्फ खेलकूद बल्कि पढ़ाई में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर यह साबित किया कि शारीरिक, मानसिक गतिविधि में संतुलन बनाकर सफलता हासिल की जा सकती है।
लेक्चरर आराधना लाल ने बताया कि ओम ने छोटी उम्र से खेल की कई उपलब्धियों को अपने नाम किया है। अंडर-13 और अंडर-19 में डिस्ट्रिक्ट चैंपियन, अंडर-17 में डिस्ट्रिक्ट रनर, यूनिवर्सिटी डबल में विनर अंडर-17 हैदराबाद नेशनल में पार्टिसिपेशन, अंडर-19 बेंगलुरु नेशनल में पार्टिसिपेशन और अंडर-19 गुवाहाटी नेशनल में पार्टिसिपेशन किया है।
रायपुर। छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के उन महान व्यक्तित्वों में एक हैं, जिन्होंने समाज को सैकड़ों वर्षों की दासता की मानसिकता से मुक्त कर समाज में आत्मविश्वास व आत्मगौरव का भाव जगाया। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को उनका राज्याभिषेक हुआ तथा हिन्दवी स्वराज्य' की स्थापना हुई। इस वर्ष हिन्दवी स्वराज्य स्थापना का 350वां चल रहा है। इस अवसर पर देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। इसी तारतम्य में महाराष्ट्र मंडळ में 29 जुलाई को शाम 6.30 बजे संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सुधीर थोराट पुणे होंगे।
रायपुर महानगर कार्यवाह राघव जोशी ने बताया कि महाराष्ट्र मंडळ रायपुर और मराठा युवा समाज रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम का आयोजन महाराष्ट्र मंडळ रायपुर में होगा। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता समाजसेवी और आरएसएस के स्वयं सेवक सुधीर श्रीरंग थोरात होंगे।
जोशी ने बताया कि सुधीर श्रीरंग थोरात बचपन से आरएसएस के स्वयं सेवक है। उन्होंने पुणे महानगर में संघ का दायित्व संभाला है। 1990 से 1994 तक आरएसएस के रायगड जिला प्रचारक की जिम्मेदारी संभाली। वे वर्ष 2006 से लोकमान्य तिलक द्वारा स्थापित श्री शिवाजी रायगड स्मारक मंडळ के सचिव है। रायगड किला के विकास प्रारुप तैयार करने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
रायपुर। पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगातार काम कर रही महाराष्ट्र मंडळ की पर्यावरण समिति ने 28 जुलाई शुक्रवार को दतरेंगा स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पौधे रोपे। स्कूल परिसर और स्कूल के बाहर गेट के दोनों ओर फलदार और छायादार प्रजाति के पौधे स्कूल के बच्चों और पर्यावरण समिति के पदाधिकारियों ने रोपे।
महाराष्ट्र मंडळ के पर्यावरण समिति के प्रमुख अभय भागवतकर ने बताया कि समिति द्वारा चलाए जा रहे वृहद पौधरोपण अभियान के तहत 28 जुलाई को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में समिति के पदाधिकारियों, स्कूल की प्राचार्य, स्टाफ और बच्चों ने मिलकर पौधे रोपे।आज सुबह स्कूल खुलने के पूर्व ही समिति के पदाधिकारी स्कूल पहुंच गए थे। स्कूल प्रबंधन की ओर से पौधारोपण में सहयोग दिया गया। स्कूल की प्राचार्या डाॅ. अनिता दुबे ने पौधे रोपने के लिए पहले से गड्ढे करवाकर रखे थे। इन गड्ढों में पौधे लगाए गए। समिति की ओर से सीताफल, आम, जामुन, कटहल, आंवला के साथ शिशु, अमलतास, करंज, अकेसिया कालासिरस के पौधे रोपे गए।
पर्यावरण समिति के उपप्रमुख वैभव बर्वे ने बताया कि समिति के ओर से स्कूल परिसर में वर्ष 2018 से लगातार पौधारोपण किया जा रहा है। 2018 में रोपे गए कई पौधे और काफी बड़े हो गए है। उन्हें देखकर यह लगता है कि पर्यावरण समिति की मेहनत रंग लाई। उस समय रोपे गए पौधे आज हमें शीतल हवा दे रहे हैं। स्कूल प्रबंधन की ओर से पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री गॉर्ड भी बनवाए गए हैं।
रायपुर। महाराष्ट्र मंडळ रायपुर पिछले 87 सालों से मराठी संस्कृति और भाषा के संवर्धन के लिए काम कर रहा है। आज की युवा पीढ़ी के मराठी सीखने की इच्छा को पूरा करने के लिए मंडळ ने वर्ष 2021 से मराठी स्पीकिंग क्लास की परिकल्पना की। मराठी स्पीकिंग क्लास की 15वीं बैच 7 अगस्त से शुरू होने जा रही है।
जो लो शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय में है, उनकी सुविधा के लिए आनलाइन क्लासेस का समय रात 9 से 10 बजे रखा गया है। मराठी भाषी पाठ्यक्रम पूरा करने वालों को महाराष्ट्र मंडळ की ओर से एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा। मराठी स्पीकिंग क्वास के लिए मंडळ की आजीवन सदस्य सौ पद्मजा लाड से उनके मोबाइल नंबर 9407701633 और 9340805110 पर संपर्क किया जा सकता है।
रायपुर। तंबाखू, बीड़ी ये पान मसाला.... तूने खुद से ही खुद का गला दबा डाला.... तंबाखू, बीड़ी छोड़ो, खुशियों से नाता जोड़ा। जी हां... कुछ ऐसा ही संवाद गूंज रहा था रामकुंड बस्ती में। यहां महाराष्ट्र मंडळ के चौबे कालोनी केंद्र की महिलाओं नशामुक्ति को लेकर लोगों को जागरूक कर रही थी। पांच मिनट तक चले नुक्कड़ को देखनेलिए वहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
महाराष्ट्र मंडल की आजीवन सदस्य और चौबे कालोनी महिला केंद्र की सदस्य गौरी क्षीरसागर ने बताया कि चौबे कालोनी महिला केंद्र की ओर से रामकुंड बस्ती में नशामुक्ति को लेकर नुक्कड़ नाटक किया गया। लोगों को नशे से होने वाले नुकसान बनाने के साथ जागरूक भी किया जाएगा।
चौबे कालोनी महिला केंद्र की संयोजिका अक्षता पंडित ने बताया कि आज प्रदर्शित नुक्कड़ नाटक का डायरेक्शन मंडळ की वरिष्ठ सदस्य अपर्णा काळेले ने किया है। केंद्र की सदस्या गौरी क्षीरसागर, अनुपमा बोधनकर, स्वाती डबली, प्रीति शेष, अवंती अग्निहोत्री ने नाट्य की प्रस्तुति दी। इस दौरान बड़ी संख्या में मोहल्ले के एक एकत्र हुए थे। जिन्हें नशे से होने वाले नुकसान को बताते हुए नशा नहीं करने को कहा गया।
रायपुर। महाराष्ट्र मंडळ की पर्यावरण समिति द्वारा चलाए जा रहे पौधरोपण कार्यक्रम की अगली कड़ी 28 जुलाई को ग्राम दतरेंगा स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पौधरोपण किया जाएगा। पौधरोपण के अंतर्गत फलदार पौधों में सीताफल, आम, जामुन, कटहल, आंवला के अलावा छायादार पौधों में शिशु, अमलतास, करंज, अकेसिया कालासिरस के पौधे रोपे जाएंगे। इस शाला प्रांगण में पर्यावरण समिति 2018 से लगातार पौधरोपण कर पौधो की देखभाल के साथ सुरक्षित रखने का कार्य सतत रूप से कर रही है।
पर्यावरण समिति के प्रमुख अभय भागवतकर ने बताया कि दतरेंगा के शाला प्रांगण में समिति ने 2018 में पौधरोपण किया था आज वह काफी बड़े हो गए है। पर्यावरण समिति की प्रभारी गीता दलाल ने बताया कि दतरेंगा में पौधरोपण करने के बाद समिति के सदस्य सुरक्षा के लिए संकल्पित है।
शाला की प्राचार्या डॉ अनिता दुबे का भी पूर्ण सहयोग मिल रहा है। यहां उनके द्वारा पौधों की सुरक्षा के किये ईंटों से ट्री गॉर्ड भी बनवाये गए है। समिति के उपप्रमुख वैभव बर्वे ने कहा कि पौधरोपण के पश्चात सतत देखरेख समिति नियमित अंतराल में बराबर कर रही है। इसके परिणाम स्वरूप पौधे विकसित भी हो रहे है।
बतादें कि महाराष्ट्र मंडळ की पर्यावरण समिति ने इससे पहले ग्राम महुदा में 50 से अधिक पौधों का रोपण किया है। वहीं पचपेड़ी नाका से देवपुरी तक डिवाइडर के बीच में भी वृहद स्तर पर पौधरोपण किया जा चुका है।
रायपुर। हर अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने के साथ उसमें अच्छे डायट की भी आदत डालना चाहता है। आमतौर पर बच्चों कई प्रकार सब्जियां नहीं आते। जंक फूड के चक्कर में पौष्टिक आहार तो खाते ही नहीं है। जो बच्चे घर पर लाख मशक्कत के बाद भी पौष्टिक आहार नहीं लेते वे बच्चे स्कूल पहुंचते ही अपने शिक्षकों के कहने पर खाना शुरू कर देते है। संत ज्ञानेश्वर स्कूल का स्टाप इस बात पर पूरा जोर देता है कि बच्चे खेल-खेल में ककहरा सीखें और बच्चों में पौष्टिक आहार लेने की आदत बनें।
महाराष्ट्र मंडळ द्वारा संचालित प्रियदर्शिनी नगर स्थित संत ज्ञानेश्वर स्कूल में बच्चों को खेल-खेल में ककहरा सीखाने के साथ, योगा और बहुच कुछ सीखाया जा रहा है। स्कूल के प्राचार्य मनीष गोवर्धन ने बताया कि प्री प्राइमरी की कक्षाओं में खेल-खेल में सीखों के तर्ज पर शिक्षिकाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के टीएमएम व रंग बिरंगी खिलौनों से बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्सुकता जगाकर आकर्षण शिक्षण सामग्री के साथ बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इससे अभिभावक भी उत्सुक रहते हैं कि आज हमारा बच्चा कुछ नया सीख कर नई बातें सीखकर आ रहा है।
उन्होंने आगे बताया कि जैसे हम पढ़ाई को लेकर जागरूक है वैसे ही हम उनकी सेहत को लेकर भी सजग रहते है। साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखते हुए बच्चों के लिए हमारी शिक्षिकाओं ने उनके उम्र के अनुसार डाइट प्लान तैयार किया है। भारती सहगल मैडम ने नर्सरी के बच्चों के लिए सुरेखा मैडम एवं पूजा चौहान मैडम ने पीपी-1 के बच्चों के लिए और हार्दिका मैडम एवं अस्मिता मैडम ने पीपी-2 के बच्चों के लिए उनकी उम्र के अनुसार डाइट प्लान बनाया है। जो कि प्रोटीन, विटामिन , मिनरल्स से भरपूर है। जंक फूड से दूर रखने के लिए पालको को ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन, विटामिन ,कार्बोहाइड्रेट व मिनरल्स से भरपूर बनाकर टिफिन में देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है व उनको डाइट चार्ट बनाकर समझाया जाता है जिससे कि बच्चों के टिफिन में स्वास्थ वर्धक खाना ही आए।
बच्चों को स्वास्थ के साथ-साथ संगीत की शिक्षा भी दी जा रही है। बच्चों में संगीत के प्रति रुचि पैदा करने के साथ-साथ अन्य गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को संगीत की प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है जिससे छोटे बच्चों में उत्साह का वातावरण है।
रायपुर। सामाजिक सरोकार के कार्यों में मंडळ के सदस्यों की भागीदारी बढ़ाने और स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक दायित्यों के लिए लोगों को जागरूकक करने महाराष्ट्र मंडळ ने मातोश्री योजना का शुभारंभ किया है। मातोश्री योजना की परिकल्पना मंडळ की आजीवन सदस्य, प्रसिद्ध वास्तुविद् टीएम घाटे ने की है। टीएम घाटे ने अपनी पत्नी की स्मृति में इस योजना को प्रारंभ कराया। ताकि समाज को स्वास्थ्य, स्वच्छता को लेकर सुंदर संदेश दिया जा सके।
महाराष्ट्र मंडल की आजीवन सदस्य और चौबे कालोनी महिला केंद्र की सदस्य गौरी क्षीरसागर ने बताया कि चौबे कालोनी महिला की ओर से 27 जुलाई को शाम 5 बजे रामकुंड में नशामुक्ति को लेकर नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जा रहा है। रामकुंड बस्ती के साथ जनता क्वाटर में भी नुक्कड़ नाटक किया जाएगा। लोगों को नशे से होने वाले नुकसान बनाने के साथ जागरूक भी किया जाएगा।
चौबे कालोनी महिला केंद्र की संयोजिका अक्षता पंडित ने बताया कि आज प्रदर्शित होने वाले नुक्कड़ नाटक का डायरेक्शन मंडळ की वरिष्ठ सदस्य अपर्णा काळेले कर रही है। केंद्र की सदस्या गौरी क्षीरसागर, अनुपमा बोधनकर, स्वाती डबली, प्रीति शेष, अवंती अग्निहोत्री और मैं स्वयं नाट्य की प्रस्तुति दूंगी। नशा की गिऱफ्त में आते समाज को नशामुक्त बनाने का संकल्प केंद्र की महिलाओं ने लिया।